Hindi, asked by patelpooja9484, 3 months ago

essay on "If I would be the prime minister of India" in Hindi​

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Answered by priyadarsini33
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हमारा देश भारतवर्ष एक गणतंत्र देश है । यहां वयस्क मताधिकार के द्वारा कोई भी योग्य व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो , इस देश का प्रधानमंत्री बन सकता है । फिर भी भारत जैसे महान् लोकतंत्र देश का प्रधानमंत्री बनना वास्तव में बहुत गर्व और गौरव की बात है । प्रधानमंत्री बनने के लिए लम्बे और व्यापक जीवन अनुभवों का , राजनीतिक कार्यों और गतिविधियों का प्रत्यक्ष अनुभव रहना बहुत आवश्यक होता है । यद्यपि मेरे पास ये सब योग्यताएं व अनुभव नहीं हैं फिर भी मेरे मन में बार - बार यह बात आती है कि यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता , तो ? प्रधानमंत्री का दायित्व संभालते ही सबसे पहले मैं राष्ट्र की सुरक्षा की ओर ध्यान देना । इसके लिए मुझे देश की सैन्य शक्ति को मजबूत करना होगा । इस विशाल देश में जाति - पांति और धर्म के नाम पर होने वाले झगड़ा को समाप्त कर सभी भारतवासियों में एकता की भावना उत्पन्न करता । यदि में देश का प्रधानमंत्री बन जाऊं तो देश में प्रचलित उद्देश्य विहीन शिक्षा के स्थान पर व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा को प्रचलित कराऊंगा । देश में बेरोजगारी , निर्धनता , अज्ञानता और अन्धविश्वास जेसी अनेक समस्याएं हैं जो देश के तीव्र विकास में वाधक हैं , उनको हल करने का प्रयत्न करता । देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए भारतीय कृषि में स्थायी सुधारों की अत्यन्त आवश्यकता है , इसके बिना न तो खाद्य - समस्या का समाधान ही संभव है और न ही उद्योग तथा व्यापार की प्रगति ही संभव है । इसलिए मैं देश की कृषि को वैज्ञानिक पद्धति से बढ़ावा दूंगा । यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो सभी तरह की निर्माण - विकास योजनाएं इस तरह से लागू करवाता कि वे राष्ट्रीय संसाधनों से ही पूरी हो सकें । उनके लिए विदेशी धन एवं सहायता की प्राप्ति के लिए राष्ट्र की आन - बान को गिरवी न रखता । राष्ट्रीय - हितों , एकता और समानता की रक्षा , व्यक्ति के मान - सम्मान की रक्षा और नारी - जाति के साथ हो रहे अन्याय और अत्याचार का दमन मैं हर संभव उपाय से करता - करवाता । यदि मैं देश का प्रधानमंत्री होता तो देश के उत्थान के साथ - साथ समाज कल्याण की ओर विशेष ध्यान देता । दलित वर्ग , पीड़ित , अपाहिज व असहाय बन्धुओं को यथासंभव सहायता प्रदान करता । देश की प्रगति में बाधक मूल्यवृद्धि , मुनाफाखोरी , चोरबाजारी , भ्रष्टाचार और भिक्षावृत्ति जैसी मुख्य समस्याओं को जड़ से समाप्त करने का प्रयल करता । मानव का कल्याण ही मेरा एकमात्र उद्देश्य होता ।

Explanation:

hope it will help

Answered by saud79
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यदि मैं प्रधानमंत्री होता (निबंध) | If I Were the Prime Minister in Hindi!

हमारा राष्ट्र एक संप्रभुता संपन्न गणराज्य है । यहाँ की जनता अपना नेता चुनने के लिए स्वतंत्र है । हमारा अपना संविधान है । संविधान के अनुसार राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक माननीय राष्ट्रपति से केवल प्रमुख विषयों पर ही विचार-विमर्श किया जाता है अथवा अनुमति ली जाती है ।

इस प्रकार देश के प्रधानमंत्री का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद हो जाता है । देश के विकास संबंधी नीति-नियम तथा इसके संचालन के प्रमुख दायित्व एवं अधिकार प्रधानमंत्री के ही पास होते हैं । आज हमारे देश में घूसखोरी और रिश्वतखोरी दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है । यह कुप्रथा हमारे समस्त तंत्र को भीतर ही भीतर खोखला कर रही है ।

एक सामान्य निचले दर्जे के कर्मचारी से लेकर चोटी तक के शीर्षस्थ अधिकारी व नेता सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो पद ग्रहण करने के उपरांत सर्वप्रथम मेरा प्रयास यही होता, शासन में फैले भ्रष्टाचार व घूसखोरी को त्वरित गति से समाप्त करना ।

भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी व भाई-भतीजावाद आदि बुराइयाँ देश की प्रगति के मार्ग के प्रमुख अवरोधक हैं । मैं यह बात भी भली-भाँति समझता हूँ कि बिना इस पर अंकुश लगाए हमारी कार्य-योजनाएँ पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकती हैं क्योंकि गरीब व निचले दर्जे के उत्थान के लिए सरकार जो भी आर्थिक मदद मुहैया कराती है उसे उच्च अधिकारी व अन्य भ्रष्ट लोग गंतव्य तक पहुँचने ही नहीं देते ।

इसे रोकने के लिए सर्वप्रथम मैं यह व्यवस्था करूँगा कि भविष्य में अपराधी तत्व के लोगों को चुनाव टिकट न मिल सके अपितु वही लोग सत्ता में आ सकें जो गुणी एवं पद के लिए सर्वथा योग्य हों । इसके अतिरिक्त मेरा प्रयास होगा कि जनता का धन जो सरकार के पास कर तथा अन्य माध्यमों से जमा होता है उसका सदुपयोग हो । अपने मंत्रिपरिषद के समस्त मंत्रियों के वे खर्च रोक दिए जाने चाहिए जो आवश्यक नहीं हैं ।

इसके अतिरिक्त उन भ्रष्ट नेताओं, अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों के प्रति कड़ी कार्यवाई की जाएगी जो भ्रष्टाचार के आरोपी पाए जाते हैं । इसमें किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी भले ही वह किसी पद पर क्यों न हो, क्योंकि कानून की दृष्टि में सभी एक समान होते हैं ।

हमारे देश की दो-तिहाई से भी अधिक जनसंख्या गाँवों में निवास करती है जहाँ अधिकांश ऐसे लोग हैं जो आजादी के पाँच दशकों बाद भी गरीबी रेखा से नीचे रहकर जीवन-यापन कर रहे हैं । मेरी विकास योजनाओं का केंद्र बिंदु यही लोग हो

मेरा प्रयास होगा कि उन सभी को रोटी, कपड़ा एवं घर जैसी आधारभूत आवश्यकताएँ मुहैया कराई जा सकें ताकि ये भी देश के विकास में स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मस्तिष्क के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे आ सकें ।

आज का युग विज्ञान का युग है । हालाँकि पूर्व प्रधानमंत्रियों के शासनकाल में इस दिशा पर कुछ कार्य हुआ है परंतु अभी भी हम अन्य विकसित देशों की तुलना में विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए हैं । आज विज्ञान की प्रगति एवं देश की प्रगति दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं । मेरा यह प्रयास होगा कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ और इसका लाभ केवल नगरीय सीमाओं तक ही सीमित न रहे अपितु गाँवों व कस्बों तक पहुँचे ।

देश के लिए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज सरकारी खजाने का एक बहुत बड़ा हिस्सा हमारे रक्षा बजट में खर्च करना पड़ता है । यही धन यदि विकास कार्यों में लगे तो देश का विकास और तीव्र गति से होगा ।

मेरा प्रयास होगा कि अपने सभी पड़ोसी देशों से हमारे संबंध मधुर हों ताकि सभी स्वेच्छा से अपना-अपना रक्षा-व्यय घटाकर इस क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दें । विश्व मंच पर मैं विश्व शांति एवं निरस्त्रीकरण के अपने प्रयास में तेजी लाऊंगा ताकि मानव कल्याण की दिशा में और भी अधिक कार्य हो सके ।

मेरे पूर्व सभी प्रधानमंत्रियों ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से अपने भाषण के दौरान अपनी योजनाओं का खुलासा किया परंतु उसका आकलन करने का पता है अधिकांश योजनाएँ कागज पर ही रह जाती हैं तथा कथनी और करनी में समन्वय नहीं हो पाता है । मेरा प्रयास होगा कि हम जिन योजनाओं को अंतिम रूप देते हैं उन पर पूर्ण दृढ़ता के साथ अमल हो क्योंकि ऐसी समस्त योजनाओं में केवल समय एवं धन का अपव्यय होता है जिन पर अमल नहीं किया जाता है ।

प्रधानमंत्री का पद अत्यंत जिम्मेदारी का पद है । अल्प समय में बहुत कुछ करना होता है । मेरा पूर्ण प्रयास होगा कि मैं निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर देश के प्रति पूर्णतया समर्पित हो अपने उत्तरदायित्व का भली-भाँति निर्वाह करूँ तथा देश की गौरवशाली परंपरा व संस्कृति को कायम रख सकूँ । देश की जनता ने जिस आशा और विश्वास के साथ मुझे यह दायित्व सौंपा है मैं उन पर खरा उतर सकूँ क्योंकि, गाँधीजी के ही

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