Essay on kazi house in hindi
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पशु क्रूरता को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार भले ही गंभीर हो, लेकिन निगम प्रशासन लापरवाह है। इसकी बानगी नगर निगम के कांजी हाउस में देखी जा सकती है। यहां पर पशुओं के लिए न तो कोई उचित स्थान है और न ही चारा और पानी का प्रबंध। ऐसे में वहां बंद पशुओं को छोड़े जाने तक भूखे ही रहना पड़ता है। जबकि नगर निगम से कांजी हाउस के लिए पांच लाख रुपये वार्षिक खर्च का इंतजाम है।
भूल गए कान्हा पशु आश्रय योजना
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल एक रिट के बाद पशु क्रूरता को खत्म कराने के लिए अत्याधुनिक कांजी हाउस निर्माण के निर्देश दिए थे। इसके बाद तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कान्हा पशु आश्रय योजना संचालित की थी। लेकिन उसका आज तक क्रियांवयन नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी फाइलों में दबकर रह गए।
कान्हा योजना के तहत ये होनी हैं सुविधाएं
कांजी हाउस में पशुओं के रहने के लिए अलग-अलग शेड।
पीने के पानी की उचित व्यवस्था।
पशुओं के लिए भूसा यानी चारा रखने की व्यवस्था।
कांजी हाउस के भीतर ही बायो गैस प्लांट स्थापना।
शेड के ऊपर सौर ऊर्जा प्लांट से पेयजल व प्रकाश व्यवस्था।
कर्मचारी के रहने के लिए आवास और एक ऑफिस।
पशुओं के उपचार के लिए पशु चिकित्सक की व्यवस्था।
नगर निगम के जिम्मे चारे की व्यवस्था
कांजी हाउस में आने वाले प्रत्येक पशुओं के चारे की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। इसके लिए नगर निगम मूल बजट में ही व्यवस्था करता है। प्रत्येक वर्ष कांजी हाउस में पशुओं के चारे की व्यवस्था के लिए पांच लाख का बजट रखते हैं। जो नगर निगम की बोर्ड बैठक में पास होता है।