essay on mann ke hare har hai, mann ke jite jit hai
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Man ke Hare Har मन के जीते जीत
प्रस्तुत पोस्ट Man ke Hare Har मन के जीते जीत Hindi Anuched में मन की शक्ति के बारे में बताया गया है. सफलता के मार्ग पर कदम बढ़ाते बढ़ाते व्यक्ति अचानक सफलता का प्रयास करना छोड़ देता है. इसका एकमात्र कारण उसका हिम्मत हारना होता है. पहला तो उसे अपनी सफलता का मार्ग कठिन लगता है. दूसरे व्यक्ति के मन में दुर्बलता या कमजोरी आ जाती है.
Man ke Hare Har मन के जीते जीत
Man ke Hare Har मन के जीते जीत
लक्ष्य मार्ग का कठिन होना या सरल होना – यह तो किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं होता. समय और परिस्थितयों के वश ही आदमी को कोई कार्य कठिन या सरल लगता है. एक इंसान अपनी आत्मिक शक्ति को दृढ़ बनाकर अपने कठिन मार्ग को भी सुगम बना लेता है. कमजोर इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति को तो आसान काम भी मुश्किल लगने लगता है.
मन के हारे हार मन के जीते जीत
यदि मनुष्य के मन में दुर्बलता है तो वह अपने जीवन में सफल नहीं होता. वह आसान काम करने में भी घबराता है. वहीँ मजबूत मनःस्थिति वाला व्यक्ति कठिन से कठिन कार्यो को भी हँसते हुए निपटा देता है.
मनुष्य का मन प्रायः चंचल हुआ करता है . मनुष्य के मन में कभी अच्छे तो कभी बुरे, कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक, सैकड़ों तरह के विचार आते जाते रहते हैं. यदि मनुष्य अपने मन को अपने वश नहीं कर पाता तो मन उसे अच्छे कार्यों के मनन चिंतन की बजाय व्यर्थ कार्यों के सोच विचार में ज्यादा उलझा देता है. इसलिए व्यक्ति प्रायः अपने आप में तनाव ग्रस्त तथा चिडचिडेपन का अनुभव करता है. व्यर्थ या फ़ालतू बातों के सोच विचार में मन की अनमोल शक्ति नष्ट हो जाती है. व्यक्ति शांति की बजाय अशांति और तनाव अनुभव करता है.
जबकि समर्थ उअर भले कार्यों के बारे में सोचने से मानव के मन में उर्जा व्यर्थ नहीं होती. वह समस्त उर्जा एकत्रित होकर मनुष्य के मन की एक बहुत बड़ी शक्ति बन जाती है.
मनुष्य किसी भी सफलता को पाने के पूर्व हार क्यों जाता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसका मन हार जाता है. इस कारण वह सफलता पाने का पूरा प्रयास नहीं कर पाता है. ठीक उसी तरह से जैसे एथलीट अपने लक्ष्य के निशान से पहले ही हांफने लगता है.
कहा गया है मन के हारे हार मन के जीते जीत. अर्थात दुनिया में वाही व्यक्ति विजयी होता है जिसने अपने मन को अपने आप को जीत लिया है. जो अपने मन को जीत नहीं पाता, वह अपनी इन्द्रियों का गुलाम बन जाता है, और वह सफलता से दूर चला जाता है.
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मनुष्य में मन में असीम शक्ति होती है. व्यर्थ की बातचीत, व्यर्थ के सोच विचार और बेकार काम करने में वह अपने मन की शक्ति को नष्ट कर देता है. यदि वह अपनी उर्जा को इन बेकार कार्यों में लगाकर किसी अच्छे काम में लगाये तो वह संसार में महान और निराले कार्य कर सकता है.
सफलता पाने के लिये यह बहुत जरुरी है कि हम अपने मन की शक्ति को सिर्फ अपने लक्ष्य के कार्य में लगायें. यदि इधर उधर की फ़ालतू बातें हमारे दिमाग में आती हैं तो उसे दिमाग से निकालकर अपने लक्ष्य पर फोकस बनाये रखना चाहिए.
हमें दूसरों की कमजोरियों और गलतियों की ओर नहीं देखनी चाहिए. अपने अपने मन के अन्दर झांक कर देखना चाहिए. अपनी कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. यह हमें और भी शक्तिशाली बनने में सहायक होगा. ऐसा कर हम निरंतर परिष्कृत होकर सफल होते चले जायेंगे.