Essay on holi in hindi language for
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होली निबंध 7 (700 शब्द)
प्रस्तावना
होली रंगों का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल फागुन के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता है। ये ढेर सारी मस्ती और खिलवाड़ का त्योहार है खास तौर से बच्चों के लिये जो होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक रंगों की मस्ती में डूबे रहते है। हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा इसे पूरे भारतवर्ष में मार्च के महीने में मनाया जाता है खासतौर से उत्तर भारत में। ‘होली’ रंगों के इस पवन पर्व के आते ही मानो चेहरे पर एक अद्भुत सी मुस्कान दिखती है। होली को ना जाने लोगों ने कितने रूप दिए, बचपन की होली हो या बुढ़ापे की उल्लास हमेशा एक सी ही होती है। आप सब ने वह मशहूर गाना तो सुना ही होगा ‘होली के दिन दिल खिल जाते है रंगों में रंग मिल जाते है।’
होली क्यों मनाया जाता है?
सालों से भारत में होली मनाने के पीछे कई सारी कहानीयाँ और पौराणिक कथाएं है। इस उत्सव का अपना महत्व है, हिन्दू मिन्नतों के अनुसार होली का पर्व बहुत समय पहले प्राचीन काल से मनाया जा रहा है जब होलिका अपने भाई के पुत्र को मारने के लिये आग में लेकर बैठी और खुद ही जल गई। उस समय एक राजा था हिरण्य कश्यप जिसका पुत्र प्रह्लाद था और वो उसको मारना चाहता था क्योंकि वो उसकी पूजा के बजाय भगवान विष्णु की भक्ति करता था। इसी वजह से हिरण्य कश्यप ने होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा जिसमें भक्त प्रह्लाद तो बच गये लेकिन होलिका मारी गई।
जबकि, उसकी ये योजना भी असफल हो गई, क्योंकि वो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये प्रभु ने उसकी रक्षा की। षड्यंत्र में होलिका की मृत्यु हुई और प्रह्लाद बच गया। उसी समय से हिन्दू धर्म के लोग इस त्योहार को मना रहे है। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमें लकड़ी, घास और गाय के गोबर से बने ढेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इस आग में जलाता है। होलिका दहन के दौरान सभी इसके चारों ओर घूमकर अपने अच्छे स्वास्थ्य और यश की कामना करते है साथ ही अपने सभी बुराई को इसमें भस्म करते है। इस पर्व में ऐसी मान्यता भी है कि सरसों के उबटन से शरीर पर मसाज करने पर उसके सारे रोग और बुराई दूर हो जाती है साथ ही साल भर तक सेहत दुरुस्त रहती है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्योहार मनाया जाता है इस दिन बच्चे आपस में एक दूसरे को रंग लगाते हैं और सब की शुभकामनाएं लेते हैं और सब को बधाई देते हैं।
होलिका दहन की अगली सुबह के बाद, लोग रंग-बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिये एक जगह इकट्ठा हो जाते है। इसकी तैयारी इसके आने से एक हफ्ते पहले ही शुरु हो जाती है, फिर क्या बच्चे और क्या बड़े सभी बेसब्री से इसका इंतजार करते है और इसके लिये ढ़ेर सारी खरीदारी करते है। यहाँ तक कि वो एक हफ्ते पहले से ही अपने दोस्तों, पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे गुबारों से खेलना शुरु कर देते है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते है।
अपनेपन की होली
रंगो, खुशियों, मिठाइयों, एवं पकवानों से भरी इस त्यौहार को भाईचारे के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। होली उत्सव के एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है जिसमें होलिका को जला कर बुराई पर अच्छाई की जीत के उदाहरण दिया जाते है। होली भारत में मनाये जाने वाला एक खुशियों और रंगों से भरा पर्व है जो हिन्दुओं द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन बच्चे पिचकारी से एक दूसरे पर रंग डालते हैं और महिला एक दूसरे को रंग लगाते हैं और बहुत से अच्छे काम इस दिन किए जाते हैं जैसे कि आपस में गले मिलना और एक दूसरे को होली की शुभ कामना देना।
निष्कर्ष
इस त्यौहार में लोग आपस के मत-भेद भूल कर नई जीवन की शुरुआत के साथ अपने अंदर नई ऊर्जा को भी ले आते है। हिन्दुओं में सारा परिवार इस अनोखे पर्व का पूरे साल इंतजार करता है। हर जगह रंग ही रंग दिखाई देता है पूरा शहर रंगीन हो जाता है। और एक दूसरे को बहुत सारी खुशियां देता है। सबके घरों में तरह तरह के पकवान बनते है। शाम को सब एक दूसरे के घर जाते है और अबीर गुलाल लगते है।
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