essay on mere jeevan ka lakshya (robotic engineer)
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हर इन्सान का जीवन में एक लक्ष्य होता हैं और वो अपने लक्ष्य से प्रेरित होकर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्न करता हैं.कोई डॉक्टर बनकर मरीजो का इलाज करना चाहता हैं तो कोई शिक्षक बनकर अपने देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहता है जिससे देश का भविष्य उज्जवल होता है तो कोई राजनेता बनना चाहता है और वह अपने देश की सेवा करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनना चाहता है और कोई वकील बनकर गरीब लोगों की मदद करना चाहता है वह निर्दोष लोगों की मदद करना चाहता है.दुनिया में अलग-अलग लोगों के अलग अलग जीवन में लक्ष्य होते हैं जिन्हें वह मेहनत करके हर हालत में पाना चाहता है वाकई में अगर जीवन में लक्ष्य मजबूत हो तो हम कुछ भी बन सकते हैं,कुछ भी पा सकते हैं.
मेरा भी लक्ष्य इंजीनियर बनना है.जब मैं बच्चा था तो अक्सर मैं अपने आसपास कुछ इंजीनियरों को देखता था उन्हें देखकर मेरे अन्दर भी एक इक्षा उत्पन्न होती थी की में भी एक इंजिनियर बनू.मेरे मामाजी भी इंजीनियर हैं अक्सर में अपने मामा के पास जाता था तो उन्हें देखता था इंजीनियर को लोग बड़ा ही सम्मान देते हैं.मैं उन्हें देखकर खुश होता था.एक दिन मैंने अपने मामा से कह दिया कि मामा मैं भी आपकी तरह इंजीनियर बनना चाहता हूं तभी से मेरा लक्ष्य इंजीनियर बनना हुआ.मेरे पापा जी भी अक्सर कहा करते हैं कि बेटा जीवन में अगर आगे बढ़ना है तो एक लक्ष्य बनाना होगा मैंने भी लगभग दसवीं क्लास से अपना लक्ष्य बना लिया था और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मैं जी तोड़ मेहनत कर रहा हूं.दोस्तों जीवन में अगर एक लक्ष्य हो तो लक्ष्य के साथ मेहनत करने में मजा भी बहुत आता है और हम बहुत ही जल्दी सफल होते हैं लेकिन अगर लक्ष्य नहीं होता तो हम सफल नहीं हो पाते क्योंकि हमारा पढ़ाई करने में मन नहीं लगता क्योकि हमें पता नहीं होता की आखिर हम पढ़ाई क्यों कर रहे हैं और जब हमें पता होता है की हमारा लक्ष्य क्या है या हमें पढ़ाई करके क्या क्या फायेदे होंगे तोह हमारा मन अपने आप ही पढ़ाई करने में लगने लगता हैं.