Hindi, asked by dianeliza, 1 year ago

essay on मेरे दादाजी

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Answered by kvnmurty
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   मेरे दादाजी  बहुत अच्छे है| उनका नाम है देव |  वे हमारे साथ ही रहते हैं उनके कमरे में |  उनका उम्र है कुछ पचपन साल या साठ साल |  जब से हमारी दादी मर गयी , वे हमारे साथ हैं |
 
   दादाजी मुझे बहुत प्यार करते हैं | वे हमेशा मुश्कुराते रहते हैं|  मुझे टॉफी, तोफे  लाते हैं| शाम को मेरे होमवर्क में  मेरे साथ भी देते हैं |  वे सुबह सुबह पैदल जाते है पार्क तक और कभी कभी मैं अगर जाग जाया, तो मैं भी जाता हूँ उनके साथ |  अक्सर मैं शाम को उनके साथ पैदल चले जाता हूँ , हमारे कालोनी में ताज़ा हवा खाने | 

   दादाजी एक कम्पनी में  काम करते हैं और कुछ बिजिनेस भी करते हैं | वे कम्पूटर भी समझते हैं | लेकिन इतना ज्यादा नहीं जितना ज्यादा मैं समझता हूँ |  उनको अक्सर मैं सिखाता हूँ कम्पूटर पर | 

   सुबह अखबार पढ़ते हैं काफी पीते पीते | शाम को कुछ किताबें पढ़ते हैं और कुछ कुछ लिखते भी हैं |  अक्सर वे दूसरे शहर भी जाते हैं अपने गाव में  अपना घर और अन्य रिश्तेदारों से मिलने |  हम दोनों कम्पूटर पर खेल भी खेलते हैं |  कभी कभी ब्रैन्ली के ऊपर मैं कुछ सवालों का जवाब उनसे पूछता हूँ, उनके बताये हुए जवाब मैं लिख देता हूँ| 


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Answered by sofikulhussain001
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                  दादा-दादी पर निबंध

दादा-दादी और पोता-पोती के बीच के संबंध शब्दों में वर्णित नहीं किए जा सकते हैं। दादा-दादी न केवल बच्चों में अच्छी आदतें और नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं बल्कि असीमित आनंद उठाने के लिए उनके सबसे अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे अपने बच्चों के लिए सभी प्रकार की सहूलियतें उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके दादा-दादी के बिना यह सारी कोशिशें अधूरी हैं।

ऐसा अक्सर देखा जाता है कि पोता-पोती के अन्दर अपने दादा-दादी से मिलते जुलते कई गुण पाए जाते हैं। आपने कई बार उन्हें उसी तरीके से बर्ताव करते हुए देखा भी होगा। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा सिर्फ उन लोगों के साथ ही नहीं है जो हमेशा एक साथ रहें हो बल्कि उन लोगों के साथ भी है जिन्हें शायद ही एक-दूसरे से मिलने का मौका मिल पाता हो। इसका कारण यह है कि बच्चे अपने दादा-दादी के कुछ गुणों को जन्म से अपनी पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त करते हैं।

दुर्भाग्य से अलग-अलग परिवारों को बसाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने पोता-पोती और दादा-दादी के बीच संपर्क को सीमित कर दिया है इस वजह से दोनों ही इस रिश्ते का भरपूर लुत्फ़ नहीं उठा पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए माता-पिता को ही समय निकालकर अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के स्थान पर ले जाना होगा या अपने पास रहने के लिए उन्हें बुलाना होगा ताकि इस बंधन की खूबसूरती को बचाया जा सके। अगर किसी कारणवश मिलना संभव नहीं हो पाता है तो फोन या अन्य तरीकों से एक-दूसरे के संपर्क में रहने की कोशिश की जा सकती है।


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