Hindi, asked by krishagrawal935, 5 months ago

essay on mobile ka badta chlan ghatak prabhav 150-200 words​

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Answered by tiwarishashwat125
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भारत में युवा पीढ़ी में स्मार्टफोन के बढ़ते क्रेज की वजह से फोन बनाने वाली कंपनियों की चांदी हो गई है. शहरी इलाकों में पांच करोड़ दस लाख लोगों के पास स्मार्टफोन हैं. एक साल के भीतर इसमें 89 फीसदी की वृद्धि हुई है.

एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, 16 से 18 साल की उम्र के युवाओं में स्मार्टफोन की तादाद में पिछले साल के मुकाबले चार गुना से भी ज्यादा वृद्धि हुई है और यह पांच से बढ़ कर 22 फीसदी तक पहुंच गया है. महानगरों में ऐसे फोन की पहुंच तेजी से बढ़ी है. इनमें 23 फीसदी लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. इसी दौरान दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ऐसे फोन का इस्तेमाल करने वालों की तादाद दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है.

भारत स्मार्टफोन का दुनिया का तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है. यहां टचस्क्रीन, सोशल नेटवर्किंग और चैटिंग की सुविधा वाले ऐसे फोन अब स्टेटस सिंबल बनते जा रहे हैं. यही नहीं, अब तो युवा पीढ़ी के लोग दो-तीन मोबाइल फोन रखने लगे हैं. कोलकाता विश्वविद्यालय के छात्र सुरेश मोहता कहते हैं, "अब हमारे पास स्मार्टफोन नहीं हो तो सहयोगी हमसे अछूत की तरह व्यवहार करेंगे."

बढ़ते क्रेज की वजह

आखिर स्मार्टफोन के प्रति युवा वर्ग में बढ़ते आकर्षण की वजह क्या है? इस सवल का जवाब देते हैं नीलसन इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रशांत सिंह. वह कहते हैं, "ऊंची कीमतों की वजह से अब तक ऐसे फोन खरीदना मुश्किल था. लेकिन अब बाजारों में पांच से छह हजार रुपए में कई स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. युवा पीढ़ी अपने घरवालों को इतनी रकम खर्च करने के लिए आसानी से तैयार कर लेती है." वह कहते हैं कि अब ऐसे लोग भी आसानी से स्मार्टफोन खरीद रहे हैं जो पिछले साल तक इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे. इसके अलावा गाने सुनने, वीडियो देखने, गेम खेलने, फोटो खींच कर उसे शेयर करने और मैसेजिंग के नए-नए एप्स की वजह से युवाओं में ऐसे फोन का क्रेज लगातार बढ़ रहा है.

जहां तक मोबाइल निर्माता कंपनियों का सवाल है, उनकी तो पौ-बारह है. अब त्योहारी सीजन में हर सप्ताह कोई न कोई कंपनी स्मार्टफोन की नई रेंज बाजार में पेश कर रही है. पांच हजार रुपए तक के बीसियों ऐसे फोन बाजार में उपलब्ध हैं. देश में सस्ते स्मार्टफोन्स की सीरिज लॉन्च करने वाली माइक्रोमैक्स इंडिया के सह-संस्थापक राहुल शर्मा कहते हैं, "नई पीढ़ी की पसंद व मानसिकता में आने वाले बदलाव को भांपते हुए हमने पहली बार आम लोगों की जेब को ध्यान में रख कर सस्ते स्मार्टफोन की रेंज बाजार में पेश की थी. हमने आम लोगों तक बेहतर तकनीक पहुंचाना आसान बना दिया है." इस बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अब तमाम देशी व विदेशी कंपनियां ऐसे सस्ते फोन बाजार में उतार कर अपनी तिजोरी भर रही हैं.

खतरे

युवाओं में ऐसे फोन के प्रति बढ़ते आकर्षण के खतरे भी हैं. यह पीढ़ी मोबाइल पर गेम खेलने या चैटिंग के दौरान अपने आसपास के माहौल से पूरी तरह कट जाती है. सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद ठाकुर कहते हैं, "स्मार्टफोन युवक-युवतियों को तेजी से अपने नशे की गिरफ्त में ले रहा है. इसके दूरगामी असर होंगे." महानगरों में तो युवाओं को कानों में ईयरफोन लगाकर बात करते या गेम खेलते देखना आम है. बस या ट्रेनों में चढ़ने-उतरने के दौरान भी वह अपने फोन में व्यस्त रहते हैं. यही वजह है कि मोबाइल पर बात करने के दौरान ट्रेन से कट कर होने वाली मौतों या सड़क हादसों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है. महानगर के एक ईएनटी (कान, नाक और गला) विशेषज्ञ डाक्टर अरिंदम मुखर्जी कहते हैं, "स्मार्टफोन के नशे की वजह से युवा पीढ़ी में ऊंचा सुनने की बीमारी तो अब लगभग आम हो गई है."

मौजूदा परिस्थिति में स्मार्टफोनों के प्रति बढ़ता आकर्षण मोबाइल निर्माता कंपनियों की झोली भले भर रहा हो, भावी पीढ़ी के लिए तो यह खतरे की घंटी ही है. लेकिन इसे रोकने का न तो कोई साधन है और न ही किसी को इस बारे में सोचने की फुर्सत. समाजशास्त्रियों का कहना है कि विभिन्न स्तरों पर जागरुकता अभियान चला कर युवा पीढ़ी और अभिभावकों को सचेत करने के अलावा इस समस्या से निपटने का दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

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