essay on meri kalpana ka bharat
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मेरी कल्पना के भारत को अपने नजरिए में कुछ बदलाव करना होगा, जो वास्तव में आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के मौजूदा लक्ष्यों का विरोधी नहीं है. मेरी कल्पना का भारत इस बात को समझेगा कि कंगाली और निर्धनता के दूर दूर तक फैले हुए समुद्र में इन लक्ष्यों पर बने रहना एक बिंदु के बाद नामुमकिन हो सकता है. इसलिए उस बिंदु तक पहुंचने से पहले इन बाधाओं को हटाना बेहद जरूरी है. इसलिए मेरी कल्पना का भारत लोगों को इस तरह बुनियादी रूप से सशक्त बनाने के लिए कदम उठाता कि वे नवउदारवाद की गाड़ी को उलट न दें, बल्कि वे इसे आगे धकेल सकें. इस बुनियादी सशक्तीकरण में निजी सशक्तीकरण, सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण, सामाजिक-राजनीतिक सशक्तीकरण और सामाजिक-सांस्कृतिक सशक्तीकरण शामिल हैं. इनको क्रमश: साध्य के लिए जरूरी कदम ये हैं: स्वास्थ्य तथा शिक्षा; भूमि सुधार और रोजगार; न्यूनतम लोकतंत्र की बहाली; तथा रूढ़िवाद पर अंकुश लगाने और आधुनिकता को बढ़ावा देने की नीतियां. अगर भारत इन चार में से पहले दो पर भी ध्यान दे तो भी उसकी पूरी कायापलट हो जाएगी.
स्वास्थ्य के मामले में मेरा भारत सार्वजनिक साफ सफाई रखेगा, सबको पीने का पानी प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराएगा और यह एक सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली स्थापित करेगा ताकि नियंत्रित मूल्यों पर अनाज तथा दूसरी खाद्य सामग्री की जरूरतें पूरी की जा सकें. इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में अपने आप में भारी कमी आएगी. स्वास्थ्य बुनियादी देखभाल सभी भारतीयों के लिए मुफ्त होगी, जिसे सभी इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों की एक श्रृंखला के जरिए मुहैया कराया जाएगा. इन केंद्रों के पास आपातकालीन एंबुलेंस भी होगी. जटिल बीमारियों के इलाज के लिए समुचित दूरी पर स्थापित अस्पताल होंगे जिनके पास जरूरी उपकरण होंगे. ये सभी का मुफ्त इलाज करेंगे, जिसे आसान किस्तों वाली एक स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मुहैया कराया जाएगा. राज्य यह सचेत रूप से यकीनी बनाएगा कि किसी भी बच्चे पर अपने मां-बाप की अक्षमताओं का ठप्पा न रहे. यह सभी गर्भवती महिलाओं को पूरा पोषण और जन्म से पहले जरूरी सारी देखरेख मुहैया कराएगा, जिन्हें इसकी जरूरत है. यह सुनिश्चित करेगा कि सभी बच्चे स्वस्थ पैदा हों. वे अपने जन्म के बाद अठारह साल तक पड़ोस के स्कूलों में एक अनिवार्य, मानक शिक्षा की व्यवस्था के जरिए शिक्षा हासिल करेंगे, जिसे पूरी तरह राज्य चलाएगा. कथित ‘शिक्षा का अधिकार’ के तहत केजी से लेकर पीजी तक खड़े हुए, अनेक स्तरों वाले शिक्षा के बाजार को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा. उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को कायम रखा जाएगा और यह मुफ्त में दी जाएगी या फिर राज्य भारी रियायतों के साथ उचित मूल्य पर इसे उपलब्ध कराएगा.
लोगों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के लिए सारी भूमि का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाएगा. एक तरफ जहां खेती योग्य जमीन को किसानों की सहकारी समितियों को दे दिया जाएगा जो वैज्ञानिक खेती के लिए जरूरी उपकरणों से लैस होंगी. दूसरी तरफ बाकी की जमीन को गैर खेतिहर आधारभूत संरचना तथा उद्योगों के विकास के काम में लाया जाएगा. स्थानीय लोगों की बुनियादी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए देश भर में सौर तथा पवन ऊर्जा जैसी कभी खत्म न होनेवाली ऊर्जा की व्यापक परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था के जरिए किसानों की सहकारी समितियों को उचित कर्जे मुहैया कराए जाएंगे. अपनी उपज से उपयोगी वस्तुएं बनाने के लिए इन समितियों को साथ मिल कर कृषि-आधारित और अन्य उद्योगों की स्थापना करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिनमें खेती की पैदावार के हर हिस्से से तरह तरह की उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन किया सके. इसमें गैर खेतिहर आबादी को रोजगार दिया जाएगा. निर्माण उद्योग को इस तरह विकसित किया जाएगा कि इसमें शिक्षा व्यवस्था से निकले नौजवानों को लाभकारी तरीके से रोजगार दिया जा सके. सेवा क्षेत्र जनता के जीवन स्तर के भीतर से ही, उससे जुड़ कर विकसित होना चाहिए.
जनता का यह बुनियादी सशक्तीकरण भारत को विकास की एक दूसरी ही दुनिया में ले जाएगा जिसके बारे में हमारा अंधा शासक वर्ग कल्पना तक नहीं कर सकता. संसाधनों की कमी का हमेशा बनाया जानेवाला बहाना एक झूठ है. इसका इस्तेमाल करते हुए, हमारे शासक वर्ग ने साम्राज्यवादी हितों को पालने-पोसने वाली एक दलाल संस्कृति को बनाए रखा है. सरकार ने पिछले महज नौ सालों में 36 ट्रिलियन (36000000000000) रुपए कॉरपोरेट कंपनियों को बांटे हैं और उससे भी ज्यादा काला धन देश के बाहर जाने दिया है. भारत के पास सभी संसाधन हैं; कमी बस राजनीतिक इच्छा की है. उन्हें यह समझना चाहिए कि ये कदम कतई क्रांतिकारी नहीं है, बल्कि वे सब बुर्जुआ दायरे में ही आते हैं.
यह हमारी बदकिस्मती ही है कि भारत की यह साधारण सी कल्पना भी आज क्रांतिकारी लगती है जो किसी को भी माओवादी कह कर जेल भिजवा देने के लिए काफी हो.
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