Hindi, asked by ankitaashfe, 1 year ago

ESSAY ON MERI JANAM BHUMI

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Answered by gautamishi2
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‘जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् जननी (माता) और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी श्रेष्ठ एवं महान है । हमारे वेद पुराण तथा धर्मग्रंथ सदियों से दोनों की महिमा का बखान करते रहे हैं ।

माता का प्यार, दुलार व वात्सल्य अतुलनीय है। इसी प्रकार जन्मभूमि की महत्ता हमारे समस्त भौतिक सुखों से कहीं अधिक है । लेखकों, कवियों व महामानवों ने जन्मभूमि की गरिमा और उसके गौरव को जन्मदात्री के तुल्य ही माना है ।

जिस प्रकार माता बच्चों को जन्म देती है तथा उनका लालन-पालन करती है, अनेक कष्टों को सहते हुए भी बालक की खुशी के लिए अपने सुखों का परित्याग करने में भी नहीं चूकती उसी प्रकार जन्मभूमि जन्मदात्री की भाँति ही अनाज उत्पन्न करती है |

वह अनेक प्राकृतिक विपदाओं को झेलते हुए भी अपने बच्चों का लालन-पालन करती है । अत: किसी कवि ने सच ही कहा है कि वे लोग जिन्हें अपने देश तथा अपनी जन्मभूमि से प्यार नहीं है उनमें सच्ची मानवीय संवेदनाएँ नहीं हो सकतीं ।

“जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं ।

हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।”

माता की महिमा का गुणगान तीनों लोकों में होता रहा है । वह प्रत्येक रूप में पूजनीय है ।

Answered by Priatouri
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मेरी जन्मभूमि |

Explanation:

जिस स्थान पर हम जन्म लेते हैं उसे हम अपनी जन्मभूमि के नाम से जानते हैं। जिस स्थान पर मैंने जन्म लिया वह मेरी जन्म भूमि है। मेरी जन्मभूमि दिल्ली के एक छोटे से शहर में स्थित है।  मेरे जन्म भूमि मुझे बहुत प्यारी लगती है क्योंकि यही वह स्थान है जहां पर मैंने अपने बचपन के दिन बिताए हैं। मेरी जन्म भूमि नकल देखने में अच्छी है बल्कि इसने मुझे बहुत कुछ सिखाया भी है। मेरे इस जन्म भूमि पर मैंने सबसे पहले बोलना और फिर चलना और फिर पढ़ना भी सीखा। मेरे जन्म भूमि से मेरी कई सारी यादें जुड़ी हैं। मेरी जन्मभूमि मुझे जान से ज्यादा प्यारी है।

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