India Languages, asked by guest2065, 10 months ago

essay on I like sanskrit in hindi.

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Answered by mastermaths55
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Sanskrit Language Day

संस्कृत भाषा का महत्व (Sanskrit Language Mahatv and information in hindi) –

संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है. संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है. यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है. भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है, और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.

आधुनिक युग मे संस्कृत की महत्ता (Importance of Sanskrit Language in modern world)

हम दुनिया में विदेशियों के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण मानते है, क्यूंकि इन्ही के द्वारा संस्कृत भाषा में निहित साहित्य की जानकारी पूरी दुनिया के सामने आ पाई है. सब 1783 में सर विलियम जॉन ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कलकत्ता आये थे. वे अंग्रेजी भाषाविद, संस्कृत में विद्वान और एशियाई सोसायटी के संस्थापक थे. उन्होंने कालिदास द्वारा संस्कृत में रचित कहानी ‘अभिज्नना शकुंतला’ एवं ‘रितु संहार’ को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था. इसके अलावा कवि जयदेव द्वारा रचित ‘गीता गोविंदा’ व मनु के कानून ‘मनुस्मृति’ को भी इंग्लिश भाषा में परिवर्तित किया. सन 1785 में एक अन्य विद्वान सर चार्ल्स विल्किंस ने ‘श्रीमद भगवत गीता’ को अंग्रेजी में लिखा. श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन यहाँ पढ़ें.

हितोपदेश भारतीय दंतकथाओं के संग्रह को एक जर्मन भाषाविद मैक्स मुलर ने संस्कृत से जर्मनी भाषा में ट्रांसलेट किया था. उन्होंने अपना नाम भी संस्कृत में बदल कर ‘मोक्ष मुलर भट’ कर लिया था. अपना नाम बदलना उनका संस्कृत के प्रति लगाव और उसकी पूजा करने का तरीका था. इसके द्वारा उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया था. कालिदास द्वारा रचित ‘मेघदूत’ को इन्होने जर्मनी में लिखा और उसे ‘दी फेटल रिंग’ नाम दिया. इसके अलावा भी मैक्स मुलर ने बहुत सी प्राचीन धार्मिक रचना का संपादन कर, उसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में 1879 से 1884 के दौरान प्रकाशित किया.

वेद और उपनिषद बस संस्कृत में नहीं लिखे गए थे, इसके अलावा भी संस्कृत को नौ ग्रहों, राहू, केतु धूमकेतु का ज्ञान था. संस्कृत में आयुर्वेद चिकत्सा, विमान का भी रहस्य छुपा हुआ था. वेद में सभी नौ गृह, महीने, दिन, मौसम के बारे में जानकारी थी, इससे प्रकृति की रचना के बारे में, मौसम के बारे में समझने में आसानी हुई.

संस्कृत दिवस मनाने का तरीका (Sanskrit Day Celebrated) –

सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपने इस कार्यक्रम से स्कूल, कॉलेज को भी जोड़ती है. स्कूल कॉलेज में अलग अलग कार्यक्रम होते है. शहर के सभी स्कूलों के बीच संस्कृत भाषा में निबंध, श्लोक, वाद-विवाद, गायन, पेंटिंग की प्रतियोगिता होती है. कुछ सामाजिक संसथान व मंदिरों के द्वारा भी इस दिन कार्यक्रम कराये जाते है. संस्कृत की रचना, श्लोक, पुस्तक लोगों में बाँटें जाते है. सरकार के द्वारा संस्कृत की भाषा को बढ़ाने के लिए किसी नई योजना की घोषणा होती है.

आज के समय में संस्कृत भाषा की स्थिति (Importance of sanskrit language in today’s world) –

आज के समय संस्कृत भाषा की परिस्थति ख़राब ही है. बहुत से पाठ्यक्रम से इसे हटा दिया गया है. संस्कृत भाषा का अध्ययन भारत देश में अनिवार्य नहीं है, जिससे अलग अलग राज्य अपने पाठ्यक्रम में अपनी इच्छा अनुसार, अपने राज्य की कोई भाषा पाठ्यक्रम से जोड़ लेते है. वैसे अब सरकार ने ये रुल निकाला है कि कक्षा छठवी से आठवी तक संस्कृत अनिवार्य है. केन्द्रीय विद्यालय ने भी ये रुल अपनाया है, और अपने पाठ्यक्रम में संस्कृत जोड़ा है. केन्द्रीय विद्यालय ने 2014 से हर साल ‘संस्कृत सप्ताह’ मनाने का भी तय किया है. इस दौरान सीबीएसई के सभी स्कूलों में संस्कृत सप्ताह मनाया जायेगा और संस्कृत भाषा से जुड़े कार्यक्रम होंगें. संस्कृत श्लोक एवं उसके हिंदी अर्थ यहाँ पढ़ें.

भारत के अलावा विदेश में भी संस्कृत भाषा प्रसिद्ध है, वहां के कॉलेज स्कूल में एक फोरेन भाषा के तौर पर संस्कृत को मान्यता प्राप्त है, जिसे छात्र अपनी इच्छा अनुसार चुन सकते है. जर्मनी, अमेरिका, लन्दन में ये ज्यादा प्रचलित है.

भारत में मौजूद संस्कृत यूनिवर्सिटी (List of sanskrit university in India) –

भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग है, जो संस्कृत भाषा में अध्ययन करते है. भारत में पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 में वाराणसी में खुली थी.

क्रमांक यूनिवर्सिटी का नाम सन जगह

1. सम्पूर्ण आनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 वाराणसी

2. सद्विद्या पाठशाला 1876 मैसूर

3. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी 1961 दरभंगा

4. राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ 1962 तिरुपति

5. श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ 1962 नई दिल्ली

6. राष्ट्रीय संस्कृत संसथान 1970 नई दिल्ली

7. श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी 1981 पूरी, उड़ीसा

8. नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी 1986 नेपाल

9. श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ संस्कृत 1993 कलादी, केरल

10. कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी 1997 रामटेक

11. जगद्गुरु रामानंदचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी 2001 जयपुर

12. श्री सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी 2005 सोमनाथ, गुजरात

13. महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय 2008 उज्जैन

14. कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी 2011 बैंग्लोर

इसके अलावा देश-विदेश के बहुत से कॉलेजों में संस्कृत पाठ्यक्रम के लिए अलग से डिपार्टमेंट होता है. बहुत से लोग यहाँ से ग्रेजुएशन के साथ साथ पोस्ट ग्रेजुएशन भी करते है.

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