Hindi, asked by soravpriyakush, 10 months ago

Essay on my garden in Hindi

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Answered by Jessicakashyap12
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Answer:

मेरे घर में एक छोटा सा बगीचा है जो मैंने ख़ुद बनाया है यह बगीचा बड़ा ही सुंदर है। इस

My Garden Essay

 

बगीचे में सुंदर -सुंदर फूल लगे हुए हैं जो हर किसी को मदहोश कर देते हैं। बगीचे में हरी -हरी घास लगी हुई है जिसके चारों तरफ़ रंग -बिरंगे फूल खिले हुए हैं। फूलों के चारों तरफ़ झाडियां लगी हुई हैं जो इन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।

इसके इलावा मेरे बगीचे में कई प्रकार के फलों के पेड़ भी लगे हुए हैं जैसे अमरुद का पेड़ , संतरे का पेड़ , निम्बू का पेड़ लगे हुए हैं। जो हमें फल देते हैं। सभी पेड़ समय समय पर फूल और फल  देते हैं। इस बगीचे (Garden) में लगे पेड़ों पर कई पक्षियों ने घोंसले बनाए हुए हैं। दिनभर यहां पक्षियों का तांता लगा रहता है और सुबह होने पर पक्षियों के चहचहाने के आवाजें आने लगती हैं।

इस बगीचे  में एक बड़ा सा नीम का पेड़ भी लगा हुआ है जिस पर हम गर्मियों की छुटियों पर झूला डालते हैं। पेड़ों के होने पर यहां ज्यादा धूप भी नहीं आती हर समय यहां पर ठंडी छाया बनी रहती है। में और मेरे सभी मित्र इस बगीचे में खूब खेलते हैं और बगीचे में गिरे फूलों को उठाकर उनकी माला बनाते हैं हम दिनभर इस बगीचे में खूब खेलते हैं इसीलिए मुझे मेरा बगीचा बड़ा ही प्यारा है।

में रोज़ाना बगीचे के पौधों को पानी देता हूं और समय समय पर इनका ध्यान रखता हूं और उनमें जरूरत के अनुसार खाद भी डालता हूं। मेरा बगीचा इतना प्यारा है के यहां के हवा के ठंडे झोंके ऐसे लगते हैं प्रकृति की गोद में बैठे हों।

 

इसीलिए सभी को मेरे बगीचे की तरह अपने घर में भी एक सुंदर सा छोटा सा बगीचा बनाना चाहिए बगीचे हमें कुदरत से जोड़ते हैं इनसे हमें ठंडी और शुद्ध हवा मिलती है जिससे हम कई बिमारियों से बचे रहते हैं।

Answered by anamikachy078
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Answer: पेड़-पौधे ईश्वर की बहुत ही सुंदर रचना है और इनके बगीचे तो मन को मोह ही लेते हैं। बगीचे में काम करने से इन्सान को मानसिक संतोष के साथ-साथ शरीर भी स्वस्थ रहता है। थका हुआ इंसान बगीचे में बैठकर आराम भी करते हैं। बगीचे में आकर पेड़-पौधे देखकर और चिड़ियों की चहचहाट सुनकर मन में नई उमंग सी जागती है और परेशान, उदास व निराश मन भी आशा की किरण से चमकने लगता है। बगीचे हमें अवकाश के समय में प्रकृति की प्रशंसा करने का मौका देते हैं। लोग सुबह उठकर इनमें भ्रमण करके स्वास्थ्य लाभ लेते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं। बगीचे में प्रकृति का सौंदर्य देखकर हमारे मन में चेतना का एक नया संचार होता है।

आजकल विकास के नाम पर लोग कंकरीट के जंगल तो तैयार कर रहे हैं लेकिन छोटे-छोटे बगीचे नहीं। यदि बगीचे ही न होंगे तो लोग कहाँ प्रकृति की छाया एवं शीतलता का आनन्द ले पायेंगे। यह हमारे ऊपर है कि हम कि प्रकार प्रकृति का सम्मान करते हुए छोटे-छोटे बगीचों को तैयार करें जो हमारी आँखों के साथ-साथ हमारे मन को भी स्वस्थ रखेगा। बच्चे बगीचों में काम करके भावनात्मक रूप से भी विकसित होते हैं। यदि बच्चों को बगीचे ही न मिलेंगे तो वे भी कंकरीट के जंगलों जैसे कठोर होते जायेंगे।

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