essay on manushyat aadunik yug mein
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मानव एक सामाजिक प्राणी है जो कि एक समाज में रहता है जहाँ उसे सभी से मिल जुलकर रहना होता है। पृथ्वी पर केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो दुसरो के दुखों को आसानी से समझ सकता है और उन्हें कम कर सकता है और यहीं उसका मानवता धर्म है जो कि मनुष्य का सबसे बड़ा कर्म है। अपने लिए कार्य हर व्यक्ति करता है लेकिन उच्च मानव वहीं है जो दूसरों के हित के लिए कार्य करता है और मानवता को दर्शाता है। पहले के लोगों में मानवता की भावना कूट कूट कर भरी होती थी। वह हर सुख दुःख में एक दुसरे के साथ खड़े होते थे।
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