Essay on kalidasa in hindi
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विद्वानों का कहना है कि संभव है कि कालिदास हिमालय के पास, उज्जैन के करीब कलिंग में रहते होंगे। इसीलिए उन्होंने 'कुमारसंभव' में हिमालय का विस्तृत वर्णन करा है, 'मेघदूत' में उज्जैन के लिए अत्यंत प्रेम और 'रघुवंश' में कलिंग के सम्राट हेमंगद की बहुत प्रशंसा करी है।
अनेक प्राचीन और मध्य काल की पुस्तकें बताती हैं कि कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार के कवि थे। कुछ लोग कहते हैं कि कालिदास चन्द्रगुप्त II के समय में थे।
कालिदास ने तीन प्रसिद्ध नाटक लिखे। जिनमें 'अभिज्ञानशकुंतलं' सबसे श्रेष्ठ है। यह राजा दुष्यंत और शकुंतला की कहानी है। 'मालविकाग्निमित्रं' में राजा अग्निमित्र और मालविका की कहानी बताई गयी है। 'विक्रमुर्वशियं' में कालिदास ने राजा विक्रम और उर्वशी की कहानी बताई है।
कालिदास का भारतीय साहित्य और अनेक संस्कृत की कृतियों पर प्रभाव पड़ा। रबिन्द्रनाथ टैगोर भी उनसे काफी प्रभावित हुए। उनके संस्कृत नाटकों का यूरोप के साहित्य पर भी प्रभाव हुआ।