essay on independence day in Hindi language
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15 अगस्त, 1947 का दिन हमारे देश भारत के लिए बहुत ही भाग्यशाली का दिन था| 15 अगस्त हर भारतीय के लिए सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ दिन है| इस दिन 1947 को भारत ने ब्रिटिश राज्य से आजादी प्राप्त की थी| स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व महात्मा गांधी और बहुत से महान नेताओं ने किया और बहुत से आम लोगों ने भी इसमें भाग लिया था और बहुत से भारतीयों ने अपना जीवन भी बलिदान किया था| इसी दिन 45 करोड़ भारतीयों को विदेशी दास्ता से मुक्ति मिली थी| तब से प्रत्येक भारतीय स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाता आ रहा है|
सचमुच स्वतंत्रता के बिना जीवन व्यर्थ है पराधीन मनुष्य ना तो सुखी रह पाता है और ना ही अपनी इच्छाओं के अनुकूल जीवन व्यतीत कर पाता है| प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता है और यदि सदियों की परीतंत्रता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई हो तो ऐसी स्वतंत्रता का महत्व और भी बढ़ जाता है| हमारा देश भारत सदियों की परीतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था| इसी के उपलक्ष में इस दिन को हम हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं और यह हमारा राष्ट्रीय त्योहार है|
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स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में 15 अगस्त 1947 को यूनाइटेड किंगडम से देश की स्वतंत्रता की याद आती है, जिस दिन ब्रिटेन की संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 पारित किया और विधायी संप्रभुता को भारतीय संविधान सभा में स्थानांतरित किया। भारत ने अभी भी किंग जॉर्ज VI को राज्य के प्रमुख के रूप में बनाए रखा, जब तक कि यह पूर्ण गणतंत्र संविधान में परिवर्तित नहीं हो गया। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की और बड़े पैमाने पर अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा के लिए विख्यात हुए।
स्वतंत्रता भारत के विभाजन के साथ हुई, जिसमें ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान के धर्मों में विभाजित किया गया; विभाजन हिंसक दंगों और बड़े पैमाने पर हताहतों की संख्या और धार्मिक हिंसा के कारण लगभग 15 मिलियन लोगों के विस्थापन के साथ हुआ था। 15 अगस्त 1947 को, भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज उठाया। प्रत्येक बाद के स्वतंत्रता दिवस पर, निवर्तमान प्रधान मंत्री ने झंडे को उठाकर राष्ट्र को एक संबोधन दिया।