essay on क्रिकेट मैच का आत्म देखा वर्णन। plz search it. vvvvvvvfast
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भूमिका- यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने सही कहा था- ‘स्वस्थ शारीर में ही स्वस्थ मस्तिषक का निवास होता है |’ शारीरिक और मानसिक विकाश के लिए खेल परम आवश्यक हैं | खेल खेलना और खेल देखना दोनों ही रोचक होते हैं | दर्शकों का हजूम न हो तो खिलाडी में उत्साह और जितने की ललक पैदा नही होती है | मुझे कक्रिकेट से विशेष प्रेम है, इसलिए शहर में जब भी क्रिकेट मैच होता है, मैं अवश्य वहाँ पहुँचता हुँ |
विस्तार- भारत और पाकिस्तान के बिच होने वाले मैच देखना मुझे बहुत पसंद है | इस मैच को देखने में खेल का आनंद तो होता ही है , साथ ही देश-प्रेम का एक अजीब-सा ज़ज्बा भी अंदर-ही अंदर हिलोरे लेने लगता है | भले ही हम दोनों देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हों, पर खेल के मैदान में हम केवल खिलाड़ी होते हैं; जिनके सामने एक ही लक्ष्य होता है- अपने देश को विजय-श्री दिलवाना | स्टेडियम खचाखच भरा था, दर्शको के हाथो में भारतीय तिरंगा लहरा-राहे थे | कुछ दुरी पर पाकिस्तान कि टीमो के समर्थान भी चाँद-तारों वाले झंडे लहरा रहे थे | ठीक दस बजते ही दोनों देशों के टीम मैदान पर उतरे | दोनों देशों के कप्तान के सामने टॉस हुआ और टॉस पाकिस्तान ने जीता | पाकिस्तान के इमरान नज़ीर और कामरान अकमल बल्ला लेकर मैदान में उतरें | भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी टीम के खिलाड़ियों को रणनीति के तहत अपने-अपने स्थान पर भेजा और गेंद इशांत शर्मा को थमा दिया | खेल शुरू हुआ | पहले पाँच ओवरों में ही उन्होंने 27 रन बना लिया | दस ओवर होते-होते उनके 54 रन बन चुके थे | हमारे गेंदबाज जी-जान से उन्हें आउट करने की कोसिस में लगे थे |
भारतीय गेंद बाजों की सुरुआत खास अच्छी नहीं थी | ज़ाहिर खान में दुसरे ओवर में दो नोबॅल और दो वाइट् गेंदों के साथ बारह रन विरोधी टीम के खाते में जोर दिए थे | आशिष नेहरा को गेंद करने के लिए मैदान में उतरा गया | पहले गेंद में ही नज़ीर ने चौका जड़ दिया | 15वें ओवर में हरबजन सिंह को आजमाया गया | उन्होंने रनों की तेज़ रफ़्तार को थोड़ा थामा |सबसे ज्यादा खुशी का पल वह था, जब हरभजन सिंह के गेंद पर सहवाग ने थ्रो करके पाकिस्तान के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ अफरीदी को रन आउट किया | धराधर रन बनाते अकरम को श्रीशांत ने जब आउट किया, तब जाकर अपने कप्तान धोनी ने चैन ली | पारी ख़त्म होते-होते पाकिस्तान ने 293 रन बना लिया, इनमे नज़ीर के 101 रन थे | भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी |
भारतीय टीम अपनी पारी खेलने के लिय मैदान में उतरी | उनके चहरे पर चमक थी | जवाब देना था | हमारी धरकने तेज़ होने लगी | हमारे दो दिग्गज मैदान में थे – ‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग | सुरुआत अक्रमक थी | दोनों ने पहले पाँच ओवर में ही पचास रन बना डाले | दर्शक खुशी से झूम उठे | स्टेडियम में भारतीय ध्वज लहराने लगे | तालियों की गड़गड़ाहट आकाश गुँझ उठा | दर्शक ख़ुशी से नाचने लगे | सहवाग ने रन तेज़ी से बनाए, लेकिन वे जल्दी ह आउट हो गये और केवल 41 रन ही बना पाए |
इस मैच का सबसे स्मरणीय क्षण था, जब सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अपना 41वाँ शतक बनाया | उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में अपना बल्ला ऊपर उताकर आकाश की ओर देखा, मनो भगवाल की कृपया का दन्यवाद कर रहे थे | कुछ उत्साही सचिन-प्रेमी मैदान में उन्हें गले लगाने को दौरे , लेकिन उन्हें बिच में ही रोक लिया गया | अब सारा दरोमदार शेष बचे खिलाड़िओं पर था | उन्होंने इस चुनौतिओ को स्वीकार करते हुए अच्चा प्रदर्शन किया अंततः हमें विजय-श्री दिलवाई | दर्शक झूम उठे | खिलाडियों ने दौड़कर ओने साथी खिलाडिओं को गोद में उठा लिया | चरों ओर जश्न का माहोल बन गया |
