English, asked by yuvi24971, 10 months ago

Essay on my contributionbution to keep my country clean

Answers

Answered by swari7779
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Hey Mate!!!!

Here's your answer.

We can do a lot to make India clean. In order to make India clean the first and foremost thing we have to do is make our thoughts clean. We will have to shun the apathy and indifference we have harboured in our hearts towards the national and personal cleanliness. If each one of us pledges to keep our own surroundings clean, India will automatically become clean. India is unclean because we fail to keep our own surroundings clean. In order to make India clean, I will do my role responsibly in keeping my surroundings clean.

 Amit Abraham has very wisely said “Clean your mind and our country will automatically get dry cleaned.” India, our beloved motherland is in the direst need of cleanliness. The general state of our cities, towns, colonies, rivers, oceans, lakes, hill-stations, parks, gardens, public transportation systems, railway stations, public toilets, etc, all indicate we as a nation are not pro-cleanliness! The nationwide ‘Swachch Bharat Abhiyan’ is another proof of our vice of apathy to the squalor lying uncleaned around us!

As the entire nation is abuzz with the cleanliness drives and campaigns under the impetus of ‘Swachch Bharat Abhiyan’ launched by the Honorable Prime Minister of India, Mr. Narendera Modi, let’s contribute to it by making ourselves clean first.  We must ensure we become the real participant in this crusade against the dirt and squalor in true spirit. We must start the cleanliness drive from our own home and surroundings.  Our zeal and enthusiasm for the cleanliness drive is useless, if our own home and surroundings are unclean, and we are spending hours cleaning the streets in other areas.

 

The best way to begin this cleanliness drive is our own room, our own cupboard, our own toilet, our own kitchen, our own garbage. Do we keep our own room and surroundings clean? Are we able to maintain the cleanliness around us? If we really do, we feel the satisfaction and contentment of being clean! Now we can lend a helping hand and our expertise in keeping the neighborhood clean! This is how we must go about this cleanliness drive. Remember, only a lit candle can light other unlit candles. Similarly, people who keep themselves clean and their surroundings clean, can help other people to achieve cleanliness objectives.

For example if I had to start contributing to keeping India clean, first of all I would ensure complete cleanliness around me. I would keep my own room, cupboard, clothes, washroom, etc, clean. If there were some used utensil lying in the kitchen, I would do them and not wait until my mother got free to do them. If I would see some trash lying here and there in the house or around the house, I would put it in the bin. If each individual shoulders the responsibility of keeping himself and his surroundings clean, the world would become a real Elysium. 

The Government should also create proper cleanliness infrastructure; there must be proper garbage and sewage water treatment plants; there should be enough trees in and around the cities to keep the environment clean. If the Government fails, the people should put pressure on the Government. If all of us work concertedly towards achieving complete cleanliness, then it is possible. I can contribute in keeping and making India clean by doing my level best in keeping myself as well as my surroundings clean.

Please mark me the brainiest

Answered by lavoogupta2002
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Answer:

1. भारत को स्वच्छ बनाने के लिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं। भारत को स्वच्छ बनाने के लिए सबसे पहले हमें अपने विचारों को स्वच्छ बनाना होगा। राष्ट्रीय और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति हमारे दिलों में जो उदासीनता और उदासीनता है, उसे हमें दूर करना होगा। यदि हम में से प्रत्येक अपने परिवेश को स्वच्छ रखने का संकल्प लें तो भारत अपने आप स्वच्छ हो जाएगा। भारत अशुद्ध है क्योंकि हम अपने परिवेश को स्वच्छ रखने में विफल रहते हैं। भारत को स्वच्छ बनाने के लिए मैं अपने परिवेश को स्वच्छ रखने में जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाऊंगा। हमारी प्यारी मातृभूमि भारत को स्वच्छता की सख्त जरूरत है। हमारे शहरों, कस्बों, कॉलोनियों, नदियों, महासागरों, झीलों, हिल-स्टेशनों, पार्कों, उद्यानों, सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों, रेलवे स्टेशनों, सार्वजनिक शौचालयों आदि की सामान्य स्थिति, सभी संकेत देते हैं कि हम एक राष्ट्र के रूप में स्वच्छता समर्थक नहीं हैं! राष्ट्रव्यापी 'स्वच्छ भारत अभियान' हमारे आस-पास अशुद्ध पड़ी गंदगी के प्रति हमारी उदासीनता का एक और प्रमाण है! जैसा कि माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किए गए 'स्वच्छ भारत अभियान' के प्रोत्साहन के तहत पूरा देश स्वच्छता अभियानों और अभियानों से गुलजार है।

भारत के मंत्री श्री नरेंद्र मोदी, आइए पहले खुद को स्वच्छ बनाकर इसमें योगदान दें। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सही मायने में गंदगी और गंदगी के खिलाफ इस धर्मयुद्ध में वास्तविक भागीदार बनें। स्वच्छता अभियान की शुरुआत हमें अपने घर और आसपास से करनी चाहिए। स्वच्छता अभियान के लिए हमारा जोश और उत्साह बेकार है, अगर हमारा अपना घर और आस-पास अशुद्ध है, और हम अन्य क्षेत्रों में सड़कों की सफाई में घंटों बिता रहे हैं। इस स्वच्छता अभियान को शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है हमारा अपना कमरा, हमारी अपनी अलमारी, हमारा अपना शौचालय, हमारी अपनी रसोई, हमारा अपना कचरा। क्या हम अपना कमरा और आसपास साफ-सुथरा रखते हैं? क्या हम अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखने में सक्षम हैं? यदि हम वास्तव में ऐसा करते हैं, तो हम शुद्ध होने की संतुष्टि और संतोष महसूस करते हैं! अब हम आस-पड़ोस को साफ-सुथरा रखने में मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं और विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं! इस तरह से हमें इस स्वच्छता अभियान के बारे में जाना चाहिए। याद रखें, केवल एक जली हुई मोमबत्ती ही अन्य जली हुई मोमबत्तियों को जला सकती है। इसी तरह, जो लोग खुद को और अपने आस-पास को साफ रखते हैं, वे अन्य लोगों को स्वच्छता के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए अगर मुझे भारत को स्वच्छ रखने में योगदान देना शुरू करना है, तो सबसे पहले मैं अपने आस-पास पूर्ण स्वच्छता सुनिश्चित करूंगा। मैं अपना कमरा, अलमारी, कपड़े, वॉशरूम आदि साफ रखता था। अगर रसोई में कुछ इस्तेमाल किए गए बर्तन पड़े होते, तो मैं उन्हें कर देता और तब तक इंतजार नहीं करता जब तक मेरी माँ उन्हें करने के लिए स्वतंत्र नहीं हो जाती। अगर मुझे घर में या घर के आस-पास कोई कचरा इधर-उधर पड़ा हुआ दिखाई देता है, तो मैं उसे कूड़ेदान में डाल देता। यदि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को और अपने आस-पास को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी उठाए, तो दुनिया एक वास्तविक एलीसियम बन जाएगी।

सरकार को उचित स्वच्छता बुनियादी ढांचा भी बनाना चाहिए; उचित कचरा और सीवेज जल उपचार संयंत्र होना चाहिए; पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए शहरों और उसके आसपास पर्याप्त पेड़ होने चाहिए। अगर सरकार विफल होती है, तो लोगों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। यदि हम सब मिलकर पूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने की दिशा में कार्य करें तो यह संभव है। मैं अपने साथ-साथ अपने आस-पास के वातावरण को भी स्वच्छ रखने में अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके भारत को स्वच्छ रखने और बनाने में योगदान दे सकता हूं।

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