Hindi, asked by shreyansbafna6299, 1 year ago

Essay on mobile ke durupyog in Hindi

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Answered by AdityaRocks1
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देश की मोबाइल क्रांति का असर घरघर पहुंच चुका है और परिवार के सदस्य अब आपस में बैठ कर बातें नहीं करते, अपनेअपने मोबाइल पर अल्फाबेट दबाते रहते हैं या फालतू के वीडियो देखते रहते हैं. अनजानों से बढ़ता प्रेम और अपनों से बढ़ती दूरी का कारण

यह है कि मोबाइलों पर हर सैकंड कुछ न कुछ नया आता रहता है और यदि वह सैकंड छूट जाए तो आई बात हो सकता है या तो गायब हो जाए या फिर स्क्रीन से कहीं दूर चली जाए.

इस दौरान घर की समस्याएं पराई हो रही हैं और फालतू के इमोशनल स्लोगन अपने होते जा रहे हैं. जो लोग अपनी बात 4 जनों में कहते कतराते हैं कि शायद गलत न हो या कोई बुरा न मान जाए, मोबाइल पर बेधड़क हो कह डालते हैं. यह बात दूसरी है कि दूसरी तरफ वाले को अप्रिय बात उतनी ही गलत लगती है और बहुत से संबंध फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम के कारण बिगड़ रहे हैं.

आज मोबाइल क्रांति का भरपूर दुरुपयोग हो रहा है और गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम लोगों की बेवकूफी से अरबों डौलर बना रहे हैं जैसे पहले सड़क पर यदाकदा आने वाले मदारी बनाया करते थे. अब यह बेवकूफी रातदिन चलती है और हर जगह चलती रहती है.  मोबाइल पर अपना कच्चा चिट्ठा खोल देना या दूसरे को पछाड़ देना अब आसान हो गया है, पर यह पारिवारिक संबंधों को तारतार कर रहा है. मोबाइल संपर्क साधने का सुगमसरल साधन जरूर है पर इस को संबंध बनानेबिगाड़ने की ताकत दे कर पूरी दुनिया ने अपना व्यक्तित्व ही खो डाला है.

जो आशा थी कि मोबाइल क्रांति के बाद तेजी से आर्थिक उन्नति होगी और भूख, धन, सुरक्षा, भय के इशू का हल आसानी से हो जाएगा, अब वह धूमिल हो गईर् है और इस में हर घर, हर गृहिणी, हर बच्चे का भी हाथ है.  आतंकवादियों से ले कर शासकों तक की धौंसपट्टी के लिए मोबाइल क्रांति इसीलिए जिम्मेदार है, क्योंकि दोनों जानते हैं कि दुनिया भर के लोगों ने खुद को मोबाइलों की जंजीरों में पहले ही बांध लिया है. उन्हें तो अब जंजीर का दूसरा हिस्सा पकड़ाना है.  बंधे लोग कभी सुखी, सहज और हंसते परिवारों का निर्माण नहीं कर सकते. पिछली सदी में पुस्तकों के माध्यमों से जो नए विचार घरघर पहुंचे थे उन्हें मोबाइल क्रांति ने कुचल दिया है और कुचले लोग धर्म, शासकों और कट्टरपंथियों के इशारों पर नाचने को मजबूर हैं.

Answered by tushargupta0691
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Answer:

मनुष्य ने अतीत में एक समाज की स्थापना की। शुरुआत में लोग गुफाओं में रहते थे। फिर समय के साथ, समाजों की स्थापना हुई। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गई, मनुष्य विभिन्न अपराधों में शामिल होता गया। निःसंदेह अविष्कार तो हुए, लेकिन इन आविष्कारों का दुरूपयोग भी हुआ और अनेक समस्याएं उत्पन्न हुईं।

आज, हमारे पास संचार के लिए एक महान आशीर्वाद के रूप में हमारी जेब में मोबाइल फोन हैं। लेकिन, मोबाइल के काले पहलू भी होते हैं। मोबाइल फोन की उपयोगिता में नमक का एक दाना नहीं है, लेकिन उनके दुरुपयोग ने मानवता के लिए बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है। शेक्सपियर का कहना है कि कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता है, लेकिन सोच ऐसा बनाती है। दरअसल, हर चीज के दो पहलू होते हैं जो अच्छा या बुरा होता है। मनुष्य ने बहुत सी चीजों का आविष्कार किया है। एक आविष्कार मनुष्य की उपयोगिता को प्रस्तुत करता है। एक समय था जब मनुष्य जंगल और गुफाओं में रहा करता था। फिर शुरू हुई जीवन की भाप, और आबादी अपनी सीमाओं से बाहर आ गई। आज यह आविष्कारों का युग है और इस मामले में मोबाइल फोन एक बड़ी उपलब्धि बन गया है। हालाँकि, हम इसकी उपयोगिता को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम दुरुपयोग को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। मोबाइल फोन के निम्नलिखित दुरूपयोग हैं, जो इस प्रकार हैं; 1-भ्रष्टाचार 2-आतंकवाद 3-फेसबुक का दुरुपयोग 4=परीक्षा में दुरुपयोग 5=डेटा हैकिंग 6=चैटिंग, और समय की बर्बादीI

युवा लोग उन्हें हर समय अपने विचारों को साझा करने और अपने प्यार के तरीकों को व्यक्त करने में शामिल करते हैं। परिणाम उनके जीवन में असफलता लाता है। ये गतिविधियाँ देश के युवाओं के लिए एक बड़ी आपदा लेकर आती हैं।

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