essay on importance of chaat puja in hindi.
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छठ पूजा
'छठ पूजा' हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिन तक चलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार एवं उत्तर प्रदेश तथा भारत के अन्य भागों में मनायी जाती है। यह त्यौहार पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, असम और मॉरिशस व नेपाल में भी मनाया जाता है।
छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। 36 घंटे के इस निर्जला व्रत के लिए भक्तजन पूर्व से ही तैयारियां प्रारम्भ कर देते है। भारत के पूर्वांचल हिस्से से शुरू हुए छठ पर्व की रौनक अब भारत के अनेक हिस्सों में दिखाई पड़ने लगी है। दीवाली के बाद से ही महिलाएं इस अनुष्ठान को लेकर तैयारियां शुरू कर देती है।
इस पर्व के पहले दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन करती हैं। दूसरे दिन छोटी छठ (खरना) को रात में रसियाव (गुड़ की खीर) का सेवन करके व्रत शुरू कर देती हैं। उसके अगले दिन दिनभर व्रत रखने के साथ ही डूबते सूर्य को अर्ध्य देती हैं। उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं। सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, इसका वरदान मांगती हैं।
छठ पर्व पर अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोग प्रसाद की व्यवस्था करते हैं। सात, ग्यारह, इक्कीस व इक्यावन प्रकार के फल-सब्जियों और अन्य पकवानों को बांस की डलिया में लेकर व्रती महिला के पति या फिर पुत्र घाट तक जाते हैं। घाट पर पंडित के माध्यम से पहले शाम को और फिर सुबह गाय के कच्चे दूध से भगवान् सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। घाट तक जाते समय महिलाऐं छठ मइया के गीतों को गाती हैं और सूर्य उपासना के बाद घाट पर दीपावली जैसा माहौल बन जाता है।
'छठ पूजा' हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिन तक चलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार एवं उत्तर प्रदेश तथा भारत के अन्य भागों में मनायी जाती है। यह त्यौहार पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, असम और मॉरिशस व नेपाल में भी मनाया जाता है।
छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। 36 घंटे के इस निर्जला व्रत के लिए भक्तजन पूर्व से ही तैयारियां प्रारम्भ कर देते है। भारत के पूर्वांचल हिस्से से शुरू हुए छठ पर्व की रौनक अब भारत के अनेक हिस्सों में दिखाई पड़ने लगी है। दीवाली के बाद से ही महिलाएं इस अनुष्ठान को लेकर तैयारियां शुरू कर देती है।
इस पर्व के पहले दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन करती हैं। दूसरे दिन छोटी छठ (खरना) को रात में रसियाव (गुड़ की खीर) का सेवन करके व्रत शुरू कर देती हैं। उसके अगले दिन दिनभर व्रत रखने के साथ ही डूबते सूर्य को अर्ध्य देती हैं। उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं। सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, इसका वरदान मांगती हैं।
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❤Hi friend.❤
If u need more ,than tell me .....I increase this essay....
HOpe it is helpful✅
TaNu✅
brainly benefactor ⭐⭐
Click thankyou ❤
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pineapplecompan:
need in 5 paragraph please increse ot
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