Essay on हमारे बदलते गाँव in hindi
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अब गाँव के लोग भी शहरी लोगों की तरह डीटीएच और सेट टॉप बॉक्स लगाकर टीवी में फिल्में देख रहे हैं। इतना ही नहीं मोबाइल पर इंटरनेट चलाने की जागररूकता भी ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों में बढ़ी है।
देश में सरकारी सर्वे कराने वाली संस्था नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की हाल में ही जारी रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान के गाँवों की हालत पहले से बेहतर हुई है। गाँवों के लोग अब उन चीजों का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो अभी तक सिर्फ शहरों के लोग किया करते थे। एनएसएसओ के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में खर्च करने का तरीका शहरों जैसा हो रहा है। एनएसएसओ ने ये सर्वे जुलाई 2014 से जून 2015 के बीच किया है। करीब 8000 गाँव और 6000 शहरी खंडों पर ये सर्वे किया गया है। इस सर्वे में ये बात भी सामने सामने आई है कि गाँव के लोग बाहर खाने से लेकर पर्सनल देखभाल पर पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने लगे हैं। फ़ैज़ाबाद के किसान दिलजिंदर (32 साल) कहते हैं, ‘’कुछ हद तक ये सर्वे ठीक भी कहता है। अब गाँवों के लोगों का भी रुझान मोबाइल, इंटरनेट, फिल्म और फैशन की तरफ़ होने लगा है। लोग इन चीज़ों पर भी खर्च करने लगे हैं। मेरे गाँव के युवा और कुछ हम उम्र लोग हर तीन महीने में अपना मोबाइल फोन बदल देते हैं। फिल्में देखने के लिए अब वो भी शहर जाने लगे हैं।’’
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धन्यबाद
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Explanation:
अब गाँव के लोग भी शहरी लोगों की तरह डीटीएच और सेट
टॉप बॉक्स लगाकर टीवी में फिल्में देख रहे हैं। इतना ही नहीं
मोबाइल पर इंटरनेट चलाने की जागररूकता भी ग्रामीण क्षेत्रों में
पिछले दो वर्षों में बढ़ी है।
देश में सरकारी सर्वे कराने वाली संस्था नेशनल सैंपल सर्वे
ऑफिस (एनएसएसओ) की हाल में ही जारी रिपोर्ट के अनुसार
हिंदुस्तान के गाँवों की हालत पहले से बेहतर हुई है। गाँवों के
लोग अब उन चीजों का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो अभी तक
सिर्फ शहरों के लोग किया करते थे। एनएसएसओ के आंकड़ों
के अनुसार ग्रामीण इलाकों में खर्च करने का तरीका शहरों जैसा
हो रहा है। एनएसएसओ ने ये सर्वे जुलाई 2014 से जून 2015
के बीच किया है। करीब 8000 गाँव और 6000 शहरी खंडों
पर ये सर्वे किया गया है। इस सर्वे में ये बात भी सामने सामने
आई है कि गाँव के लोग बाहर खाने से लेकर पर्सनल देखभाल
पर पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने लगे हैं। फ़ैज़ाबाद के किसान
दिलजिंदर (32 साल) कहते हैं, ‘’कुछ हद तक ये सर्वे ठीक भी
कहता है। अब गाँवों के लोगों का भी रुझान मोबाइल, इंटरनेट,
फिल्म और फैशन की तरफ़ होने लगा है। लोग इन चीज़ों पर भी
खर्च करने लगे हैं। मेरे गाँव के युवा और कुछ हम उम्र लोग हर
तीन महीने में अपना मोबाइल फोन बदल देते हैं। फिल्में देखने
के लिए अब वो भी शहर जाने लगे हैं।’’