Essay on हार गए तो क्या
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Explanation:
“मन के हारे हार, मन के जीते जीत”
भूमिका:-> हमारी इच्छाशक्ति ही हमारी सफलता का साधन होता है I यदि हमने निश्चय कर लिया है कि मैंने यह काम करना है, तो उसका में सफलता अवश्य मिलती है। जीवन में सफलता असफलता हार अथवा जीत का आधार साधना और शक्ति के साथ साथ मानवीय है I युद्ध में विजय सदा ही शस्त्रों की अथवा सैन्य बल की नहीं होती।
मन क्या है:-> हमारी कर्मेन्द्रिया और ज्ञानेद्रिया को नियंत्रित करता है उसे मन कहते हैंI जब कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया कि वह तो साधन मात्र हैं, यह तो प्रकृति का नियम है, उन्होंने उसे कर्म की स्थिति के बारे में अवगत कराया कि मनुष्य को केवल कर्म करना चाहिए I उन्हें समझाया कि संसार में ना कोई किसी का सगा संबंधी है ना कोई किसी का साथी है, सबको अकेले आना है I तब अर्जुन ने अपने मन की स्थिति को अवगत कराया कि हे प्रभु अपने मन पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा हूं I श्रीकृष्ण ने कहा यह अर्जुन यह मन बड़ा चंचल है योग साधना के द्वारा मन में मन को बस में किया जा सकता है। अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हो गया यहां पर मन की दो स्थित थी एक पहले वाला अर्जुन युद्ध के लिए तैयार नहीं था और अब दूसरा वाला अर्जुन जो युद्ध के लिए पूर्ण रूप से तैयार था I
प्रेरित करने वाले अनेक उदाहरण:-> महाभारत में अर्जुन का युद्ध न करना हथियार को त्याग देना यह सब मन विचलित होने की स्थिति है I लेकिन बाद में युद्ध लड़ा I
इतिहास में ऐसे बहुत से किस्से हैं जो प्रेरणा देते है, रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेज सेना के सामने अकेली थी लेकिन फिर भी मजबूत इच्छा शक्ति के कारण अंग्रेजों पर भरी पड़ी थी I
उपसंहार:->मजबूत इच्छाशक्ति के माध्यम से ही हम हर कार्य को पूर्ण कर सकते हैं I यदि हमारे मन में मजबूत इच्छाशक्ति नहीं हैं I हम किसी भी कार्य को पूर्ण नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे, लेकिन उनके अंदर एक मजबूत इच्छाशक्ति थी और उन्हें कभी हार नहीं मानी तो आज वह भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए मन के हारे हार है मन के जीते जीत।