Hindi, asked by kadiyalaa6640, 1 year ago

Essay on indian judicial system in hindi

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Answered by Jaiswal601
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देश की जनता को किसी प्रकार की तकलीफ न हो, शासन सुचारू रूप से चले, सबके मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें, धर्म-जाति के नाम पर विवाद न हों । इन सभी बातों का ध्यान हमारे संविधान निर्माताओं ने रखा, परन्तु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि स्वार्थ के लिए हमारे राजनेताओं ने संविधान को मनमर्जी से तोड़ा-मरोड़ा ।

कई मामलों में संविधान की भावना का उल्लंधन भी किया गया । यह न्यायपालिका ही थी जिसने देश की लाज रख ली, अन्यथा विदेशों में देश की थू-थू हो रही थी ।

चिन्तनात्मक विकास:


संविधान निर्माताओं ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का गठन इसलिए किया था कि जन प्रतिनिधियों द्वारा बनाए गए कानूनों का फायदा जनता बखूबी उठा सके l उसमें किसी प्रकार की अड़चन न आयें । संविधान में व्यवस्था की गई है कि विधानपालिका विधि निर्माण करे, कार्यपालिका विधियों का कार्यान्वयन और प्रशासन की देख-रेख करे तथा न्यायपालिका विवादों का फैसला और विधियों की व्याख्या करे, किन्तु ऐसा आज तक नहीं हुआ ।

तीनों अंगों के समन्वयकारी मिलन से ही आधुनिव ? राज्य व्यवस्था का प्राधिकरण बनता है । विधायिका पथभ्रष्ट हो रही है और कार्यपालिका अपने कार्य क्यों नहीं ठीक प्रकार से कर पा रही ? कहा जाए तो सिर्फ नीतियों की विसंगतियाँ, भ्रष्टाचार, घोटालों का होना और उसका खुलकर उभर आना भर ही तथ्य नहीं है तथ्य यह भी है कि इस पूरी प्रक्रिया में उसी व्यवस्था को जिलाये रखने के प्रयास भी हो रहे हैं जिसकी वजह से न्यायपालिका को इतर जिम्मेदारियाँ उठानी पड़ रही हैं ।

उपसंहार:

न्यायिक सक्रियता के सम्बंध में केवल इतना कहना पर्याप्त होगा कि यह सम्पूर्ण सक्रियता नहीं है, न ही यह स्थायी है । भारत की सम्पूर्ण न्यायिक सक्रियता की सार्थकता उस समय जानी-मानी जाएगी जब भारतीय समाज में भारतीय संविधान रूपी तिरंगा (विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) लहराएगा ।
Answered by Riya1045
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भारतीय न्यायपालिका के तीन भाग हैं- सर्वोच्च न्यायालय, राज्य न्यायपालिका, अधीनस्थ न्यायालय तथा लोक अदालत। देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए न्यायपालिका का होना बहुत आवश्यक है। यह आम कानून पर आधारित व्यवस्था है। यह व्यवस्था अंग्रेजों ने बनाई थी।

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