essay on Hindi Diwas celebration in our school
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हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है, मातृभाषा है. हरेक देश की एक मूलभाषा होती है, जो उस देश की विश्व स्तर
में पहचान होती है. मातृभाषा अनेकता में एकता का पर्याय होती है. जीवन में भाषा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है,
ये भावनाओं को अभिव्यक्त करने का साधन है. और राष्ट्रभाषा का सम्मान करना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है
विश्व की दूसरी सबसे बडी़ भाषा होने का गौरव हिन्दी को प्राप्त है, जो कि चीनी भाषा के बाद विश्व में
सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. भारत सहित अन्य देशों में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी
बोलते, पढ़ते और लिखते हैं. इसके अलावा कई अन्य देश फिजी, मौरिशस, गुयाना, सूरीनाम में
अधिकतर जनता हिन्दी का प्रयोग बोलचाल की भाषा के रुप में करती है.
भारत विविधताओं का देश है कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिश्रण है, कई तरह की भाषाएँ यहाँ बोली
जाती है. इन सभी भाषाओं में से हिन्दी को राष्ट्रभाषा के तौर में चुना गया, हिन्दी भाषा मुख्य रूप से आर्यों
और पारसियों की देन है. हिन्दी को देश की मातृभाषा का दर्जा मिलने के बाद, इसके सम्मान में 14 सितम्बर
को प्रति वर्ष ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
14 सितम्बर 1949
14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के पश्चात हिन्दी को राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त हुआ था. उस दिन के यादगार के
तौर पर सन् 1953 में संविधान में बहुमत से 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का र्निणय लिया
गया, जिसके फलस्वरूप इसे प्रचारित प्रसारित करने के लिए देश में ये दिन हर वर्ष मनाया जाता है.
हमारे देश में इस दिन कई समारोहों का आयोजन किया जाता है, बच्चों को हिन्दी का महत्व समझाने के लिए
विद्यालयों में कई तरह की वाद-विवाद, भाषण, कविता और निबंध की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है.
अंर्तराष्ट्रीय स्तर में इसे स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम नागपुर(महाराष्ट्र) में 10 जनवरी 1975 को
‘विश्व हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया गया था. उसके पश्चात् वर्ष 2006 में 10 जनवरी को ‘विश्व हिन्दी दिवस’
मनाए जाने की घोषणा हुई. विदेशी दूतावासों में ये दिवस बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है.
जहाँ एक तरफ हम हिन्दी भाषा की गरिमा के लिए हिन्दी दिवस मनाते हैं, वहीं ये भी सच्चाई है कि हममें
से कई लोगों को ये दिन याद भी नहीं रहता. कई लोग खासकर युवापीढी़ इसे तुच्छ भाषा के के रूप में देखती
है. हिन्दी को अपने प्रतिष्ठा के लायक नहीं समझती, इसमें उन्हें अपना भविष्य उज्जवल नजर नहीं आता है.
इसमें अक्सर वे भूल जाते हैं कि अपनी राष्ट्रभाषा का अपमान कर रहें, अपने देश का अपमान कर रहें, स्वयं
को हीन मान रहें.
किसी भी देश के समग्र विकास में उसके राष्ट्रभाषा का बड़ा योगदान होता है.
हर भाषा अपना महत्व रखती है सभी का सम्मान होना चाहिए और राष्ट्रभाषा का सम्मान करना सभी का
कर्तव्य है. किसी भी देश के समग्र विकास में उसके राष्ट्रभाषा का बड़ा योगदान होता है. अमेरिका और चीन
ने इतनी तरक्की इसलिए की है क्योंकि वे अपनी मातृभाषा में काम करते हैं.
पर अच्छी बात ये भी है कि कई भारतीयों के प्रयासों से हिन्दी का प्रचार प्रसार बड़ी तेजी से हो रहा है. पूरी दुनिया
में अपने मेहनत और बुध्दिमानी से भारतीयों ने उन्नति का जो मार्ग खोला है उससे सभी देश ये मानने लगे हैं
कि भारतीयों से सम्बंध अच्छे बनाने के लिए हिन्दी बेहतर माध्यम है. आज करोड़ो हिन्दीभाषी आबादी कप्यूंटर
का उपयोग अपनी भाषा में कर रहे हैं जो हिन्दी के वर्चस्व के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
आज का दौर डिजिटलाईजेशन का है जिसमें भारत के गाँवों को भी इससे जोड़ा जा रहा है इन्टरनेट को हर
कोने तक पहुँचाने की पूरी कोशिश की जा रही है और इसके लिए हिन्दी माध्यम का जरिया पूरी तरह बन
सके इसके प्रयास लगातार जारी है जिसमें काफी हद तक सफलता मिल भी रही है. वो दिन नजदीक है जब
हिन्दी दिवस की प्रतिष्ठा और भी गौरवान्वित हो जाएगी जब इसके वर्चस्व का लोहा पूरी दुनिया मानेगी.
