essay on me and my family in hindi.( about 2 pages)
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मेरा परिवार पर निबंध / Essay on My Family in Hindi!
मेरा परिवार संयुक्त और बड़ा परिवार है । शहर में रहते हुए भी परिवार के सभी सदस्य साथ-साथ रहते हैं । मेरे परिवार में दादा-दादी, माँ-पिताजी, चाचा-चाची और हम पाँच भाई-बहन हैं । इस तरह कुल मिलाकर मेरे परिवार में ग्यारह सदस्य हैं । परिवार के सभी सदस्य आपस में मैत्रीभाव से रहते हैं । हमारा परिवार एक आदर्श और खुशहाल परिवार है ।
दादा-दादी परिवार के बुजुर्ग एवं सम्मानित सदस्य हैं । परिवार के अन्य सदस्य उनका बहुत आदर करते हैं । उनकी सलाह मानना सभी अपना कर्त्तव्य समझते हैं । दादा जी पहले शिक्षक थे, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं । वे हम भाई-बहनों को नियमित रूप से पढ़ाते हैं । दादी जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं तथा उनका अधिकांश समय पूजा-पाठ और ईश्वर- भजन में व्यतीत होता है । फिर भी कुछ समय वे परिवार के लिए भी निकालती हैं । वे माँ और चाची को गृहकार्य में यथासंभव सहयोग देती हैं । माँ और चाची को वे परिवार की बहू नहीं बल्कि अपनी बेटी मानती हैं ।
मेरे पिताजी पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं । शहर में उनका अपना क्लीनिक है जहाँ वे नियमित रूप से जाते हैं । उनकी दवा से मरीजों को बहुत लाभ होता है । मेरे
चाचा जी बिजली विभाग में इंजीनियर हैं । इस तरह मेरे परिवार को अच्छी मासिक आय हो जाती है तथा परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से होती है । मेरी माँ और चाची घर का काम-काज सँभालती हैं । हम पाँचों भाई-बहन दो भिन्न विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं । हम घर पर साथ-साथ पढ़ते और खेलते हैं ।
मेरे परिवार में अनुशासन और शिष्टाचार को पर्याप्त महत्त्व दिया जाता है । छोटे बड़ों का आदर करते हैं और बड़े छोटों को अपना प्यार और स्नेह देते हैं । परिवार के सभी काम प्राय: समय पर होते हैं । खाने, पढ़ने, खेलने और सोने का समय निश्चित है । यदि कोई बीमार पड़ जाए तो अन्य लोग उसकी सेवा में लग जाते हैं । यदि कोई मुसीबत आ जाए तो परिवार एकजुट होकर उस मुसीबत का सामना करता है ।
मेरा परिवार पड़ोसियों के साथ मिल-जुल कर रहता है । हम लोग पड़ोसियों के दु:ख-दर्द में हमेशा सहयोगी बनते हैं । पिताजी पड़ोसियों का मुफ्त इलाज करते हैं । दादा जी पड़ोस के बच्चों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षा देते हैं । सामाजिक कार्यों में मेरा परिवार बढ़-चढ़कर भागीदारी करता है । इन गुणों के कारण पड़ोस में मेरे परिवार को उचित आदर प्राप्त होता है । पड़ोसी अपने यहाँ हमारी एकजुटता की मिसाल दिया करते हैं जो हमारे लिए गौरव की बात है ।
हमारे परिवार में अतिथियों का यथोचित सम्मान किया जाता है । बड़ा परिवार होने के कारण मित्र एवं अतिथि अक्सर आते रहते हैं । उन्हें अतिथि कक्ष में सम्मानपूर्वक बिठाया जाता है । उनकी सुख-सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जाता है । हम लोग ‘ अतिथि देवो भव ‘ की प्राचीन भारतीय अवधारणा को पर्याप्त महत्त्व देते हैं ।
मेरे परिवार में आपसी झगड़े नहीं होते । पड़ोसी परिवार आपस में लड़ता है तो हमें हैरानी होती है । मेरे परिवार में यदि कभी आपसी मतभेद होता भी है तो उसे शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाता है । बच्चे किसी बात पर आपस में झगड़ते हैं तो बड़े उनके मतभेद दूर कर दत है । इस तरह आपसी सामंजस्य तथा प्यार से छोटी-छोटी बाधाएँ समाप्त हो जाती त्रेंऐए ।
इस तरह मेरा परिवार एक खुशहाल परिवार है । इस खुशहाली का रहस्य अनुशासन पारिवारिक स्नेह और मर्यादा का पालन है । एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना परिवार को एक ठोस नींव पर खड़ा किए हुए है । ऐसे परिवार में ही सुख-शांति का निवास संभव है जहाँ एकता की भावना हो । एकता के बल पर मेरे परिवार को कुदृष्टि से देखने का साहस कोई भी नहीं कर सकता ।
