essay on Ladakh in hindi
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लद्दाख ("हाई पास की भूमि") उत्तर भारत का एक क्षेत्र है। यह उत्तर में कुनलुन पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में मुख्य हिमालय के बीच स्थित है। लद्दाख अपने दूरस्थ पहाड़ी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यह इंडो-आर्यन और तिब्बती लोगों के मिश्रण में बसा हुआ है। [by] उनकी भाषा तिब्बती भाषा की एक पुरातन बोली है। इसे कभी-कभी "लिटिल तिब्बत" कहा जाता है, क्योंकि यह तिब्बती संस्कृति से बहुत प्रभावित है। लद्दाख क्षेत्र में सबसे कम आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
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लद्दाख़ भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में है। यह भारत के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है। भारत गिलगित बलतिस्तान और अक्साई चिन को भी इसका भाग मानता है, जो वर्तमान में क्रमशः पाकिस्तान और चीनके अवैध कब्ज़े में है।लद्दाख जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व में स्थित एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3000 मीटर (9800 फीट) से ऊंचा है।[5] यह हिमालय और कराकोरम पर्वत श्रंखला और सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है।
इसमें बाल्टिस्तान (वर्तमान में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में), सिन्धु घाटी, जांस्कर, दक्षिण में लाहौल और स्पीति, पूर्व में रुडोक व गुले, अक्साईचिन और उत्तर में खारदुंगला के पार नुब्रा घाटी शामिल हैं। लद्दाख की सीमाएं पूर्व में तिब्बत से, दक्षिण में लाहौल और स्पीति से, पश्चिम में जम्मू कश्मीर व बाल्टिस्तान से और सुदूर उत्तर में कराकोरम दर्रे के उस तरफ जिनजियांग के ट्रांस कुनलुन क्षेत्र से मिलती हैं।
विभाजन से पहले बाल्टिस्तान (अब पाकिस्तानी नियन्त्रण में) लद्दाख का एक जिला था। स्कार्दू लद्दाख की शीतकालीन राजधानी और लेह ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी।
इस क्षेत्र में 45 मिलियन वर्ष पहले भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के दबाव से पर्वतों का निर्माण हुआ। दबाव बढता गया और इस क्षेत्र में इससे भूकम्प भी आते रहे। जोजीला के पास पर्वत चोटियां 5000 मीटर से शुरू होकर दक्षिण-पूर्व की तरफ ऊंची होती जाती हैं और नुनकुन तक इनकी ऊंचाई 7000 मीटर तक पहुंच गई है।
सुरु और जांस्कर घाटी शानदार द्रोणिका का निर्माण करती हैं। सूरू घाटी में रांगडम सबसे ऊंचा आवासीय स्थान है। इसके बाद पेंसी-ला तक यह उठती ही चली जाती है। पेंसी-ला जांस्कर का प्रवेश द्वार है। कारगिल जोकि सुरू घाटी का एकमात्र शहर है, लद्दाख का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यह 1947 से पहले कारवां व्यापार का मुख्य स्थान था। यहां से श्रीनगर, पेह, पदुम और स्कार्दू लगभग बराबर दूरी पर स्थित हैं। इस पूरे क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है। पेंसी-ला केवल जून से मध्य अक्टूबर तक ही खुला रहता है। द्रास और मश्कोह घाटी लद्दाख का पश्चिमी सिरा बनाते हैं।
सिन्धु नदी लद्दाख की जीवनरेखा है। ज्यादातर ऐतिहासिक और वर्तमान स्थान जैसे कि लेह, शे, बासगो, तिंगमोसगंग सिन्धु किनारे ही बसे हैं। 1947 के भारत-पाक युद्ध के बाद सिन्धु का मात्र यही हिस्सा लद्दाख से बहता है। सिन्धु हिन्दू धर्म में एक पूजनीय नदी है, जो केवल लद्दाख में ही बहती है।
सियाचिन ग्लेशियर पूर्वी कराकोरम रेंज में स्थित है जो भारत पाकिस्तान की विवादित सीमा बनाता है। कराकोरम रेंज भारतीय महाद्वीप और चीन के मध्य एक शानदार जलविभाजक बनाती है। इसे तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है। 70 किलोमीटर लम्बा यह ग्लेशियर कराकोरम में सबसे लम्बा है और धरती पर ध्रुवों को छोडकर दूसरा सबसे लम्बा ग्लेशियर है। यह अपने मुख पर 3620 मीटर से लेकर चीन सीमा पर स्थित इन्दिरा पॉइण्ट पर 5753 मीटर ऊंचा है। इसके पास के दर्रे और कुछ ऊंची चोटियां दोनों देशों के कब्जे में हैं।
भारत में कराकोरम रेंज की सबसे पूर्व में स्थित सासर कांगडी सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 7672 मीटर है। लद्दाख में 857 वर्ग किमी लंबी सीमा में से केवल 368 वर्ग किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, और शेष 489 वर्ग किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा है।
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