– ज्योति सिंहदेव
में पहचान होती है. मातृभाषा अनेकता में एकता का पर्याय होती है. जीवन में भाषा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है,
ये भावनाओं को अभिव्यक्त करने का साधन है. और राष्ट्रभाषा का सम्मान करना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है
विश्व की दूसरी सबसे बडी़ भाषा होने का गौरव हिन्दी को प्राप्त है, जो कि चीनी भाषा के बाद विश्व में
सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. भारत सहित अन्य देशों में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी
बोलते, पढ़ते और लिखते हैं. इसके अलावा कई अन्य देश फिजी, मौरिशस, गुयाना, सूरीनाम में
अधिकतर जनता हिन्दी का प्रयोग बोलचाल की भाषा के रुप में करती है.
भारत विविधताओं का देश है कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिश्रण है, कई तरह की भाषाएँ यहाँ बोली
जाती है. इन सभी भाषाओं में से हिन्दी को राष्ट्रभाषा के तौर में चुना गया, हिन्दी भाषा मुख्य रूप से आर्यों
और पारसियों की देन है. हिन्दी को देश की मातृभाषा का दर्जा मिलने के बाद, इसके सम्मान में 14 सितम्बर
को प्रति वर्ष ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
14 सितम्बर 1949
14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के पश्चात हिन्दी को राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त हुआ था. उस दिन के यादगार के
तौर पर सन् 1953 में संविधान में बहुमत से 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का र्निणय लिया
गया, जिसके फलस्वरूप इसे प्रचारित प्रसारित करने के लिए देश में ये दिन हर वर्ष मनाया जाता है.
हमारे देश में इस दिन कई समारोहों का आयोजन किया जाता है, बच्चों को हिन्दी का महत्व समझाने के लिए
विद्यालयों में कई तरह की वाद-विवाद, भाषण, कविता और निबंध की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है.
अंर्तराष्ट्रीय स्तर में इसे स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम नागपुर(महाराष्ट्र) में 10 जनवरी 1975 को
‘विश्व हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया गया था. उसके पश्चात् वर्ष 2006 में 10 जनवरी को ‘विश्व हिन्दी दिवस’
मनाए जाने की घोषणा हुई. विदेशी दूतावासों में ये दिवस बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है.
जहाँ एक तरफ हम हिन्दी भाषा की गरिमा के लिए हिन्दी दिवस मनाते हैं, वहीं ये भी सच्चाई है कि हममें
से कई लोगों को ये दिन याद भी नहीं रहता. कई लोग खासकर युवापीढी़ इसे तुच्छ भाषा के के रूप में देखती
है. हिन्दी को अपने प्रतिष्ठा के लायक नहीं समझती, इसमें उन्हें अपना भविष्य उज्जवल नजर नहीं आता है.
इसमें अक्सर वे भूल जाते हैं कि अपनी राष्ट्रभाषा का अपमान कर रहें, अपने देश का अपमान कर रहें, स्वयं
को हीन मान रहें.
किसी भी देश के समग्र विकास में उसके राष्ट्रभाषा का बड़ा योगदान होता है.
हर भाषा अपना महत्व रखती है सभी का सम्मान होना चाहिए और राष्ट्रभाषा का सम्मान करना सभी का
कर्तव्य है. किसी भी देश के समग्र विकास में उसके राष्ट्रभाषा का बड़ा योगदान होता है. अमेरिका और चीन
ने इतनी तरक्की इसलिए की है क्योंकि वे अपनी मातृभाषा में काम करते हैं.
पर अच्छी बात ये भी है कि कई भारतीयों के प्रयासों से हिन्दी का प्रचार प्रसार बड़ी तेजी से हो रहा है. पूरी दुनिया
में अपने मेहनत और बुध्दिमानी से भारतीयों ने उन्नति का जो मार्ग खोला है उससे सभी देश ये मानने लगे हैं
कि भारतीयों से सम्बंध अच्छे बनाने के लिए हिन्दी बेहतर माध्यम है. आज करोड़ो हिन्दीभाषी आबादी कप्यूंटर
का उपयोग अपनी भाषा में कर रहे हैं जो हिन्दी के वर्चस्व के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
आज का दौर डिजिटलाईजेशन का है जिसमें भारत के गाँवों को भी इससे जोड़ा जा रहा है इन्टरनेट को हर
कोने तक पहुँचाने की पूरी कोशिश की जा रही है और इसके लिए हिन्दी माध्यम का जरिया पूरी तरह बन
सके इसके प्रयास लगातार जारी है जिसमें काफी हद तक सफलता मिल भी रही है. वो दिन नजदीक है जब
हिन्दी दिवस की प्रतिष्ठा और भी गौरवान्वित हो जाएगी जब इसके वर्चस्व का लोहा पूरी दुनिया मानेगी.
– ज्योति सिंहदेव
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