essay on importance of toilet in hindi
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स्वच्छता एक अभियान नहीं बल्कि एक आदत है जो बचपन से ही हर मां-बाप अपने बच्चे के अंदर डालने की कोशिश करते हैं।
टायलेट यानी की शौचालय। जिस तरह जन्म लेते ही जन्म पत्रिका हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। वैसे ही शौचालय हर घर में होना आवश्यक है।
पहले की बात अलग थी। खुले में स्वच्छ करने परिवार के सभी लोग लोटा लेकर निकल पड़ते थे। तब शौच के लिए कोई अलग जगह होगी ४/८ फुट काम कौन जानता था।
शौचालय घर में होने से किसी को घर से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। बिना किसी शर्म के बहु -बेटियां शौच कर सकती है।
समाज में आज सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल मचा हुआ है। महिलाओं की आधी समस्या तो हर घर में शौचालय होने से कुछ कम होती है।
शौच घर में होने से मिट्टी प्रदूषण कम होगी। खुले में शौच करने से हर दिन की गंदगी का गंध भयानक बदबू से बच्चों को बीमार कर देता है।
इससे सुरक्षा मिलेगी।
टायलेट यानी की शौचालय। जिस तरह जन्म लेते ही जन्म पत्रिका हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। वैसे ही शौचालय हर घर में होना आवश्यक है।
पहले की बात अलग थी। खुले में स्वच्छ करने परिवार के सभी लोग लोटा लेकर निकल पड़ते थे। तब शौच के लिए कोई अलग जगह होगी ४/८ फुट काम कौन जानता था।
शौचालय घर में होने से किसी को घर से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। बिना किसी शर्म के बहु -बेटियां शौच कर सकती है।
समाज में आज सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल मचा हुआ है। महिलाओं की आधी समस्या तो हर घर में शौचालय होने से कुछ कम होती है।
शौच घर में होने से मिट्टी प्रदूषण कम होगी। खुले में शौच करने से हर दिन की गंदगी का गंध भयानक बदबू से बच्चों को बीमार कर देता है।
इससे सुरक्षा मिलेगी।
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