मेरा परिवार संयुक्त और बड़ा परिवार है । शहर में रहते हुए भी परिवार के सभी सदस्य साथ-साथ रहते हैं । मेरे परिवार में दादा-दादी, माँ-पिताजी, चाचा-चाची और हम पाँच भाई-बहन हैं । इस तरह कुल मिलाकर मेरे परिवार में ग्यारह सदस्य हैं । परिवार के सभी सदस्य आपस में मैत्रीभाव से रहते हैं । हमारा परिवार एक आदर्श और खुशहाल परिवार है ।
दादा-दादी परिवार के बुजुर्ग एवं सम्मानित सदस्य हैं । परिवार के अन्य सदस्य उनका बहुत आदर करते हैं । उनकी सलाह मानना सभी अपना कर्त्तव्य समझते हैं । दादा जी पहले शिक्षक थे, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं । वे हम भाई-बहनों को नियमित रूप से पढ़ाते हैं । दादी जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं तथा उनका अधिकांश समय पूजा-पाठ और ईश्वर- भजन में व्यतीत होता है । फिर भी कुछ समय वे परिवार के लिए भी निकालती हैं । वे माँ और चाची को गृहकार्य में यथासंभव सहयोग देती हैं । माँ और चाची को वे परिवार की बहू नहीं बल्कि अपनी बेटी मानती हैं ।
मेरे पिताजी पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं । शहर में उनका अपना क्लीनिक है जहाँ वे नियमित रूप से जाते हैं । उनकी दवा से मरीजों को बहुत लाभ होता है । मेरे
चाचा जी बिजली विभाग में इंजीनियर हैं । इस तरह मेरे परिवार को अच्छी मासिक आय हो जाती है तथा परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से होती है । मेरी माँ और चाची घर का काम-काज सँभालती हैं । हम पाँचों भाई-बहन दो भिन्न विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं । हम घर पर साथ-साथ पढ़ते और खेलते हैं ।
मेरे परिवार में अनुशासन और शिष्टाचार को पर्याप्त महत्त्व दिया जाता है । छोटे बड़ों का आदर करते हैं और बड़े छोटों को अपना प्यार और स्नेह देते हैं । परिवार के सभी काम प्राय: समय पर होते हैं । खाने, पढ़ने, खेलने और सोने का समय निश्चित है । यदि कोई बीमार पड़ जाए तो अन्य लोग उसकी सेवा में लग जाते हैं । यदि कोई मुसीबत आ जाए तो परिवार एकजुट होकर उस मुसीबत का सामना करता है ।
मेरा परिवार पड़ोसियों के साथ मिल-जुल कर रहता है । हम लोग पड़ोसियों के दु:ख-दर्द में हमेशा सहयोगी बनते हैं । पिताजी पड़ोसियों का मुफ्त इलाज करते हैं । दादा जी पड़ोस के बच्चों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षा देते हैं । सामाजिक कार्यों में मेरा परिवार बढ़-चढ़कर भागीदारी करता है । इन गुणों के कारण पड़ोस में मेरे परिवार को उचित आदर प्राप्त होता है । पड़ोसी अपने यहाँ हमारी एकजुटता की मिसाल दिया करते हैं जो हमारे लिए गौरव की बात है ।
हमारे परिवार में अतिथियों का यथोचित सम्मान किया जाता है । बड़ा परिवार होने के कारण मित्र एवं अतिथि अक्सर आते रहते हैं । उन्हें अतिथि कक्ष में सम्मानपूर्वक बिठाया जाता है । उनकी सुख-सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जाता है । हम लोग ‘ अतिथि देवो भव ‘ की प्राचीन भारतीय अवधारणा को पर्याप्त महत्त्व देते हैं ।
मेरे परिवार में आपसी झगड़े नहीं होते । पड़ोसी परिवार आपस में लड़ता है तो हमें हैरानी होती है । मेरे परिवार में यदि कभी आपसी मतभेद होता भी है तो उसे शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाता है । बच्चे किसी बात पर आपस में झगड़ते हैं तो बड़े उनके मतभेद दूर कर दत है । इस तरह आपसी सामंजस्य तथा प्यार से छोटी-छोटी बाधाएँ समाप्त हो जाती त्रेंऐए ।
