Essay on India After Independence in hindi.In 200 words.Today at 8:00 Pm submit karna hai.please help me agar nahi aata toh dusre users ko likhne de dijiye please.
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लगभग 200 वर्ष के कठोर संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत माता के क्षितिज पर स्वतंत्रता रूपी सूर्य का उदय हुआ था और हमारी अपनी सरकार सत्ता में आई ।
युगों की चिर निंद्रा के बाद भारत में नए जीवन का संचार हुआ, परंतु स्वतंत्रता पंजाब, सिन्ध और बंगाल के लोगों के लिए असीम दु:ख और पीड़ा अपने साथ लाई थी । बहुत से पुरुष, महिलाएं और बच्चे उस साम्प्रदायिक उन्माद का शिकार हो गए जो उस समय सारे देश में फैल गया था ।
स्वतंत्रता के शैशव काल में ही हमारे देश को बड़ी कठिन और जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा । देश का विभाजन हो गया और लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा था । हमारी सरकार को उनका पुनर्वास करना पड़ा । उसी समय पाकिस्तान ने कबायली लोगों से कश्मीर पर हमला करवा दिया जबकि कश्मीर भारत में मिल गया था और भारत का एक अंग बन गया था ।
हैद्राबाद के रजवाड़ों ने हमारी सरकार के विरूद्ध विद्रोह कर दिया । दूसरे राजा-महाराजाओं ने भी स्वतंत्र राज्य बनाने के प्रयास किए । परन्तु ईश्वर का शुक्र है कि हमारे महान् नेताओं की सहायता से ये सभी कठिनाइयाँ दूर हो गई ।
स्वतंत्र भारत की प्रथम उपलब्धि देश की विभिन्न इकाइयों को इकट्ठा करना और लगभग 6 सौ राजाओं की रियासतों को देश में मिलाना था । उसने देश और उसके लोगों को एक कर दिया । 26 जनवरी 1950 को एक नए संविधान के अपनाए जाने के बाद भारत को एक ‘गणतंत्र देश’ घोषित कर दिया गया था ।
इसमें इसके सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारे का आश्वासन दिया गया । इसमें हिन्दी को राष्ट्रभाषा और अन्य 18 भाषाओं को प्रादेशिक भाषा घोषित किया गया । इसमें यह घोषणा भी की गई कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और यहाँ पर धर्म, वंश, जाति अथवा मत के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नही किया जाएगा ।
पिछले चार दशकों में, सामान्य वयस्क मताधिकार के आधार पर दस बार आम चुनाव हो चुके है । 1989 में हुए चुनाव के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय मोर्चे की सरकारें केन्द्र तथा कई राज्यों में बनी । केन्द्र और राज्यों में सत्ता का स्थानान्तरण शांतिपूर्ण ढंग से होना, भारत में राजनीति का स्वरूप पूरी तरह से प्रजातांत्रिक होने का सूचक है।
Explanation:
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स्वतंत्रता के बाद भारत को एक बिखरी अर्थव्यवस्था, व्यापक निरक्षरता और चौंकाने वाली गरीबी का सामना करना पड़ा।
समकालीन अर्थशास्त्रियों ने भारत के आर्थिक विकास के इतिहास को दो चरणों में विभाजित किया है – पहला आजादी के बाद 45 साल का और दूसरा मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के दो दशकों का। पहले के वर्षों में मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था के आर्थिक उदारीकरण के उन उदाहरणों से चिह्नित किया गया था जिसमें अर्थपूर्ण नीतियों की कमी के कारण आर्थिक विकास स्थिर हो गया था।
भारत में उदारीकरण और निजीकरण की नीति की शुरूआत से आर्थिक सुधार आया है। एक लचीली औद्योगिक लाइसेंसिंग नीति और एक सुगम एफडीआई नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ देना शुरू कर दिया। 1991 के आर्थिक सुधारों के प्रमुख कारक एफडीआई के कारण भारत के आर्थिक विकास में वृद्धि हुई, सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने से घरेलू खपत में वृद्धि हुई।स्वतंत्रता के बाद भारत को एक बिखरी अर्थव्यवस्था, व्यापक निरक्षरता और चौंकाने वाली गरीबी का सामना करना पड़ा।
समकालीन अर्थशास्त्रियों ने भारत के आर्थिक विकास के इतिहास को दो चरणों में विभाजित किया है – पहला आजादी के बाद 45 साल का और दूसरा मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के दो दशकों का। पहले के वर्षों में मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था के आर्थिक उदारीकरण के उन उदाहरणों से चिह्नित किया गया था जिसमें अर्थपूर्ण नीतियों की कमी के कारण आर्थिक विकास स्थिर हो गया था।
भारत में उदारीकरण और निजीकरण की नीति की शुरूआत से आर्थिक सुधार आया है। एक लचीली औद्योगिक लाइसेंसिंग नीति और एक सुगम एफडीआई नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ देना शुरू कर दिया। 1991 के आर्थिक सुधारों के प्रमुख कारक एफडीआई के कारण भारत के आर्थिक विकास में वृद्धि हुई, सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने से घरेलू खपत में वृद्धि हुई।
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