essay on ई कचरा in hindi in about 100 - 150 words
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Essay on ई कचरा :
इलेक्ट्रॉनिक क्रान्ति ने हमारे जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया है । विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक आविष्कारों के माध्यम से संचार तन्त्र को विस्तार एवं व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बड़े है ।
कम्प्यूर, रेफ्रिजरेटर एयर कण्डीशन, सेल्यूलर फोन, वाशिंग मशीन, कैमरा आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण ने मानव सभ्यता को नया आयाम दिया है, पर आज बढ़ी संख्या में खराब होने बाली इन्हीं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के अम्बार ने ई-कचरा के रूप में एक नई पर्यावरणीय समस्या को जन्म दिया है ।
यदि ई-कचरे की मात्रा दिनोंदिन इसी तरह से बढ़ती गई, तो आने वाले समय में पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पडेगा । ई-कचरा से तात्पर्य बेकार पड़े वैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से है, जो अपने अ उपयोग के उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं रह जाते । ई-कचरा को ई-अपशिष्ट भी कहा जाता है ।
इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में उपयोग आने वाले अधिकतर अवयवों में बायोडिग्रेडेबल होने की विशेषता नहीं पाई जाती है और न तो इनमें मिट्टी में धुल-मिल जाने का ही गुण होता है । इलेक्ट्रॉनिक रद्दी में लगभग 40: 30: 30 के आधार पर क्रमशः धातु, प्लास्टिक एवं अपवर्तित ऑक्साइड्स होते हैं ।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बहुत से रासायनिक तत्वों व यौगिकों से मिलकर बने हो सकते है । उदाहरणार्थ एक सेल्युलर फोन में 40 से भी अधिक तत्व विद्यमान रह सकते है । ई-कचरा में मुख्यतः लोहा, जस्ता, एल्यूमीनियम, सीसा, टिन, चाँदी, सोना, आर्सेनिक, गिलट, क्रोमियम, कैडमियम, पारा, इण्डियम, सैलिनियम, वैनेडियम, रुथेनियम जैसी धातुएँ मिली होती हैं ।
देश में ई-कचरे को कम करने हेतु कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है । बेकार हुए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कम्पनियाँ लेने को बाध्य हो ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए, पर सरकार के साथ-साथ उपभोक्ताओं की सजगता भी अत्यन्त आवश्यक है । यदि सरकार और जनता दोनों जागरूक हो जाएँ तो निश्चय ही भविष्य में ई-कचरे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकेगा ।
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