essay on independence day in hindi language
Answers
हमारे राष्ट्रीय त्योहारों में स्वाधीनता दिवस अगस्त का विशेष महत्त्व है । इसका महत्त्व सभी त्योहारों से सर्वाधिक है । इसी दिन हमने बरसों की गुलामी से मुक्ति पायी थी । अंग्रेज सरकार की गुलामी एवं अत्याचार से संत्रस्त जनता ने 15 अगस्त को स्वतन्त्रता की खुली हवा में सांस ली थी ।
हमें आजादी ऐसे ही नहीं मिली थी । यह आजादी हमें मिली थी अनेक अमर शहीदों, क्रान्तिकारियों, नेताओं तथा कुछ अनाम शहीदों के त्याग एवं समर्पण से । देश की आजादी में बाल-बच्चे, बूढ़े प्रत्येक स्त्री-पुरुष का भी योगदान था । यह आजादी हमें समस्त भारतवासियों के प्रयत्नों से मिली थी ।
यह आजादी हमें 1857 के क्रान्तिकारियों-नानासाहब, मंगलपाण्डे, तांत्याटोपे, बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, दादा भाई नौरोजी फिरोजशाह मेहता, वीर सावरकर, भाई राणा, लाला हरदयाल, जाकिर हुसैन, लाल लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस, राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी, तिलक, नेहरू, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद, चाफेकर बखु आदि ने दिलाई थी ।
15 अगस्त, 1947 को लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए देश के प्रथम प्रधानमन्त्री ने देशवासियों को सम्बोधित करते हुए आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक गुलामी से पूर्ण रूप से मुक्त होने का गर्व भरा सन्देश सुनाया था ।
15 अगस्त, अर्थात् स्वाधीनता दिवस हमें आजादी के गौरव को याद दिलाने के साथ-साथ यह भी स्मरण दिलाता है कि आजादी की लड़ाई में हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी सभी ने सक्रियता से भाग लिया था ।
यह हमारी एकता का ही प्रतिफल है कि हम अंग्रेजों की कैद से आजाद हुए । हमारी गुलामी की बेड़िया कटीं । इस आजादी की लड़ाई में नरम दल, गरम दल के देशभक्त क्रान्तिकारियों ने सक्रिय रूप से अपना योगदान दिया ।
आजादी की यह लड़ाई हम भारतीयों के लिए ही महत्त्व नहीं रखती है, यह लड़ाई तो दक्षिण अफ्रीका तथा मध्य एशिया एवं द॰पूर्व॰ एशिया के लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत के रूप में महत्त्व रखती है । अमर बलिदानी शहीदों की गाथाएं आज भी हमारे लिए प्रेरणा एवं आदर्श का एक ऐसा उदाहरण हैं, जो हमें याद दिलाता है कि व्यक्ति से बढ्कर देश होता है ।
अपने देश के लिए अपने स्वार्थो का बलिदान कर देना ही सच्ची राष्ट्रीयता कहलाता है । यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है । भारत की सार्वभौमिक एकता, उसके राष्ट्रीय गौरव की दृष्टि से स्वतन्त्रता दिवस का महत्त्व हमारे लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ।
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में 15 अगस्त 1947 को यूनाइटेड किंगडम से देश की स्वतंत्रता की याद आती है, जिस दिन ब्रिटेन की संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 पारित किया और विधायी संप्रभुता को भारतीय संविधान सभा में स्थानांतरित किया। भारत ने अभी भी किंग जॉर्ज VI को राज्य के प्रमुख के रूप में बनाए रखा, जब तक कि यह पूर्ण गणतंत्र संविधान में परिवर्तित नहीं हो गया। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की और बड़े पैमाने पर अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा के लिए विख्यात हुए।
स्वतंत्रता भारत के विभाजन के साथ हुई, जिसमें ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान के धर्मों में विभाजित किया गया; विभाजन हिंसक दंगों और बड़े पैमाने पर हताहतों की संख्या और धार्मिक हिंसा के कारण लगभग 15 मिलियन लोगों के विस्थापन के साथ हुआ था। 15 अगस्त 1947 को, भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज उठाया। प्रत्येक बाद के स्वतंत्रता दिवस पर, निवर्तमान प्रधान मंत्री ने झंडे को उठाकर राष्ट्र को एक संबोधन दिया।