इस तरह मेरा परिवार एक खुशहाल परिवार है । इस खुशहाली का रहस्य अनुशासन पारिवारिक स्नेह और मर्यादा का पालन है । एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना परिवार को एक ठोस नींव पर खड़ा किए हुए है । ऐसे परिवार में ही सुख-शांति का निवास संभव है जहाँ एकता की भावना हो । एकता के बल पर मेरे परिवार को कुदृष्टि से देखने का साहस कोई भी नहीं कर सकता ।
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हमारा परिवार बहुत छोटा है। हम घर में पाँच लोग रहते हैं । मेरी माँ, मेरे पिताजी मेरा बड़ा भाई और मेरी दादी । मेरा भाई मुझ से दो साल बड़ा है। हम दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं ।मेरा भाई आठवीं कक्षा में और मैं छठी में पड़ती हूँ । हम दोनों पैदल विद्यालय जाते हैं क्योंकि हमारा विद्यालय घर के समीप है। मेरे पिताजी डी॰ डी॰ ए॰ के आफिस में काम करते हैं । वह अपने आफिस बस से ही आते-जाते हैं । मेरी माँ अध्यापिका है। उनका स्कूल घर से कुछ दूरी पर है; वह रिक्शे पर विद्यालय जाती हैं । घर में दादी अकेली रहती हैं । अभी वे अपना कार्य स्वयं करने में सक्षम हैं ।
शाम को हम सब इकट्ठे घूमने के लिए बाग में जाते हैं । वहाँ पर माँ-पिताजी भी हमारे साय बैड-मिटन खेलते हैं । वह दोनों हमें हास्यप्रद चुटकुले और नई-नई कविताएँ भी सुनाते हैं । मेरे घर का वातावरण बहुत ही शान्त है । कोई भी आपस में नहीं झगड़ता ।
समस्याओं का समाधान सब मिलजुलकर कर लेते हैं । घर के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में दादी की सलाह अवश्य ली जाती है । उनकी बात को घर का प्रत्येक सदस्य मानता है । वृद्ध होने के कारण उनकी सेवा भी की जाती है। विद्यालय की छुट्टियाँ होने पर पिताजी हमें बाहर घुमाने भी ले जाते हैं । घर का प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे से प्रेम से बोलता है । माँ-पिताजी हमें बहुत प्यार करते हैं और हम उन्हें ।
त्यौहारों के अवसर पर हमारे पिताजी हमें नये-नये कपड़े बनवा देते हैं । मेरी मां घर पर ही नमकीन और मिठाइयाँ बना लेती है । क्योंकि बाजार से खरीदने पर ये चीजें बहुत महँगी पड़ती हैं और धर का बजट बिगड़ जाता है । हम अपने कपड़े स्वयं ही प्रैस करते हैं, पर कीमती कपड़े धोबी से प्रैस करवा लेते हैं ।
परिवार में रिश्तेदासें का आना-जाना भी लगा रहता है । कभी मेरे मामाजी और उनके बच्चे हमसे मिलने आ जाते हैं और कभी हम अपने ताऊजी के पास चले जाते हैं । हम शाकाहारी भोजन करते हैं । दाल, सब्जियाँ और दूध, दही प्रयोग में लाते हैं ।
शाम को हम सब इकट्ठे घूमने के लिए बाग में जाते हैं । वहाँ पर माँ-पिताजी भी हमारे साय बैड-मिटन खेलते हैं । वह दोनों हमें हास्यप्रद चुटकुले और नई-नई कविताएँ भी सुनाते हैं । मेरे घर का वातावरण बहुत ही शान्त है । कोई भी आपस में नहीं झगड़ता ।
समस्याओं का समाधान सब मिलजुलकर कर लेते हैं । घर के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में दादी की सलाह अवश्य ली जाती है । उनकी बात को घर का प्रत्येक सदस्य मानता है । वृद्ध होने के कारण उनकी सेवा भी की जाती है। विद्यालय की छुट्टियाँ होने पर पिताजी हमें बाहर घुमाने भी ले जाते हैं । घर का प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे से प्रेम से बोलता है । माँ-पिताजी हमें बहुत प्यार करते हैं और हम उन्हें ।
त्यौहारों के अवसर पर हमारे पिताजी हमें नये-नये कपड़े बनवा देते हैं । मेरी मां घर पर ही नमकीन और मिठाइयाँ बना लेती है । क्योंकि बाजार से खरीदने पर ये चीजें बहुत महँगी पड़ती हैं और धर का बजट बिगड़ जाता है । हम अपने कपड़े स्वयं ही प्रैस करते हैं, पर कीमती कपड़े धोबी से प्रैस करवा लेते हैं ।
परिवार में रिश्तेदासें का आना-जाना भी लगा रहता है । कभी मेरे मामाजी और उनके बच्चे हमसे मिलने आ जाते हैं और कभी हम अपने ताऊजी के पास चले जाते हैं । हम शाकाहारी भोजन करते हैं । दाल, सब्जियाँ और दूध, दही प्रयोग में लाते हैं ।
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