Essay on khaan paan
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क्षेत्र के निवासियों का खान- पान पूर्णतया: उत्तर भारतीय है, जिसमें शाकाहारी भोजन की अधिकता है। ग्रामीण क्षेत्र में तो अधिकांश लोग शाकाहारी है, यद्यपि नगरीय क्षेत्र में मांसाहारी भोजन का भी प्रचलन है। यहाँ के सामान्य खान- पान में विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियों के अतिरिक्त आलू का सदैव प्रयोग होता है। सब्जियों में टमाटर, मटर, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सेम, पालक, मेथी, परबल, टिंडा, शिमला मिर्च, किंभडी, बैंगन आदि सभी सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। लगभग सभी प्रकार की दालों की पैदावार होने से अरहर, मसूर, चना, मूँग, उर्द तथा लोबिया की दाल भोजन में प्रयुक्त होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की अधिकता होने के कारण दही, मट्ठा, छाछ आदि का भी भोजन में खूब प्रयोग होता है। आटे की रोटियाँ एवं चावल भोजन का प्रमुख भोज्य पदार्थ है।
दावत का खान-पान
उत्सव का खान-पान
ग्रामीण क्षेत्र में प्रचलित अल्पाहार
त्योहारों- पवाç, उत्सवों, शादी- विवाह आदि के अवसर पर पूड़ी- कचौड़ी, सोंठ, रायता, अनेक सब्जियाँ आदि बनती है। साथ- ही घरेलू मिष्ठानों में खीर, सेवईं आदि भी पर्व- उत्सवों के अवसर पर भोज्य सामग्री के रुप में प्रयोग किये जाते हैं। क्षेत्र में होली, दीवाली, दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी आदि त्योहारों के अवसर पर खान- पान में पूड़ी- कचौड़ी व अनेक सब्जियों का ही प्रचलन है। इस दिन यहाँ रोटी- दाल- चावल आदि सामान्य दिनों के भोज्य पदार्थ नहीं बनते। यद्यपि वर्तमान समय में शादी- विवाह के अवसरों पर दाल- रोटी, चावल का भी प्रचलन हो गया है, किंतु पूड़ी, कचौड़ी, सोंठ, रायता व अन्य सब्जियाँ फिर भी साथ में प्रमुखता से बनायी तथा खायी जाती है।
पेय पदार्थों में लस्सी, मट्ठा, छाँछ, चाय, काफी आदि का प्रमुखता से प्रयोग होता है। नगरीय क्षेत्र में मदिरा पान का प्रचलन ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक होता है। शादी- विवाह के अवसर पर तो मदिरा- पान का प्रयोग नगरीय तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में खूब होता है।