essay on 'kisi mele ka ankho dekha varnan' according to the outline given in hindi vayakan.
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उज्जैन का कुम्भ का मेला, पूरे भारत मे प्रसिद्ध है। पिछले वर्ष मुझे इसे देखने का अवसर मिला । हिन्दू मान्यताओ के अनुसार ऐसा माना जाता है कि समुन्द्र मंथन मे जो अमृत का कुम्भ अर्थात घड़ा मिला था , उसकी कुछ बुँदे उज्जैन मे भी गिरी थी। इसी लिए यहाँ हर 12 वर्ष बाद कुम्भ मेले का आयोजन होता है।
यहाँ की नदी मे सभी प्रातः काल स्नान करते है । इस मेले मे बच्चो के लिए भी कई झूले और खेल होते है। यहाँ पर भिन्न भिन्न प्रकार के खिलौनो की दुकाने भी सजी होती है। मेले मे कई आयोजन होते है ,जैसे कठपुतली का खेल ,जादूगर आदि । मैंने भी कठपुतली का खेल देखा , जिसमे एक राजा- रानी की कहानी को कठपुतलियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। जादूगर ने भी कई आश्चर्यजनक करतब दिखाये । मेले मे आसपास के कई गाँव के लोग आते है और अपनी खरीददारी करते है। इस मेले को देखने मे मुझे बहुत आनंद की प्राप्ति हुई और यह मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा।
किसी मेले का आँखों देखा वर्णन
भारत मेलों का देश है यहां पर हर रोज कहीं ना कहीं मेला लगा ही रहता है | मुझे मेले में जाना बहुत अधिक पसंद है ।
हमारे शहर में प्रतिवर्ष होली के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
मेला गाँधी मैदान में लगता है जिसे देखने शहर के नागरिकों के अलावा निकटवर्ती गाँवों और कस्बों के लोग बड़ी संख्या में मेला देखने आते हैं । मैं भी अपने दोस्तों के साथ संध्या चार बजे मेला देखने गया । वहाँ बहुत भीड़ थी । अंदर तरह-तरह की दुकानें थीं । मिठाई, चाट, छोले, भेलपुरी तथा खाने-पीने की तरह-तरह की दुकानों में भी अच्छी-खासी भीड़ थी । तरह-तरह के आकर्षक खिलौने बेचने वाले भी थे । गुब्बारे वाला बड़े-बड़े रंग-बिरंगे गुब्बारे फुलाकर बच्चों को आकर्षित कर रहा था । कुछ दुकानदार घर-गृहस्थी का सामान बेच रहे थे । मुरली वाला, सीटीवाला, आईसबरती पर्व वाला और चने वाला अपने – अपने ढंग से ग्राहकों को लुभा रहा था ।
मेले में काफी स्टॉल लगे हुआ थे । हम सब को देख के आगे बड रहे थे । वहाँ पर कई प्रकार के झूले लगे थे । हमने वहाँ झूलों का आनंद लिया । बाहर कोने में जादूगर के कर्मचारी शेर, बिल्ली, जोकर आदि का मुखड़ा पहने ग्राहकों को लुभा रहे थे । हमने जादू भी देखा, जादूगर ने अपने थैले में कबूतर भरा और भीतर से खरगोश निकाला । मेले में खाने-पिने की कई दुकानें थी, हमने चाट और गोलगप्पे समोसे, कचोरी, और मीठे में जलेबी खाई । हमने मेले का एक और चक्कर लगाकर मेला परिसर से बाहर निकल आए ।