essay on Nadi Ke Kinare Ek Shaam
Answers
Answer:
khud bath ke likh lena essay nadi ke kinare
Answer:
गर्मियों की छुट्टियों के दिन थे । कॉलेज जाने की चिन्ता नहीं थी और न ही होमवर्क । की । एक दिन चार मित्र एकत्र हुए और सभी ने यह तय किया कि आज की शाम नदी किनारे सैर करके बिताई जाए । कुछ तो गर्मी से राहत मिलेगी कुछ प्रकृति के सौंदर्य के दर्शन करके जी खुश होगा। एक ने कही दूजे ने मानी के अनुसार हम सब लगभग छः बजे के करीब एक स्थान पर एकत्र हुए और पैदल ही नदी की ओर चल पड़े । दिन अभी ढला नहीं था बस ढलने ही वाला था । ढलते सूर्थ की लाल-लाल किरणें पश्चिम क्षितिज पर ऐसे लग रही थीं मानो प्रकृति रूपी युवती लाल-लाल वस्त्र पहने मचल रही हो । पक्षी अपने-अपने घौंसलों की ओर लौटने लगे थे । खेतों में हरियाली छायी हुई थी । ज्यों ही हम नदी किनारे पहुँचे सूर्य की सुनहरी किरणें नदी के पानी पर पड़ती हुई बहुत भली प्रतीत हो रही थीं । ऐसे लगता था मानों नदी के जल में हजारों लाल कमल एक साथ खिल उठे। हो । नदी तट पर लगे वृक्षों की पंक्ति देख कर ‘तरनि तनूजा वट तमाल वरु वर बहु छाए कविता की पंक्ति याद हो आई । नदी तट के पास वाले जंगल से ग्वाले पशु चरा कर लौट रहे थे । पशुओं के पैरों से उठने वाली धूलि एक मनोरम दृश्य उपस्थित कर रही थी । हम सभी मित्र बातें कम कर रहे थे, प्रकृति के रूप रस को पान अधिक कर रहे थे । हमने देखा कुछ शहरी लोग नदी किनारे सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए आ रहे हैं । हमने उन लोगों से दूर रहना ही उचित समझा क्योंकि वे लोग बातें अधिक कर रहे थे, प्रकृति का रूप कम निहार रहे थे । थोड़ी ही देर में सूर्य अस्तांचल की ओर जाता हुआ प्रतीत हुआ। नदी का जो जल पहले लाल-लाल लगता था अब धीरे-धीरे नीला पड़ना शुरू हो गया था। उड़ते हुए बगुलों की सफेद-सफेद पंक्तियाँ उसे धूमिल वातावरण में और भी अधिक सफेद लग रही थीं । नदी तट पर सैर करते करते हम गाँव से काफ़ी दूर निकल आए थे। प्रकृति की सुन्दरता निहारते-निहारते ऐसे खोये थे कि समय का ध्यान ही न रहा । हम सब गांव की ओर लौट पड़े और हम सब ने एक-दूसरे को यह बताया कि हमने क्या देखा, क्या अनुभव किया। सभी एक मत थे कि नदी तट पर नृत्य करती हुई प्रकृति रूपी नदी की यह शोभा विचित्र थी, अनोखी थी जिसे कोई दिल वाला ही अनुभव कर सकता है । नदी किनारे सैर करते हुए बितायी वह शाम ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी