essay on hare and the tortoise in hindi
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कछुआ' एक प्रकार का प्राणी है, जो जल और स्थल दोनों स्थानों में पाया जाता है। इसके शरीर के मुख्य भाग को इसकी पसलियों से विकसित हुए ढाल जैसे कवच से पहचाना जाता है। जल और स्थल के कुछए तो भिन्न होते ही हैं, मीठे तथा खारे जल के कछुओं की भी पृथक जातियाँ होती हैं।
कछुए की चार टाँगें होती हैं तथा लंबी गरदन बाहर निकली रहती है। इसका गोल शरीर कड़े डिब्बे जैसे आवरण से ढका रहता है। कछुओं का ऊपरी भाग प्राय: उभरा हुआ और निचला भाग चपटा रहता है। कुछ कछुओं का ऊपरी भाग चिकना रहता है।
कछुआ धीरे–धीरे विलुप्त होने की कगार पर हैं। यदि इनके प्रति लोगों में जागरूकता नही फैलायी गयी तो यह प्रजाति पूरी तरह से ख़त्म हो सकती है। कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों (लगभग 200 मिलियन वर्ष) में से एक मानी जाती है।
माना जाता है कि ये प्राचीन प्रजातियां स्तनधारियों, चिड़ियों, सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुके थे। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक, कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इसलिए खुद को बचा सके क्योंकि उनका कवच उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है।
कछुआ को बचाने के लिए 'विश्व कछुआ दिवस' प्रत्येक वर्ष 23 मई को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। विश्व कछुआ दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों का ध्यान कछुओं की तरफ आकर्षित करने और उन्हें बचाने के लिए किए जाने वाले मानवीय प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। इस दिन वन विभाग द्वारा जगह-जगह कार्यशाला आयोजित की जाती हैं।
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एक वक्त की बात है, किसी घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, वो उसी को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती दे देता। दूसरे जानवरों के बीच वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।
एक बार उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया।
जंगल के सभी जानवर कछुआ और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
पेड़ के नीचे सुस्ताते-सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, छुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा, लेकिन कछुआ तो पहले ही जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया।
कहानी से सीख
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता जरूर है।