essay on moharam in hindi
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2018 में सितंबर और अक्टूबर महीने में दुनिया भर में इस्लाम धर्म के लोगों द्वारा मुहर्रम त्योहार मनाया जाएगा। यह बुधवार 12 सितंबर की शाम को शुरू होगा और शुक्रवार की शाम को समाप्त होगा 21 अक्टूबर को। उत्सव की तारीख स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
यह इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने के रूप में हर साल गिरता है और इस्लाम में वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दिन इस्लामी वर्ष की शुरूआत के लिए पूरे भारत में अवकाश होता है।
मुहर्रम त्यौहार का इतिहास HISTORY OF MUHARRAM FESTIVAL
पवित्र कुरान के मुताबिक, वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक मुहर्रम है (अन्य तीन हैं ज़ुलकदाह, जुलीजिज और रजब)। मुहर्रम का अंग्रेजी अर्थ “निषिद्ध है” और इसे इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के बारह महीने के पहले महीने के रूप में मनाया जाता है. लोग इस दिन जश्न मनाते हैं जब वे बढने वाला चंद्रमा देखते हैं. यह मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत के लिए मनाया जाता है।
Also Read दिवाली पर 6 कहानियाँ Diwali Stories in Hindi & History of Diwali
कर्बला की लड़ाई के दौरान उनके परिवार के सदस्यों और अनुयायियों के साथ 680 ई. में उनकी मृत्यु हो गई थी। लोग अली (पैगंबर के दामाद) और उनके बड़े बेटे हसन को याद करते हुए मुहर्रम का जश्न मनाते हैं क्योंकि पूरे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के लिए उनका निधन हो गया है।
यह इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने के रूप में हर साल गिरता है और इस्लाम में वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दिन इस्लामी वर्ष की शुरूआत के लिए पूरे भारत में अवकाश होता है।
मुहर्रम त्यौहार का इतिहास HISTORY OF MUHARRAM FESTIVAL
पवित्र कुरान के मुताबिक, वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक मुहर्रम है (अन्य तीन हैं ज़ुलकदाह, जुलीजिज और रजब)। मुहर्रम का अंग्रेजी अर्थ “निषिद्ध है” और इसे इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के बारह महीने के पहले महीने के रूप में मनाया जाता है. लोग इस दिन जश्न मनाते हैं जब वे बढने वाला चंद्रमा देखते हैं. यह मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत के लिए मनाया जाता है।
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कर्बला की लड़ाई के दौरान उनके परिवार के सदस्यों और अनुयायियों के साथ 680 ई. में उनकी मृत्यु हो गई थी। लोग अली (पैगंबर के दामाद) और उनके बड़े बेटे हसन को याद करते हुए मुहर्रम का जश्न मनाते हैं क्योंकि पूरे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के लिए उनका निधन हो गया है।
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मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् का पहला महीना है। यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है। हिजरी सन् का आगाज इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है। साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत बयान की है।मुख्तलिफ हदीसों, यानी हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के कौल (कथन) व अमल (कर्म) से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। ऐसे ही हजरत मुहम्मद ने एक बार मुहर्रम का जिक्र करते हुए इसे अल्लाह का महीना कहा। इसे जिन चार पवित्र महीनों में रखा गया है, उनमें से दो महीने मुहर्रम से पहले आते हैं। यह दो मास हैं जीकादा व जिलहिज्ज।एक हदीस के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं। यह कहते समय नबी-ए-करीम हजरत मुहम्मद ने एक बात और जोड़ी कि जिस तरह अनिवार्य नमाजों के बाद सबसे अहम नमाज तहज्जुद की है, उसी तरह रमजान के रोजों के बाद सबसे उत्तम रोजे मुहर्रम के हैं। इस्लामी यानी हिजरी सन् का पहला महीना मुहर्रम है। इत्तिफाक की बात है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आमजन की नजरों से ओझल है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहीये जबकि पैगंबरे-इस्लाम ने इस माह में खूब रोजे रखे और अपने साथियों का ध्यान भी इस तरफ आकर्षित किया। इस बारे में कई प्रामाणिक हदीसें मौजूद हैं। मुहर्रम की 9 तारीख को जाने वाली इबादतों का भी बड़ा सवाब बताया गया है। हजरत मुहम्मद के साथी इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मदने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब (फल) 30 रोजों के बराबर मिलता है। गोया यह कि मुहर्रम के महीने में खूब रोजे रखे जाने चाहिए। यह रोजे अनिवार्य यानी जरूरी नहीं हैं, लेकिन मुहर्रम के रोजों का बहुत सवाब है।
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meet688368:
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