essay on how children spent covid 19 pandemic in lockdown in Hindi
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अकेली बेटी के संग खुद बनी दोस्त
आलमबाग निवासी ऋचा शुक्ला ने बताया कि मेरी नौ साल की अकेली बेटी रेवा है। लॉक डॉउन की वजह से उसको मैं ना तो घर से बाहर निकलने दे रही हूं ना ही उसके दोस्तों को घर में आने दे रही हूं। ऐसे में इस वक्त मुझे ही उसकी दोस्त बन उसके साथ खेलना पड़ रहा और एक शिक्षिका जैसे उसको पढ़ाना भी पड़ रहा है। अपना पूरा दिन नए नए गेम्स खेलने डांस सिंगिंग और एक्सरसाइज करने में बिताती है।
घर में ही होती है धमा चौकड़ी
अमीनाबाद निवासी सरिता शर्मा ने बताया कि मेरे घर में 4 बच्चे हैं। स्विमिंग पूल, स्टेडियम और स्कूल बंद होने के कारण बच्चे घर में ही पढ़ाई कर रहे हैं और घर में ही खेल रहे हैं। हम लोगों ने छत पर ही बच्चों साथ मिलकर आर्टिफिशियल स्विमिंग पूल तैयार किया है और छत पर ही बैडमिंटन, क्रिकेट जैसे खेल खेलते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे बच्चों की पेंटिंग बहुत अच्छी है ऐसे में बच्चे क्ले पेंटिंग और वॉटर कलर का प्रयोग कर नई नई पेंटिंग बनाते हैं।
बेटे संग मिलकर बनाती नई डिश
कविता शुक्ला ने बताया कि मेरा बेटा सोमिल शुक्ला महज आठ साल के हैं ऐसे में इन दिनों वो अपनी पसंदीदा डिशों की फरमाइश करते हैं । मैं अपने बेटे संग मिलकर बेकिंग और नए पकवानों को बनती हूं।