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मेरे प्रिया शिक्षाक.
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शिक्षक एक माली के रूप में न केवल पौधे रूपी विद्यार्थियों को पोषित करता है, बल्कि उन्हें एक बेहतर मनुष्य के रूप में पल्लवित कर, संस्कार रूपी पुष्प खिलाकर, सदगुणों की महक भी देता है। हमारे सामाजिक और मानसिक स्तर को बनाने में शिक्षक का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है।
शिक्षक या गुरु उस कुम्हार के समान होता है, जो मिट्टी के बर्तन बनाते समय उसे एक हाथ से संभालता और दूसरे हाथ से आकार देता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक भी अनुशासन के साथ हमें आकार देते हैं, ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हों। शिक्षक के बिना बेहतर समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
हमारे विद्यालय में अनेक शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं, जो बच्चों को अलग-अलग विषय का ज्ञान देते हैं। सभी शिक्षक बहुत अच्छे और हम सभी विद्यार्थियों के सम्माननीय हैं। सुबह स्कूल खुलने के बाद वे सभी बच्चों से पहले विद्यालय पहुंचते हैं और सभी बच्चों के आ जाने पर वे प्रार्थना करवाते हैं। प्रार्थना के समय वे हमें प्रेरणा देने वाले म हापुरुषों के अनमोल वचन भी सुनाते हैं।
कक्षा में पढ़ाते समय वे हमें अपने-अपने विषय का समुचित ज्ञान देते हैं, और समझ न आने पर हमारी हर शंका का समाधान भी करते हैं। कक्षा में पढ़ाने के साथ-साथ शिक्षक हमें कई अच्छी-अच्छी बातें भी समझाते हैं जैसे - बड़ों का सम्मान करना, सुबह उठकर धरती के पैर छूना, अपनी गलती पर क्षमा मांगना और विनम्रता पूर्वक व्यवहार करना आदि।
शिक्षक हमें इन सभी बातों को समझाने के साथ ही कहानियां और प्रेरक व्यक्तित्व वाले लोगों के जीवन के किस्से भी सुनाते हैं। हमसे गलतियां होने पर वे प्यार से समझाते हैं, तो कभी-कभी डांट भी लगा देते हैं। लेकिन हमारे प्रिय शिक्षक कभी अपने विद्यार्थियों में भेदभाव नहीं करते। वे हमेशा विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाते हैं और खेल-कूद एवं पढ़ाई में समान रूप से ध्यान देने की सीख भी देते हैं।
हमारे प्रिय शिक्षक अपने हर विद्यार्थी की कमजोरी और उसकी प्रतिभा का जानते हैं। वे हमेशा हमारी कमजोरी को दूर कर हमारी प्रतिभा को प्रोत्साहित करते हैं। उनके इस उत्साहवर्धन का ही नतीजा है, कि हम पढ़ाई के साथ-साथ, खेल-कूद और प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।
एक आदर्श शिक्षक के बगैर विद्यार्थी का बेहतर विकास संभव नहीं है। शिक्षक ही हमें समाज में जीने योग्य बनाते हैं और हममें सोचने-समझने और सीखने की क्षमता को विकसित करते हैं। हमारे प्रिय शिक्षक के साथ ही प्रत्येक शिक्षक का हमें सम्मान करना चाहिए।
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शिक्षक या गुरु उस कुम्हार के समान होता है, जो मिट्टी के बर्तन बनाते समय उसे एक हाथ से संभालता और दूसरे हाथ से आकार देता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक भी अनुशासन के साथ हमें आकार देते हैं, ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हों। शिक्षक के बिना बेहतर समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
हमारे विद्यालय में अनेक शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं, जो बच्चों को अलग-अलग विषय का ज्ञान देते हैं। सभी शिक्षक बहुत अच्छे और हम सभी विद्यार्थियों के सम्माननीय हैं। सुबह स्कूल खुलने के बाद वे सभी बच्चों से पहले विद्यालय पहुंचते हैं और सभी बच्चों के आ जाने पर वे प्रार्थना करवाते हैं। प्रार्थना के समय वे हमें प्रेरणा देने वाले म हापुरुषों के अनमोल वचन भी सुनाते हैं।
कक्षा में पढ़ाते समय वे हमें अपने-अपने विषय का समुचित ज्ञान देते हैं, और समझ न आने पर हमारी हर शंका का समाधान भी करते हैं। कक्षा में पढ़ाने के साथ-साथ शिक्षक हमें कई अच्छी-अच्छी बातें भी समझाते हैं जैसे - बड़ों का सम्मान करना, सुबह उठकर धरती के पैर छूना, अपनी गलती पर क्षमा मांगना और विनम्रता पूर्वक व्यवहार करना आदि।
शिक्षक हमें इन सभी बातों को समझाने के साथ ही कहानियां और प्रेरक व्यक्तित्व वाले लोगों के जीवन के किस्से भी सुनाते हैं। हमसे गलतियां होने पर वे प्यार से समझाते हैं, तो कभी-कभी डांट भी लगा देते हैं। लेकिन हमारे प्रिय शिक्षक कभी अपने विद्यार्थियों में भेदभाव नहीं करते। वे हमेशा विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाते हैं और खेल-कूद एवं पढ़ाई में समान रूप से ध्यान देने की सीख भी देते हैं।
हमारे प्रिय शिक्षक अपने हर विद्यार्थी की कमजोरी और उसकी प्रतिभा का जानते हैं। वे हमेशा हमारी कमजोरी को दूर कर हमारी प्रतिभा को प्रोत्साहित करते हैं। उनके इस उत्साहवर्धन का ही नतीजा है, कि हम पढ़ाई के साथ-साथ, खेल-कूद और प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।
एक आदर्श शिक्षक के बगैर विद्यार्थी का बेहतर विकास संभव नहीं है। शिक्षक ही हमें समाज में जीने योग्य बनाते हैं और हममें सोचने-समझने और सीखने की क्षमता को विकसित करते हैं। हमारे प्रिय शिक्षक के साथ ही प्रत्येक शिक्षक का हमें सम्मान करना चाहिए।
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