Essay on Madhur Vaani in Hindi. 30 points
Answers
मधुर वाणी
on November 29, 2015
मधुर वाणी का महत्व
हर व्यक्ति को बोलने का अधिकार है। हमारी वाणी जितनी मधुर होगी हम उतने ही सबके प्रिय होंगे। वाणी की मधुरता दिल के द्वार खोलने की चाबी है। कटु वाणी दूसरों को क्रोधित करती है परन्तु मधुर वाणी दूसरों को प्रसन्न करती है। हमारी वाणी ही हमारे चरित्र का परिचय देती है इसलिए हमारी वाणी किसी भी स्थिति में कटु नहीं होनी चाहिए। कभी गुस्से में , तो कभी अहंकार में हम कटु वाणी बोल कर दूसरों को कष्ट पहुँचाते है। जो हमें निर्बल बनाता है। कुछ लोग अहंकार के कारण वाणी का दुरूपयोग करते है जिससे झगड़े की शुरुआत होती है। छोटी - छोटी बात पर बड़े - बड़े झगड़े हो जाते है , कटु वाणी के कारण। मधुर वाणी का पारिवारिक एवं व्यापारिक जीवन में बहुत महत्व है इसलिए कहा गया है -
"ऐसी वाणी बोलिए , मन का आपा खोये। औरन को शीतल करे , आपहु शीतल होये।।"
अर्थात हमें इतनी मधुर वाणी बोलनी चाहिए , जो सबके मन उमंग से भरदे। ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो सबको और खुद को शीतल करदे।
hope it helps
mark as brainliest
Answer:
वाणी मनुष्य को ईश्वर की अनुपम देन है। मनुष्य का भाषा पर विशेष अधिकार है। भाषा के कारण ही मनुष्य इतनी उन्नति कर सका है। हमारी वाणी में मधुरता का जितना अधिक अंश होगा हम उतने ही दूसरों के प्रिय बन सकते हैं। हमारी बोली में माधुर्य के साथ-साथ शिष्टता भी होनी चाहिए।
मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है। एक ही बात को हम कटु शब्दों में कहते हैं और उसी को हम मधुर बना सकते हैं। वार्तालाप की शिष्टता मनुष्य को आदर का पात्र बनाती है और समाज में उसकी सफलता के लिए रास्ता साफ़ कर देती है। कटु वाणी आदमी को रुष्ट कर सकती है तो इसके विपरीत मधुर वाणी दूसरे को प्रसन्न भी कर सकती है।
हमारी वाणी ही हमारी शिक्षा-दीक्षा, कुल की परंपरा और मर्यादा का परिचय देती है। इसलिए हमें वार्तालाप में व्यापारिक बातचीत एवं निजी बातचीत में थोडा अंतर रखना चाहिए। वाणी किसी भी स्थिति में कटु एवं अशिष्ट नहीं होनी चाहिए।