Essay on natik पतन देश का पतन on पैराग्राफ upto 100-200word
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hi friend
एक तरफ जहां समाज विकास के पथ पर लगातार अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्वों और मानसिक रूप से कुंठित लोगों के कारण इसका तेजी से नैतिक पतन भी हो रहा है। एक तरफ जहां इस देश के राष्ट्रपति पद पर एक महिला सुशोभित हैं, वहीं पंजाब में महिलाओं की हालत लगातार बदतर होती जा रही है। आए दिन महिलाओं का किसी न किसी रूप में उत्पीड़न किया जा रहा है। गत दिवस भी जहां अबोहर में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को एचआईवी वायरस से संक्रमित इंजेक्शन लगाकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी, वहीं लुधियाना के बस स्टैंड पर एक ड्राइवर व कंडक्टर ने एक महिला की अस्मत लूट ली। यही नहीं अभी विगत दिवस ही करतारपुर में एक नाबालिग युवती से कुछ लोगों ने गैंगरेप किया था, जिसे लेकर इस क्षेत्र में अभी तक तनाव बरकरार है। पंजाब में गत कुछ दिनों में इस प्रकार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसके अलावा दहेज आदि के नाम पर भी आए दिन महिलाओं का उत्पीड़न होता रहता है। समाज में किसी भी प्रकार की आपराधिक घटना के लिए निश्चित रूप से पुलिस की निष्क्रियता तो जिम्मेदार है ही, लेकिन समाज भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। आखिर क्या कारण है कि जो समाज महिलाओं को समान दर्जा देने की बात करता है, उसी समाज में महिलाओं की ऐसी दुर्दशा हो रही है? यह भी सर्वविदित है कि पंजाब कुड़ीमार प्रदेश के रूप में कुख्यात हो गया था, अब कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं कम जरूर हो गई हैं, परंतु इसमें संदेह है कि यह पूरी तरह रुक गईं हों। hope this is very helpful........................................
एक तरफ जहां समाज विकास के पथ पर लगातार अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्वों और मानसिक रूप से कुंठित लोगों के कारण इसका तेजी से नैतिक पतन भी हो रहा है। एक तरफ जहां इस देश के राष्ट्रपति पद पर एक महिला सुशोभित हैं, वहीं पंजाब में महिलाओं की हालत लगातार बदतर होती जा रही है। आए दिन महिलाओं का किसी न किसी रूप में उत्पीड़न किया जा रहा है। गत दिवस भी जहां अबोहर में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को एचआईवी वायरस से संक्रमित इंजेक्शन लगाकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी, वहीं लुधियाना के बस स्टैंड पर एक ड्राइवर व कंडक्टर ने एक महिला की अस्मत लूट ली। यही नहीं अभी विगत दिवस ही करतारपुर में एक नाबालिग युवती से कुछ लोगों ने गैंगरेप किया था, जिसे लेकर इस क्षेत्र में अभी तक तनाव बरकरार है। पंजाब में गत कुछ दिनों में इस प्रकार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसके अलावा दहेज आदि के नाम पर भी आए दिन महिलाओं का उत्पीड़न होता रहता है। समाज में किसी भी प्रकार की आपराधिक घटना के लिए निश्चित रूप से पुलिस की निष्क्रियता तो जिम्मेदार है ही, लेकिन समाज भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। आखिर क्या कारण है कि जो समाज महिलाओं को समान दर्जा देने की बात करता है, उसी समाज में महिलाओं की ऐसी दुर्दशा हो रही है? यह भी सर्वविदित है कि पंजाब कुड़ीमार प्रदेश के रूप में कुख्यात हो गया था, अब कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं कम जरूर हो गई हैं, परंतु इसमें संदेह है कि यह पूरी तरह रुक गईं हों। hope this is very helpful........................................
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