essay on kerala flood in hindi
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भयंकर बारिश और भीषण बाढ़ की त्रासदी झेलने के बाद केरल सरकार अब उन तमाम जगहों की सफाई के मुश्किल और महती काम में जुट गयी है जहां से बाढ़ का पानी उतर गया है।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, देश के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित इस राज्य में बाढ़ की त्रासदी ने 231 लोगों की जान ली है और बड़े पैमाने पर धनहानि पहुंचायी है। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि राज्य सरकार ने बाढ़ का पानी उतरने के बाद मकानों, सार्वजनिक स्थलों और अन्य जगहों पर जमा मलबे की सफाई के लिहाज से एक नियंत्रण कक्ष बनाया है। इसका लक्ष्य पूरे राज्य में सफाई प्रक्रिया की निगरानी करना है। सफाई की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को सौंपी गयी है।
कचरा प्रबंधन, ऑर्गेनिक कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाला हरित केरल मिशन भी इस सफाई प्रक्रिया में सहायता करेगा। मिशन कल से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 50 पम्प सेट लगाएगा। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की ओर से तैनात कर्मचारियों के अलावा 50,000 स्वयं सेवक भी मकानों और सार्वजनिक जगहों पर जमा बाढ़ का कचरा साफ करने में मदद करेंगे।
पानी उतरने के बाद लोग अपने-अपने घरों को लौटना शुरू हो गये हैं, लेकिन अब भी 13.43 लाख से ज्यादा लोग 3,520 राहत शिविरों में रह रहे हैं। आपदा के दौरान लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे और राहत कार्यों की स्वयं निगरानी करते रहे मुख्यमंत्री पिनरई विजयन आज राज्य के विभिन्न राहत शिविरों में जाएंगे।
जल संसाधन मंत्री मैथ्यू टी. थॉमस ने बताया कि केरल जल संसाधन प्राधिकरण ने प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पेय जल मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान 1,089 जलापूर्ति लाइनें प्रभावित हुई थीं। इनमें से 800 से ज्यादा को सुधार लिया गया है जबकि अन्य को जल्दी ही ठीक कर लिया जाएगा।
हालांकि चारों ओर से मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में दान और राहत सामग्री आ रही है, लेकिन विदेश से मिलने वाली सहायता को लेकर राजनीतिक विवाद जरूर पैदा हो गया है। राज्य की माकपा नीत एलडीएफ सरकार का कहना है कि विदेश से मिलने वाली सहायता स्वीकार की जानी चाहिए, जबकि ऐसी सूचना है कि केन्द्र द्वारा सहायता स्वीकार किये जाने की संभावना बेहद कम है।
संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा केरल को बाढ़ सहायता राशि के रूप में करीब 700 करोड़ रुपये देने की पेशकश के बाद यह मुद्दा उठा है।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, देश के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित इस राज्य में बाढ़ की त्रासदी ने 231 लोगों की जान ली है और बड़े पैमाने पर धनहानि पहुंचायी है। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि राज्य सरकार ने बाढ़ का पानी उतरने के बाद मकानों, सार्वजनिक स्थलों और अन्य जगहों पर जमा मलबे की सफाई के लिहाज से एक नियंत्रण कक्ष बनाया है। इसका लक्ष्य पूरे राज्य में सफाई प्रक्रिया की निगरानी करना है। सफाई की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को सौंपी गयी है।
कचरा प्रबंधन, ऑर्गेनिक कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाला हरित केरल मिशन भी इस सफाई प्रक्रिया में सहायता करेगा। मिशन कल से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 50 पम्प सेट लगाएगा। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की ओर से तैनात कर्मचारियों के अलावा 50,000 स्वयं सेवक भी मकानों और सार्वजनिक जगहों पर जमा बाढ़ का कचरा साफ करने में मदद करेंगे।
पानी उतरने के बाद लोग अपने-अपने घरों को लौटना शुरू हो गये हैं, लेकिन अब भी 13.43 लाख से ज्यादा लोग 3,520 राहत शिविरों में रह रहे हैं। आपदा के दौरान लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे और राहत कार्यों की स्वयं निगरानी करते रहे मुख्यमंत्री पिनरई विजयन आज राज्य के विभिन्न राहत शिविरों में जाएंगे।
जल संसाधन मंत्री मैथ्यू टी. थॉमस ने बताया कि केरल जल संसाधन प्राधिकरण ने प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पेय जल मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान 1,089 जलापूर्ति लाइनें प्रभावित हुई थीं। इनमें से 800 से ज्यादा को सुधार लिया गया है जबकि अन्य को जल्दी ही ठीक कर लिया जाएगा।
हालांकि चारों ओर से मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में दान और राहत सामग्री आ रही है, लेकिन विदेश से मिलने वाली सहायता को लेकर राजनीतिक विवाद जरूर पैदा हो गया है। राज्य की माकपा नीत एलडीएफ सरकार का कहना है कि विदेश से मिलने वाली सहायता स्वीकार की जानी चाहिए, जबकि ऐसी सूचना है कि केन्द्र द्वारा सहायता स्वीकार किये जाने की संभावना बेहद कम है।
संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा केरल को बाढ़ सहायता राशि के रूप में करीब 700 करोड़ रुपये देने की पेशकश के बाद यह मुद्दा उठा है।
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Floods are one of the most destructive natural calamity which not just destroy the natural resources but also harm the lives too. It was in August 2018 that due to unusually heavy rainfall many of the states of Kerala came under the havoc destruction of the flood. The roads, buildings and the other man-made structures also fall prey to this calamity. When it occurred in Kerala it left every one stand aghast. Many people died, some lost their families, and some disappeared. The flood has caused a lot of destruction in the whole state. Government and NGOs send their survival aids to the people who helped them in coming out of this situation. People all over the country and abroad gave their contribution to help the people in need.
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