उपसंहार- यह रोमांचक जीत आज भी मेरी यादों में बसी है | क्रिकेट मैच तो इसके बाद भी कई बार देखे, लेकिन इस मैच की तरह मज़ा नहीं था | उस दिन जीत की खुशी में कोई भी हिन्दुस्तानी नही सोया |इस जीत को हम सबने दिवाली की तरह मनाया | इस मैच ने यह भी सिद्ध क्र दिया की खेल को खेल-की भावनाओ से खेला जाए तो जुरूर कामयाबी हाथ लगती है और हार को जीत में बदला जा सकता हैं
विस्तार- भारत और पाकिस्तान के बिच होने वाले मैच देखना मुझे बहुत पसंद है | इस मैच को देखने में खेल का आनंद तो होता ही है , साथ ही देश-प्रेम का एक अजीब-सा ज़ज्बा भी अंदर-ही अंदर हिलोरे लेने लगता है | भले ही हम दोनों देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हों, पर खेल के मैदान में हम केवल खिलाड़ी होते हैं; जिनके सामने एक ही लक्ष्य होता है- अपने देश को विजय-श्री दिलवाना | स्टेडियम खचाखच भरा था, दर्शको के हाथो में भारतीय तिरंगा लहरा-राहे थे | कुछ दुरी पर पाकिस्तान कि टीमो के समर्थान भी चाँद-तारों वाले झंडे लहरा रहे थे | ठीक दस बजते ही दोनों देशों के टीम मैदान पर उतरे | दोनों देशों के कप्तान के सामने टॉस हुआ और टॉस पाकिस्तान ने जीता | पाकिस्तान के इमरान नज़ीर और कामरान अकमल बल्ला लेकर मैदान में उतरें | भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी टीम के खिलाड़ियों को रणनीति के तहत अपने-अपने स्थान पर भेजा और गेंद इशांत शर्मा को थमा दिया | खेल शुरू हुआ | पहले पाँच ओवरों में ही उन्होंने 27 रन बना लिया | दस ओवर होते-होते उनके 54 रन बन चुके थे | हमारे गेंदबाज जी-जान से उन्हें आउट करने की कोसिस में लगे थे |
भारतीय गेंद बाजों की सुरुआत खास अच्छी नहीं थी | ज़ाहिर खान में दुसरे ओवर में दो नोबॅल और दो वाइट् गेंदों के साथ बारह रन विरोधी टीम के खाते में जोर दिए थे | आशिष नेहरा को गेंद करने के लिए मैदान में उतरा गया | पहले गेंद में ही नज़ीर ने चौका जड़ दिया | 15वें ओवर में हरबजन सिंह को आजमाया गया | उन्होंने रनों की तेज़ रफ़्तार को थोड़ा थामा |सबसे ज्यादा खुशी का पल वह था, जब हरभजन सिंह के गेंद पर सहवाग ने थ्रो करके पाकिस्तान के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ अफरीदी को रन आउट किया | धराधर रन बनाते अकरम को श्रीशांत ने जब आउट किया, तब जाकर अपने कप्तान धोनी ने चैन ली | पारी ख़त्म होते-होते पाकिस्तान ने 293 रन बना लिया, इनमे नज़ीर के 101 रन थे | भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी |
भारतीय टीम अपनी पारी खेलने के लिय मैदान में उतरी | उनके चहरे पर चमक थी | जवाब देना था | हमारी धरकने तेज़ होने लगी | हमारे दो दिग्गज मैदान में थे – ‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग | सुरुआत अक्रमक थी | दोनों ने पहले पाँच ओवर में ही पचास रन बना डाले | दर्शक खुशी से झूम उठे | स्टेडियम में भारतीय ध्वज लहराने लगे | तालियों की गड़गड़ाहट आकाश गुँझ उठा | दर्शक ख़ुशी से नाचने लगे | सहवाग ने रन तेज़ी से बनाए, लेकिन वे जल्दी ह आउट हो गये और केवल 41 रन ही बना पाए |
इस मैच का सबसे स्मरणीय क्षण था, जब सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अपना 41वाँ शतक बनाया | उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में अपना बल्ला ऊपर उताकर आकाश की ओर देखा, मनो भगवाल की कृपया का दन्यवाद कर रहे थे | कुछ उत्साही सचिन-प्रेमी मैदान में उन्हें गले लगाने को दौरे , लेकिन उन्हें बिच में ही रोक लिया गया | अब सारा दरोमदार शेष बचे खिलाड़िओं पर था | उन्होंने इस चुनौतिओ को स्वीकार करते हुए अच्चा प्रदर्शन किया अंततः हमें विजय-श्री दिलवाई | दर्शक झूम उठे | खिलाडियों ने दौड़कर ओने साथी खिलाडिओं को गोद में उठा लिया | चरों ओर जश्न का माहोल बन गया |
उपसंहार- यह रोमांचक जीत आज भी मेरी यादों में बसी है | क्रिकेट मैच तो इसके बाद भी कई बार देखे, लेकिन इस मैच की तरह मज़ा नहीं था | उस दिन जीत की खुशी में कोई भी हिन्दुस्तानी नही सोया |इस जीत को हम सबने दिवाली की तरह मनाया | इस मैच ने यह भी सिद्ध क्र दिया की खेल को खेल-की भावनाओ से खेला जाए तो जुरूर कामयाबी हाथ लगती है और हार को जीत में बदला जा सकता हैं
Nivedirathore2003:
thank u so much
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