Hindi, asked by naniashahanu280, 1 year ago

essay on if there would be no education in hindi

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Answered by mchatterjee
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वर्तमान समय में अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के अनुसार माध्यमिक स्तर तक मातृभाषा (क्षेत्रीय भाषा) को शिक्षा का माध्यम स्वीकार किया गया है, परंतु उच्च शिक्षा स्तर पर आज भी यह समस्या बनी है कि, क्या इस स्तर पर शिक्षा का माध्यम अँग्रेज़ी ही हो।अनेक महाविद्यालयों में अधिकांश विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान किया जा रहा है।ऐसा हिन्दी भाषी क्षेत्रों मे ही है. केंद्र शासित क्षेत्रों व केंद्रीय विश्व-विद्यालयों मे शिक्षा का माध्यम अँग्रेज़ी ही है. अनेक शिक्षा-संस्थाओं में हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा तथा अँग्रेज़ी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा प्रदान व प्राप्त की जाती है।

इस प्रकार अँग्रेज़ी और हिन्दी के मुद्दे पर फंसकर शिक्षा के माध्यम की भाषा एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है, और इस अनसुलझी समस्या ने शिक्षा के स्तर को एकदम निम्न स्थिति में पंहुचा दिया है।

समस्या के समाधान हेतु किए गये कार्यों का समालोचनात्मक मूल्यांकन---

विभिन्न आयोगों, समितियों और परिषदों द्वारा प्रस्तुत किए सुझावों में एक सुर में क्षेत्रीय भाषाओं या मातृभाषाओं को प्रथम स्थान प्रदान किया गया है. साथ ही लगभग सभी ने त्रिभाषा-सूत्र के पालन पर ज़ोर दिया है. इसके अलावा अँग्रेज़ी को धीरे-धीरे शिक्षा के माध्यम की मुख्य धारा से हटाने का भी सुझाव प्रस्तुत किया गया है. सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि एक तरफ लगभग सभी नीति-निर्माता इस बात पर सहमत हैं कि, भारत में ब्रिटिश काल के दौरान टुकड़े-टुकड़े में बँटे देश को, एक सूत्र में पिरोने का कार्य करने वाली एकमात्र भाषा अँग्रेज़ी ही रही है।अँग्रेज़ी भाषा की शिक्षा से ही भारतीय जनमानस में राष्ट्रप्रेम की भावना का उदय हुआ. साथ ही लगभग सभी का यह मानना है कि वैग्यानिक और वस्तुनिष्ठ आधुनिक अध्ययन के लिए अँग्रेज़ी भाषा का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है, परन्तु दूसरी तरफ इस तथ्य पर सभी ने ज़ोर दिया है कि, अँग्रेज़ी का मुख्य भाषा के रूप में अध्ययन राष्ट्रीय एकता के लिए ख़तरनाक सिद्ध हो सकता है. इसके अलावा त्रिभाषा-सूत्र के रूप में नीति-निर्माताओं ने लगातार एक अव्यवहारिक और अनावश्यक बोझ विद्यार्थियों के उपर लादने का कार्यक्रम तय किया है।नीति-निर्माताओं ने इस तथ्य पर गंभीरता से विचार नही किया कि अँग्रेज़ी को प्राथमिक शिक्षा से दूर रखकर तथा माध्यमिक शिक्षा में मात्र एक विषय के रूप में अध्ययन की भाषा बनाकर उच्च शिक्षा में वैगयानिकता, तथयपरकता और वस्तुनिष्ठता कैसे लाएँगे।
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