Essay on my aim in life in Hindi fast
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जीवन को सही तरीके से जीने के लिए एक लक्ष्य का होना आवश्यक है |लक्ष्य होने से हमारा जीवन सफलता की ऊँचाई छु सकता है |जीवन का लक्ष्य ही जीवन के सफलता की पहली सीडी है |जिस प्रकार द्रोणाचार्य ने अर्जुन को लक्ष्य देकर ही एक सफल योद्धा बनाया था , ठीक उसी प्रकार हमारे जीवन मे भी एक लक्ष्य होना चाहिए|लक्ष्य ,भी ऐसा होना चाहिए जो हमारे मानव समाज की उन्नति मे सहायक हो।
मेरा लक्ष्य जीवन मे एक ईमानदार इंसान एवं एक सफल इंजीनियर बनना है |ईमानदार व्यक्ति ही जीवन को सही तरीके से जी सकता है एवं दूसरों की सहायता कर सकता है |समाज को सुदरण बनाने के लिए समाज मे ईमानदार लोगो का होना ज़रूरी है |देश के विकास के लिए नयी नयी परियोजनाए जैसे सड़के ,ब्रिज ,डैम आदि का सफलता पूर्वक निर्माण होना आवश्यक है |इन सभी बातों को ध्यान मे रखते हुए एवं शिक्षा मे टेक्नालजी के प्रति मेरी रुचि को देखते हुए इंजीनियर बनना ही मेरा लक्ष्य है |इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैंने अच्छे आदर्शो को अपनाया |साथ-साथ शिक्षा मे भी कठिन परिश्रम कर रहा हूँ |मुझे विश्वास है की अपनी कठिन परिश्रम से आने वाले समय मे जीवन मे इन लक्षों को प्राप्त कर लूँगा |
जिस प्रकार गीता मे श्री कृष्ण ने कहा था की "कर्म कर और फल की चिंता मत कर "उसी तरह हम सभी को चाहिए की जीवन मे एक लक्ष्य बनाए और उसकी प्राप्ति क लिए परिश्रम करते रहे |
मेरा लक्ष्य है में एक अध्यापक बनना चाहता हूं भले ही ये कुछ लोगों को साधारण सा लक्ष्य लगे किन्तु मेरे लिए यह गौरव की बात है समाज सेवा और देश की सेवा करने का सबसे उचित साधन यही है।
विद्द्यार्थी देश की नींव होते हैं इसीलिए इस नींव का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है जिस ईंट पर नींव टिकती है महल उसी पर खड़ा होता है इसीलिए महल को मजबूत बनाने के लिए नींव का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। विद्द्यार्थी रुपी नींव को मजबूत बनाने के लिए उन्हें सही शिक्षा देना जरूरी है जिसके आधार पर ही वह देश और राष्ट्र की सेवा कर सकें।
आज के अध्यापक को देखकर मेरा मन थोडा निराशा से भर जाता है आज के ज्यादातर अध्यापक धन कमाने को ही वह अपना लक्ष्य बना बैठे हैं वह अपने स्वार्थ के लिए शिक्षा के साथ खिलबाड़ कर रहें हैं किन्तु कुछ अध्यापक ऐसे भी हैं जिनका लक्ष्य शिक्षा का प्रसार करना है वह शिक्षा को धन से ज्यादा महत्व देते हैं जिनका लक्ष्य विद्द्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देना है और उनमें उतम गुणों का विकास करना है ताकि वह आगे जाकर अपने देश की सेवा कर सकें।