essay on indian farmer in sanskrit
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एक भारतीय किसान समाज के सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक है। वह सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए लोगों को भोजन देने वाला है
वह सुबह जल्दी उठकर अपने खेतों में जाता है आजकल कई राज्यों में, किसानों की मदद से खेतों की खेतों की खेती लगभग ही खत्म हो चुकी है, किसान जो कि गरीब हैं, ट्रैक्टर खरीदने के लिए गरीब हैं।
किसान के पास कई तरह के काम हैं। वह अपने खेतों को हल करता है वह बीज बोता है वह नियमित रूप से खेतों को जलता है उन्हें फसल का ख्याल रखना होगा उन्हें ओलों और ठंढ के विरुद्ध उन्हें बचाने की जरूरत है उन्हें खाद और उर्वरक लगाने की जरूरत है।
उन्होंने कीटनाशक और कीटनाशकों के खिलाफ कीटनाशकों और कीटनाशकों के खिलाफ फसलों की रक्षा के लिए छिड़कना भी है।
वह सुबह जल्दी उठकर अपने खेतों में जाता है आजकल कई राज्यों में, किसानों की मदद से खेतों की खेतों की खेती लगभग ही खत्म हो चुकी है, किसान जो कि गरीब हैं, ट्रैक्टर खरीदने के लिए गरीब हैं।
किसान के पास कई तरह के काम हैं। वह अपने खेतों को हल करता है वह बीज बोता है वह नियमित रूप से खेतों को जलता है उन्हें फसल का ख्याल रखना होगा उन्हें ओलों और ठंढ के विरुद्ध उन्हें बचाने की जरूरत है उन्हें खाद और उर्वरक लगाने की जरूरत है।
उन्होंने कीटनाशक और कीटनाशकों के खिलाफ कीटनाशकों और कीटनाशकों के खिलाफ फसलों की रक्षा के लिए छिड़कना भी है।
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भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है। गाँववालों का मुख्य धंधा खेती है। इसलिए भारत की जनसंख्या में किसान अधिक हैं। किसानों की दशा बहुत अधिक विपत्तिग्रस्त है।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
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