Hindi, asked by narendramodi24519, 11 months ago

essay on (मेरी प्रिय शिक्षिका)​

Answers

Answered by sandipjadhavP683
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Answer:

अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है। प्राचीन काल में गुरु-शिष्य का सम्बन्ध पिता-पुत्र के समान होता था। हमारे देश में वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु हुए हैं ।

मैंने कई अच्छे शिक्षकों के अंतर्गत अध्ययन किया है। मैं उन्हें पसंद करता हूँ और उन्हें पूर्ण सम्मान भी देता हूँ। मैंने उन लोगों से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने मेरे चरित्र पर गहरा प्रभाव डाला है। किन्तु उन सबमें मैंने श्री ए.के. मिश्रा को सबसे ज्यादा पसंद किया। श्री ए.के. मिश्रा मेरे पसंदीदा शिक्षक हैं।

श्री ए.के. मिश्रा हिन्दी के एक शिक्षक हैं। मैं उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में मानता हूँ। उन्हें अपने विद्यार्थियों से प्यार है और वे अपने विद्यार्थियों का पूर्ण सम्मान करते हैं। विद्यार्थी भी उनका साथ पाकर खुश होते हैं। उनके गुणों ने उन्हें अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। वह सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखते हैं। वह हमेशा स्वच्छ और साफ कपड़े पहनते हैं।

उनका शरीर स्वस्थ एवं सुडौल है। वह कभी बीमार नहीं पड़ते हैं। उनके अच्छे स्वास्थ्य का राज उनके संतुलित आहार में निहित है। वह हमेशा चीजों के उज्ज्वल पक्ष पर ध्यान लगाते हैं। उनका शिष्टाचार मनभावन है। वह अपने विद्यार्थियों के सवाल का सदैव स्वागत करते हैं। अपने विद्यार्थियों के प्रति उनका दृष्टिकोण हमेशा सहानुभूतिपूर्वक होता है।

श्री ए.के. मिश्रा अपने विद्यार्थियों के अच्छे दोस्त और मार्गदर्शक हैं। वह अपने विषय को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। वह अपने शिक्षण कार्य को अत्यधिक रोचक बना देते हैं। हिंदी व्याकरण कई छात्रों के लिए एक सिरदर्द है, लेकिन वह बहुत ही आसान तरीके से उसे सिखाते हैं जिससे पढ़ाई में कमज़ोर बच्चा भी उनकी बात को समझ जाता है।

उनमें अपने कर्तव्य की गहरी समझ है। वह कक्षा में एक मिनट भी वर्बाद नहीं करते हैं। वह अपनी कक्षा में सही अनुशासन बनाए रखने में सक्षम है। वह कॉलेज की सभी गतिविधियों में बहुत रुचि लेते हैं। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है। वे बहुत अच्छे लेखक और कवि हैं। वह भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं किन्तु उदार हैं। सभी अध्यापक भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे अपने शिक्षक पर बहुत गर्व है कि मुझे श्री ए.के. मिश्रा जी के सानिध्य में ज्ञान ग्रहण करने को मिला। वे मेरे प्रिय शिक्षक हैं।

Explanation:

I HOPE IT WILL HELP YOU

mark it as brainist

Answered by KamaldevSharma
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Answer:

हम सभी के जीवन में शिक्षक का बहुत महत्व होता हैं | एक शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया हैं, क्यों की माता – पिता के बाद ही शिक्षक छात्र के अन्दर सोचने और समझने की शक्ति को विकसित करते हैं |

शिक्षक पुरे संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं | माता – पिता यह हमारे जीवन के सबसे पहले गुरु होते हैं | उसके बाद शिक्षक हमें अज्ञान रूपी अंधकार से हमारे जीवन पर ज्ञान रूपी प्रकाश डालते हैं |

शिक्षकों का एक ही उद्देश होता हैं की, छात्र अपने जीवन में सफल हो जाये और उसका नाम गर्व से ऊँचा करे | लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं, जिनका व्यक्तित्व, पढ़ाने का टिका और उनका आचरण काफी प्रभावित करता हैं | जिसकी वजह से वो बच्चों के आदर्श और प्रिय शिक्षक या शिक्षिका बन जाते हैं |

हमारे स्कूल में बहुत सारे शिक्षक और शिक्षिका हैं | उन सभी में से मेरी प्रिय अध्यापिका विज्ञानं की शिक्षिका हैं | उनका नाम स्नेहा रावत हैं | वह स्कूल के परिसर के पास में ही रहती हैं |

यह हम सभी को बहुत अच्छे से पढ़ाती हैं | उनका एक अनोखा व्यक्तिमत्व हैं | यह स्कूल की सबसे अच्छी अध्यापिका हैं और यह मेरे दोस्तों को भी बहुत पसंद हैं |

कोई भी छात्र उनके पढ़ाने पर उबता नहीं हैं, क्यों की वो पढाई के दौरान मनोरंजक बाते भी बताती हैं | वो कक्षा में जो पाठ अगले दिन पढाया जाता हैं, उसे सभी छात्रों को गहर से पढ़कर आने के लिए कहती हैं |

वह सभी छात्रों के साथ बहुत ही मित्रवत की तरह व्यवहार करती हैं | इसलिए हमें उनसे डर नहीं लगता हैं |

हम बिना किसी डर से उनके केबिन या कक्षा में उनसे कोई भी सवाल पूछते हैं | जब वो कक्षा में पढ़ाती हैं तब सभी छात्रों के गतिविधियों को देखती हैं |

उसके साथ शरारती बच्चों को दंडित करती हैं | वह हमेशा पढाई पर ध्यान देने के लिए कहती हैं और अध्यापक की बातों का पालन करने के लिए कहती हैं |

वह हमेशा हंस अभी से कहती हैं की अगर अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो अध्यापक के द्वारा बताई गयी बातों ध्यान रखना चाहिए |

उनकी बातों का जीवन भर पालन करना चाहिए | वह कभी भी कमजोर और बुद्धिमान बच्चों में भेदभाव नहीं करती हैं |

वो कमजोर बच्चों को अधिक मदद करती हैं | वह हमें कहती हैं की, हमेशा अपनी पढाई और जीवन के लक्ष्य के बारे में सोचना चाहिए |

मेरी प्रिय अध्यापिका से मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं | उसके साथ – साथ मेरे अन्दर सकारात्मक भावना का संचार हो जाता हैं |

उनकी वजह से मेरा आचरण नैतिकवादी और आदर्शवादी बना हैं | मैं अपने प्रिय अध्यापिका के लिए सिर्फ इतना ही कहन चाहता हूँ की,

“नहीं है मेरे पास शब्द कि कैसे करुं धन्यवाद,

मुझे तो सिर्फ चाहिए बस आपका आर्शीवाद।

आज जो भी हूं उसमें है आपका बड़ा योगदान,

देने के लिए मुझे इतना ज्ञान।।”

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