essay on meri saheli
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Meri Saheli Essay in Hindi : My Friend Essay : मेरा दोस्त पर निबन्ध
My Best Friend Essay in Hindi
(Meri Saheli Essay in Hindi)
कहा जाता है ना सच्चा मित्र बहुमूल्य उपहार की तरह होता है हर किसी को एक सच्चे मित्र की जरूरत पड़ती है बुरे वक्त में सच्चा मित्र हमेशा काम आता है । 
वैसे तो मेरे बहुत सारे मित्र हैं किन्तु राजू मेरा सबसे पक्का मित्र है। राजू बड़े ही विनम्र और मधुर स्वभाव का लड़का है उसकी सभी आदतें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। उसका घर मेरे घर के पास ही है में उसके घर जाता हूं और उसके साथ पढ़ता और खेलता हूं हमारी दोस्ती में स्वार्थ की भावना बिल्कुल भी नहीं है और हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं और हम क्लास में भी एक साथ बैठते हैं
राजू के पिता जी एक डॉक्टर हैं और उनकी माता जी घर का कार्य संभालती है वह बहुत ही स्नेहशील माता हैं। इसके इलावा राजू की एक छोटी बहन भी जो बहुत ही प्यारी एवं नटखट है राजू पढने में बहुत हुशियार है वह हमेशा ही क्लास में प्रथम आता है। वह पढाई के साथ -साथ खेलों में भी बड़ा अच्छा खिलाड़ी है वह क्रिकेट बहुत अच्छा खेलता है।
गिटार वजाना राजू की हॉबी है वह बहुत अच्छा गिटार बजा लेता है मुझे उसकी गिटार सुनना बहुत ही अच्छा लगता है।
राजू एक शांत स्वभाव का लड़का है वह किसी से लड़ता झगड़ता भी नहीं है। वह बड़ा आज्ञाकारी लड़का है सदैव सत्य बोलता है। हमारे स्कूल के सभी उसे बहुत प्यार करते हैं। इतने गुणों के बावजूद भी राजू कभी भी घमंड नहीं करता।
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हमेशा निभाते हैं दोस्ती का फर्जपूनम मेरी सबसे प्रिय और सबसे पक्की सहेली है। हम दोनों की दोस्ती 2008 में हुई थी, जब हम स्कूल के प्ले ग्राउंड पर ...
हमेशा निभाते हैं दोस्ती का फर्ज
पूनम मेरी सबसे प्रिय और सबसे पक्की सहेली है। हम दोनों की दोस्ती 2008 में हुई थी, जब हम स्कूल के प्ले ग्राउंड पर वॉलीबॉल खेल रहे थे। पहले मुझे लगता था कि स्कूल के बाद हम एक-दूसरे से बिछड़ जाएंगे और फिर नहीं मिल पाएंगे। मुझे नहीं पता कि मैं खुशकिस्मत थी या हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी थी कि स्कूल के बाद भी हम दोस्त बने रहे। कई बार हमारे बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा भी हुआ, फिर भी हमारे बीच कोई मतभेद नहीं हुआ और हमारी दोस्ती में कोई दरार नहीं आने पाई। हम दोनों को ही एक-दूसरे की पसंद और नापसंद के बारे में पता है, दोनों एक-दूसरे के पसंद के कपड़े पहनते हैं। पूनम मुझ पर बहुत भरोसा करती है। जब भी कोई परेशानी आती है, तो हम एक-दूसरे की मदद के लिए खड़े रहते हैं। आखिर दोस्ती का फर्ज भी तो यही है। अगर सही मायने में कहूं तो पूनम मेरी दोस्त से बढ़कर मेरी प्यारी बहन बन चुकी है, मेरे परिवार का अहम हिस्सा बन गई है।
- एकता, सेक्टर-64
हाउस वाइफ की डायरी
ससुराल में लिखी सफलता की इबारत
दूसरी लड़कियों की तरह मुझे भी मायके में खूब प्यार, दुलार मिला। मेरे पापा की ख्वाहिश थी कि मैं अपने बूते उन्हें कुछ करके दिखाऊं, खुद को साबित करूं। मुझे बचपन से ही लोक नृत्य से बहुत लगाव रहा है। कक्षा-4 से कक्षा-10 के बीच कई बार जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी थी। ग्रैजुएशन के दौरान लखनऊ में एक नैशनल लेवल डांस प्रतियोगिता हुई, तो मुझे अपने पापा का सपना पूरा करने का मौका मिला। मैंने हरियाणा टीम की तरफ से उसमें हिस्सा लिया और उसमें अच्छा प्रदर्शन करने पर उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे सम्मानित भी किया। फिर 2004 में मेरी शादी विजय सलूजा के साथ हो गई। पहले मन में तरह-तरह के ख्याल आते थे, लेकिन ससुराल पहुंचने पर वहां मुझे मायके जैसा ही प्यार और सम्मान मिला। ससुराल में सबके सहयोग से मुझे करियर में आगे बढ़ने का मौका मिला। शादी के कुछ ही दिनों के भीतर मुझे सेक्टर-11 स्थित हारट्रोन कंप्यूटर सेंटर में सेंटर डायरेक्टर चुना गया और फरीदाबाद सहित मेवात, पलवल जिलों की जिम्मेदारी उठाने का मौका मिला। यह पति के सहयोग और साथ की वजह से ही हो सका। मेरी सासू मां कृष्णा देवी ने भी हमेशा मुझे अपनी बेटी जैसा दिया। उन्होने कभी मुझे किसी काम के लिए मना नहीं किया। कभी कोई रोक-टोक नहीं लगाई। ससुराल में आकर मुझे जिंदगी के हर मोर्चे पर संतुलन बनाना आ गया। - रेनू, ग्रेटर फरीदाबाद