essay on mera bharat mahan hai
hunny135003:
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मेरे देश का नाम भारत है। भारत को इंडिया तथा हिंदुस्तान नाम से भी जाना जाता है। मेरे देश की जनसंख्या लगभग 1 अरब 21 करोड़ है। यहां अनेक भाषाओं और बोलियों को बोलने वाले लोग निवास करते हैं।
मेरा देश धार्मिक विविधता वाला देश है। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को यहां एक समान दृष्टि से देखा जाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
भायहां अनेक संत और महात्माओं ने जन्म लिया है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, गांधी आदि महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं।
महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है।
मेरा देश लोकतंत्र में विश्वास रखता है। यहां सभी को उन्नति करने के समान अवसर प्राप्त हैं।
भारत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी आदि शत्रुओं से लोग डटकर मुकाबला कर रहे हैं। मेरे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। 15 अगस्त और 26 जनवरी हमारे राष्ट्रीय त्योहार हैं।
भारत के नागरिकों को आशा है कि मेरा देश फिर से अपने प्राचीन गौरव को हासिल कर सकेगा और एक दिन विश्वगुरू बनेगा। मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं।रत की सभ्यता और संस्कृति दुनिया भर में विख्यात है। इसी से अभिभूत होकर लाखों विदेशी नागरिक प्रतिवर्ष यहां घूमने के लिए आते हैं।
मेरा देश धार्मिक विविधता वाला देश है। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को यहां एक समान दृष्टि से देखा जाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
भायहां अनेक संत और महात्माओं ने जन्म लिया है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, गांधी आदि महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं।
महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है।
मेरा देश लोकतंत्र में विश्वास रखता है। यहां सभी को उन्नति करने के समान अवसर प्राप्त हैं।
भारत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी आदि शत्रुओं से लोग डटकर मुकाबला कर रहे हैं। मेरे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। 15 अगस्त और 26 जनवरी हमारे राष्ट्रीय त्योहार हैं।
भारत के नागरिकों को आशा है कि मेरा देश फिर से अपने प्राचीन गौरव को हासिल कर सकेगा और एक दिन विश्वगुरू बनेगा। मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं।रत की सभ्यता और संस्कृति दुनिया भर में विख्यात है। इसी से अभिभूत होकर लाखों विदेशी नागरिक प्रतिवर्ष यहां घूमने के लिए आते हैं।
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नमस्कार मित्र! मेरा भारत यह मात्र शब्द
नहीं है अपितु हर हिन्दुस्तानी के दिल की आवाज़ है। हर हिन्दुस्तानी का
गौरव है। उसका सम्मान है और सबसे बड़ी बात उसकी पहचान है, यह भारतवर्ष। हम
इस भूमि में पैदा हुए हैं। हमारे लिए यह इतना महत्त्वपूर्ण है जितना कि
हमारे माता-पिता हमारे लिए। भारत सिर्फ एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस
भू-भाग में बसे लोगों, उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता, उसके रीति-रिवाजों,
उसके अमूल्य इतिहास का नाम है। भारत के भौगोलिक स्वरूप की बात
की जाए तो यह एक विशाल देश है। इसके उत्तर में पर्वत राज हिमालय खड़ा है।
तो दूसरी ओर दक्षिण में अथाह समुद्र है। पश्चिम में रेगिस्तान की मरूभूमि
है तो पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। ये सब इसकी स्थिति को मजबूत व
प्रभावशाली बनाए हुए है। भारत में जगह-जगह पहाड़ी स्थल, जंगल, हरे-भरे
मैदान, रमणीय स्थल, सुन्दर समुद्र तट, देवालय आदि उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।
जहाँ एक ओर स्वर्ग के रूप में कश्मीर है, तो दूसरी ओर सागर की सुन्दरता लिए
दक्षिण भारत, यहाँ अनगिनत नदियाँ बहती हैं जो अपने स्वरूप द्वारा इसको
दिव्यता प्रदान करती हैं। ये नदियाँ प्रत्येक भारतीय के लिए माँ के समान
पूज्यनीय है। संसार की सबसे ऊँची चोटी भी भारत में स्थित है। इन सभी कारणों
से यह रमणीय और रोमांचकारी बन जाता है। भारत की सभ्यता समस्त
संसार में सबसे प्राचीनतम है। इसकी भूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों
को जन्म दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों
संस्कृतियों को अपनी मातृत्व की छाया में पाल-पोस कर महान संस्कृतियों के
रूप में उभारा है। इस भारतवर्ष की भूमि ने राजा राम और श्री कृष्ण को ही
जन्म नहीं दिया बल्कि महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित जवाहरलाल
नेहरू, भगत सिंह, पृथ्वीराज चौहान जैसे महापुरूषों को भी जन्म दिया है। भारत
में विभिन्नता में एकता के दर्शन होते हैं। इन सब गुणों को देखते हुए हम
कह सकते हैं कि भारतवर्ष का स्वरूप जितना भव्य और विशाल है, उसका मन उतना
ही उन्नत और उदार है। यह मेरा भारत है। भारत में विभिन्न धर्म व
जातियाँ, उनके साथ विभिन्न भाषाएँ भी भारत की माला में सम्मिलित हैं। यहाँ
अनगिनत भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ की राज्यभाषा के रूप में एक तरफ हिन्दी
को मान्यता प्राप्त है तो हिन्दी, संस्कृत, मलयालम, मराठी, पंजाबी,
बंगाली, गुजराती, तेलगु, तमिल, कन्नड़, आदि अनेकों भाषाओं का संगम भी भारत
की छत के नीचे ही होता है। असंख्य महापुरुषों ने यहाँ जन्म लिया है। यह देश
विविध पावन स्थलों से भरा है। यह कहना अनुचित न होगा कि इसका कण-कण पावन
है। मुझे अपने भारत देश पर गर्व है। अनेकता में एकता की इस छवि को मैं
नत-मस्तक हो प्रणाम करता हूँ। इकबाल के शब्दों में – "सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा। हम बुलबुले हैं इसके, ये गुलिस्तां हमारा।।" आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। ढेरों शुभकामनाएँ!
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