essay on nasha aur yuva varg in hindi with 6 sankets
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भारत को दुनियां का सबसे युवा देश कहा जाता है यहाँ की 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम आयु की हैं. इस लिहाज से मानव संसाधन में भारत के मुकाबले में दुनियां का कोई भी देश नजर नहीं आता हैं. किसी ने ठीक ही कहा है कि नशा नाश हैं. मगर भारत की युवा पीढ़ी नशाखोरी की प्रवृति को तेजी से अपनाती जा रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ कुल 130 करोड़ आबादी में से 10 करोड़ लोग नशा करते है इनमें से अधिकतर को नशाखोरी की लत लग चुकी हैं. एक उन्नतिशील देश के विकास के लिए उनके नागरिकों, समाज का स्वस्थ होना बेहद जरुरी हैं. नशे का समाज व्यक्ति तथा उसके परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं.
इसे सरल भाषा में समझे तो किसी मादक / नशीले पदार्थ की लत लग जाना ही नशाखोरी हैं. मूल रूप से भारत में इसे प्रचारित करने में पश्चिमी संस्कृति का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं. देश का युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति को तेजी से अपना रहा हैं. इस तरह वह पश्चिम के लोगों की संस्कृति रहन सहन को भी अपने जीवन में उतार रहा हैं. पश्चिम के देशों में नशे की लत सर्वाधिक होती हैं. अधिक तनाव भरी जिन्दगी से राहत पाने के लिए लोग नशीले पदार्थों का सेवन करते है जो धीरे धीरे उनकी आदत बन जाता हैं.
शुरुआत में हर व्यक्ति शौक के रूप में मादक पदार्थों का सेवन करता हैं. मगर कुछ समय तक इनका सेवन करने के पश्चात वे उनके आदि हो जाते हैं. तथा व्यक्ति को इसका इल्म ही नहीं होता है कि उसे नशे की लत लग चुकी हैं. एक बार जो इन्सान इस दलदल में फंस जाता हैं. बहुत मुश्किल है कि वह इससे बाहर निकलकर आ जाएँ. इसलिए हर युवा को नशीले पदार्थों के सेवन से पूर्व यह आवश्यक सोच लेना चाहिए कि वह एक लत को आमंत्रित कर रहा है तथा कुछ ही समय बाद वह उसका गुलाम बनने वाला हैं.