Essay on khelo ka mahatva in Hindi
Answers
संत रामकृष्ण परमहंस का कथन है कि ईश्वर ने संसार की रचना खेल-खेल में की है । अर्थात् परमात्मा को खेल बहुत पसंद है । तो फिर परमात्मा की कृति मनुष्य खेलों से क्यों दूर रहे! खेल खेलकर ही लोग जान सकते हैं कि जीवन एक खेल है । जीवन को बहुत गंभीर और तनावयुक्त नहीं बनाना चाहिए । सभी हँसते-खेलते जिएँ तो संसार की बहुत-सी परेशानियाँ मिट जाएँ । अत: जीवन में खेल-कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।
भारत में क्रिकेट, हॉकी,फुटबॉल, कबड्डी, पोलो, शतरंज, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, बैडमिंटन आदि खेल खेले जाते हैं । इनमें क्रिकेट सबसे लोकप्रिय है । भारत में क्रिकेट के प्रति युवाओं में बहुत आकर्षण है । लोग क्रिकेट तथा अन्य खेलों का सीधा प्रसारण देखकर आनंदित होते हैं । हर कोई अपने देश की टीम को जीतता देखना चाहता है । इस तरह खेल राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाने में बहुत सहायक होते हैं । जब कोई खिलाड़ी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करता है तो देश के गौरव में वृद्धि होती है ।
खेल-कूद का व्यक्तित्व के विकास में बहुत योगदान है । इनसे शारीरिक और मानसिक क्षमता में बढ़ोतरी होती है । खुले मैदानों में होने वाले खेल खेलकर व्यक्ति स्वस्थ बना रह सकता है । खुली ताजी हवा फेफड़ों में अधिक प्रवेश करती है । व्यक्ति निरोगी रहता है। उसकी झिझक मिटती है, वह समाजोपयोगी कार्यों र्में सहभागिता करता है ।
आजकल अच्छे खिलाड़ियों को बहुत सम्मान प्राप्त है । उसे धन भी प्रचुर मात्रा में मिलता है । सरकार एवं निजी संस्थाएँ उन्हें अपने यहाँ अच्छी नौकरी पर रखती हैं। समाज में उन्हें उचित आदर मिलता है ।
उपर्युक्त कारणों से खेल-कूद का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है । सरकार एवं खेल-संगठन खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्नशील हैं । बालकों, बालिकाओं तथा युवाओं को प्रतिदिन कोई न कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए । जब देश के बच्चे और युवा स्वस्थ रहेंगे तो देश के निर्माण में बहुत सहायता मिलेगी ।
Answer:
मानव-जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ और तनाव है । लोग विभिन्न प्रकार की चिंताओं से घिरे रहते हैं । खेल-कूद हमें इन परेशानियों, तनावों एवं चिंताओं से मुक्त कर देती है । खेल-कूद को जीवन का आवश्यक अंग मानने वाले जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं ।
संत रामकृष्ण परमहंस का कथन है कि ईश्वर ने संसार की रचना खेल-खेल में की है । अर्थात् परमात्मा को खेल बहुत पसंद है । तो फिर परमात्मा की कृति मनुष्य खेलों से क्यों दूर रहे! खेल खेलकर ही लोग जान सकते हैं कि जीवन एक खेल है । जीवन को बहुत गंभीर और तनावयुक्त नहीं बनाना चाहिए । सभी हँसते-खेलते जिएँ तो संसार की बहुत-सी परेशानियाँ मिट जाएँ । अत: जीवन में खेल-कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।
भारत में क्रिकेट, हॉकी,फुटबॉल, कबड्डी, पोलो, शतरंज, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, बैडमिंटन आदि खेल खेले जाते हैं । इनमें क्रिकेट सबसे लोकप्रिय है । भारत में क्रिकेट के प्रति युवाओं में बहुत आकर्षण है । लोग क्रिकेट तथा अन्य खेलों का सीधा प्रसारण देखकर आनंदित होते हैं । हर कोई अपने देश की टीम को जीतता देखना चाहता है । इस तरह खेल राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाने में बहुत सहायक होते हैं । जब कोई खिलाड़ी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करता है तो देश के गौरव में वृद्धि होती है ।
खेल-कूद का व्यक्तित्व के विकास में बहुत योगदान है । इनसे शारीरिक और मानसिक क्षमता में बढ़ोतरी होती है । खुले मैदानों में होने वाले खेल खेलकर व्यक्ति स्वस्थ बना रह सकता है । खुली ताजी हवा फेफड़ों में अधिक प्रवेश करती है । व्यक्ति निरोगी रहता है। उसकी झिझक मिटती है, वह समाजोपयोगी कार्यों र्में सहभागिता करता है ।
आजकल अच्छे खिलाड़ियों को बहुत सम्मान प्राप्त है । उसे धन भी प्रचुर मात्रा में मिलता है । सरकार एवं निजी संस्थाएँ उन्हें अपने यहाँ अच्छी नौकरी पर रखती हैं। समाज में उन्हें उचित आदर मिलता है ।
उपर्युक्त कारणों से खेल-कूद का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है । सरकार एवं खेल-संगठन खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्नशील हैं । बालकों, बालिकाओं तथा युवाओं को प्रतिदिन कोई न कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए । जब देश के बच्चे और युवा स्वस्थ रहेंगे तो देश के निर्माण में बहुत सहायता मिलेगी ।
Explanation: