Hindi, asked by wasukumeti4461, 1 year ago

essay on hmara sapna uttarakhand ho aisa apna

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Answered by shishir303
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Answer:

‘उत्तराखंड’ राज्य भारत के उत्तर में स्थित राज्य है, इसकी स्थापना 9 नवंबर 2000 को भारत के सत्ताइसवें के राज्य के रूप में हुई थी।

पहले ‘उत्तराखंड’ उत्तरप्रदेश का राज्य ही एक भाग था। ‘उत्तर प्रदेश’ एक बहुत बड़ा राज्य था और वर्तमान ‘उत्तराखंड’ इसके उत्तर में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र था। इस पहाड़ी क्षेत्र में विकास की गति अत्यन्त धीमी थी और वर्षों से आंदोलन चल रहा था कि अलग उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया जाये ताकि इस क्षेत्र का उचित विकास हो सके। कई वर्षों के आंदोलन के पश्चात् वर्ष 2000 में ‘उत्तराखंड’ का निर्माण हुआ।

प्रश्न ये है कि जिस उद्देश्य हेतु राज्य का निर्माण हुआ क्या उस उद्देश्य का पूर्ति हुई?

इसका उत्तर होगा कि हम अभी तक उस लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाए हैं जिसको पाने के इस राज्य की स्थापना हुई थी अर्थात इस क्षेत्र का विकास।

राज्य का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाया है। रोजगार की दृष्टि से राज्य में पर्याप्त रोजगार नहीं है युवाओं को रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर रुख करना पड़ता है। शिक्षा का स्तर भी राज्य में उच्च स्तर का नही है।

अगर हम अपने सपनों के उत्तराखंड की कल्पना करें तो एक ऐसा उत्तराखंड होना चाहिए जिसमें पर्याप्त रोजगार हों राज्य के लोगों को रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े।

शिक्षा की स्तर अच्छा हो ताकि राज्य के लोग अच्छी क्वालिटी की शिक्षा प्राप्त कर अपनी प्रतिभा को निखार सकें। और उन्हे अच्छी शिक्षा की तलाश में अन्य राज्यों में न भटकना पड़े।

क्योंकि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है उत्तराखंड में अनेक तीर्थों की भरमार है जो कि राज्य की अनमोल धरोहर हैं। इन धरोहरों का उचित संरक्षण किया जाए।

औद्योगीकरण के नाम राज्य की प्राकृतिक संपदा से खिलवाड़ किया जा रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा जो कि किसी भी दृष्टि से उचित नही है।

राज्य प्राकृतिक संपदा से भरपूर है और पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण राज्य है। इसलिए राज्य की प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक सकारात्मक कदम उठाया जाए ताकि राज्य की आय में वृद्धि हो सके।

अपने सपनों का उत्तराखंड ऐसा हो जिसमें राज्य की संस्कृति और संपदा का पूर्णरूप से  समावेश हो, वो देवभूमि के रूप में अपनी पहचान को कायम रखे।

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