Essay on importance of cleanliness in english
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It is rightly said ‘cleanliness is next to godliness.’ Cleanliness means keeping our body, mind and everything around us clean. This is a good habit. It should be cultivated from early life.
Cleanliness refers to the habitual acts of keeping the dirt away, to maintain good health, following both personal and environmental hygiene practices. In simple words, it refers to the state of being clean.
Cleanliness of body is essential for good health. It is said that dirt and disease always go together. So for keeping good health we should have regular bath, we should clean our body, clothes and surroundings. We should also avoid dirty food.
Men of clean habits are liked by all. All dislike and avoid dirty men. Their dirty habits spread the germs of disease. Cleanliness of the body brings about the purity of mind. A neat and clean body with a clean mind is the abode of god.
Cleanliness refers to the habitual acts of keeping the dirt away, to maintain good health, following both personal and environmental hygiene practices. In simple words, it refers to the state of being clean.
Cleanliness of body is essential for good health. It is said that dirt and disease always go together. So for keeping good health we should have regular bath, we should clean our body, clothes and surroundings. We should also avoid dirty food.
Men of clean habits are liked by all. All dislike and avoid dirty men. Their dirty habits spread the germs of disease. Cleanliness of the body brings about the purity of mind. A neat and clean body with a clean mind is the abode of god.
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स्वच्छता एक ऐसा कार्य नहीं है जो पैसा कमाने के लिये किया जाए बल्कि, ये एक अच्छी आदत है जिसे हमें अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के लिये अपनाना चाहिये। स्वच्छता सबसे पुण्य का कार्य है जिसे जीवन का स्तर बढ़ाने के लिये एक बङी जिम्मेदारी के रुप में हर एक को अनुकरण करना चाहिये। हमें अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता, पालतु जानवरों की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता, अपने आस-पास की स्वच्छता, और कार्यस्थल की स्वच्छता आदि करनी चाहिये। हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिये और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिये पेड़ लगाना चाहिये।
ये कोई बाध्यकारी कार्य नहीं है लेकिन हमें इसे शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिये। ये हमें मानसिक, शारीरिक, समाजिक और बौद्धिक रुप से स्वस्थ रखता है। सभी के साथ मिलकर लिया गया कदम एक बड़े कदम के रुप में परिवर्तित हो सकता है। जब एक छोटा बच्चा सफलतापूर्वक चलना, बोलना, दौड़ना सीख सकता है, और यदि अभिभावक के द्वारा इसको बढ़ावा दिया जाए तो वो बहुत आसानी से स्वच्छता की आदत को बचपन से ग्रहण कर सकता है। तर्जनी के द्वारा माता-पिता अपने बच्चे को चलना सीखाते है क्योंकि ये पूरे जीवन को जीने के लिये बहुत जरुरी है। उन्हें जरुर समझना चाहिये कि स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिये भी बहुत जरुरी होता है इसलिये उन्हे अपने बच्चों में साफ-सफाई की आदत को डालना चाहिये। अपने बच्चों में स्वच्छता को लाना एक बड़ा कदम होगा। अत: अब पूर्ण स्वच्छता हमसे बहुत दूर नहीं है। ये केवल एक पीड़ी से 4 से 5 साल दूर है क्योंकि आधुनिक काल में हमारे छोटे से बच्चे बहुत समझदार है सभी चीजों को समझने के लिये।
ये कोई बाध्यकारी कार्य नहीं है लेकिन हमें इसे शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिये। ये हमें मानसिक, शारीरिक, समाजिक और बौद्धिक रुप से स्वस्थ रखता है। सभी के साथ मिलकर लिया गया कदम एक बड़े कदम के रुप में परिवर्तित हो सकता है। जब एक छोटा बच्चा सफलतापूर्वक चलना, बोलना, दौड़ना सीख सकता है, और यदि अभिभावक के द्वारा इसको बढ़ावा दिया जाए तो वो बहुत आसानी से स्वच्छता की आदत को बचपन से ग्रहण कर सकता है। तर्जनी के द्वारा माता-पिता अपने बच्चे को चलना सीखाते है क्योंकि ये पूरे जीवन को जीने के लिये बहुत जरुरी है। उन्हें जरुर समझना चाहिये कि स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिये भी बहुत जरुरी होता है इसलिये उन्हे अपने बच्चों में साफ-सफाई की आदत को डालना चाहिये। अपने बच्चों में स्वच्छता को लाना एक बड़ा कदम होगा। अत: अब पूर्ण स्वच्छता हमसे बहुत दूर नहीं है। ये केवल एक पीड़ी से 4 से 5 साल दूर है क्योंकि आधुनिक काल में हमारे छोटे से बच्चे बहुत समझदार है सभी चीजों को समझने के लिये।
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