Hindi, asked by tanu4168, 11 months ago

essay on id in hindi​

Answers

Answered by snakeeye86
1

Answer:

इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा।

ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं।

शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। दोनों ही ईद का शरीयत के अनुसार बहुत महत्व है साथ ही ईद सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग खासतौर पर ईद की शुभकामनाएं देते हैं।

ईद के दिन की एक विशेषता यह भी है कि शहर के लोग एक विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसके लिए वे शहर में एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, इसे ईदगाह कहा जाता है। इस नमाज़ के बाद सभी लोग गले मिलकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। ईद की खुशियां बच्चों में खासतौर पर देखी जा सकती है।

इस्लामिक मान्यता के अनुसार पवित्र माह रमजान की समाप्ति के लगभग सत्तर दिनों बाद मनाया जाने वाला कुरबानी की ईद का यह त्योहार इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है।

ADVERTISEMENT

वेबदुनिया पर पढ़ें


tanu4168: thanks
Answered by himanshushugmailcom
2

Answer: please mark as brainliest

इस्लाम में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। एक इस्लामिक कैलेंडर में दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा।

ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं।

शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। दोनों ही ईद का शरीयत के अनुसार बहुत महत्व है साथ ही ईद सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग खासतौर पर ईद की शुभकामनाएं देते हैं।

ईद के दिन की एक विशेषता यह भी है कि शहर के लोग एक विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसके लिए वे शहर में एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, इसे ईदगाह कहा जाता है। इस नमाज़ के बाद सभी लोग गले मिलकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। ईद की खुशियां बच्चों में खासतौर पर देखी जा सकती है।

इस्लामिक मान्यता के अनुसार पवित्र माह रमजान की समाप्ति के लगभग सत्तर दिनों बाद मनाया जाने वाला कुरबानी की ईद का यह त्योहार इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है।


tanu4168: thanks
himanshushugmailcom: ok
Similar questions