essay on natikta in Hindi
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प्रस्तावना
नैतिकता को नैतिक सिद्धांतों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अच्छे और बुरे तथा सही और गलत मानकों का वर्णन करते हैं। फ्रांसीसी लेखक अल्बर्ट कैमस के अनुसार, "इस दुनिया में नैतिकता के बिना व्यक्ति एक जंगली जानवर के समान है"।
नैतिकता के प्रकार
नैतिकता को मोटे तौर पर चार अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इन पर एक संक्षिप्त नजर इस प्रकार है:
कर्तव्य नैतिकता: यह श्रेणी धार्मिक विश्वासों के साथ नैतिकता को जोड़ती है। इसके अलावा इसे डोनटोलॉजिकल नैतिकता के रूप में भी जाना जाता है। ये नैतिकता व्यवहार को सुधारती है और सही या गलत बताने में निर्देशित करती है। लोगों से उनके कर्तव्य को पूरा करने के लिए उनके अनुसार कार्य करने की उम्मीद की जाती है। ये नैतिकता हमें बहुत शुरुआत से सिखाई जाती है।
सदाचार नैतिकता: यह श्रेणी किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत व्यवहार के साथ नैतिकता को जोड़ती है। जिस तरह से वह सोचता है और जिस प्रकार का उसका चरित्र है यह उसी प्रकार से व्यक्ति के नैतिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करता है। सच्ची नैतिकता हमारे बचपन से ही हमारे अंदर अंतर्निहित है। हमें सिखाया जाता है कि सही और गलत क्या है चाहे उनके पीछे कोई तर्क भी ना हो।
सापेक्षिक नैतिकता: इसके अनुसार सब कुछ बराबर है। प्रत्येक व्यक्ति को इस स्थिति का विश्लेषण करने और सही तथा गलत का अपना संस्करण बनाने का अधिकार है। इस सिद्धांत के अधिवक्ताओं का दृढ़ विश्वास है कि एक व्यक्ति के लिए जो सही हो सकता है वह दूसरे के लिए सही नहीं होगा। कुछ स्थितियों में जो सही है ज़रूरी नहीं कि वह दूसरे में भी सही हो।
परिणामपूर्ण नैतिकता: ज्ञान के समय के दौरान बुद्धिवाद की खोज की जा रही थी। नैतिकता की यह श्रेणी उस खोज से जुड़ी हुई है। इस नैतिक सिद्धांत के अनुसार किसी व्यक्ति के व्यवहार का नतीजा उसके व्यवहार के सही या गलत को निर्धारित करता है।
विभिन्न संस्कृतियों में नैतिकता भिन्न होती है
कुछ के अनुसार नैतिकता वे मूल्य हैं जिन्हें बचपन से सिखाया जाना चाहिए और लोगों को उनका कड़ाई से पालन करना चाहिए। एक व्यक्ति जो इन मूल्यों को नहीं मानता है वह नैतिक रूप से गलत माना जाता है। नैतिक कोड का पालन करने के लिए कुछ लोग काफी सख्त होते हैं। वे अपने व्यवहार के आधार पर लगातार दूसरों की समीक्षा करते हैं। दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग हैं जो नैतिकता के प्रति ढीला-ढाला रवैया रखते हैं और मानते हैं कि नैतिकता के आधार स्थिति के हिसाब से कुछ हद तक बदल सकते हैं।
व्यक्तियों से अपेक्षाकृत आचार संहिता और नैतिकता लगभग सभी देशों में समान है। हालांकि कुछ ऐसे नैतिक व्यवहार हो सकते हैं जो कुछ संस्कृतियों के अनुसार ठीक हो सकते हैं लेकिन उन्हें दूसरों में स्वीकारा नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए पश्चिमी देशों में महिलाओं को किसी भी तरह की पोशाक पहनने की आजादी होती है लेकिन बहुत से पूर्वी देशों में छोटे कपड़े पहनने को नैतिक रूप से गलत माना जाता है।
निष्कर्ष
ऐसे विभिन्न स्कूल हैं जिनके विचार अलग-अलग हैं और उनके नैतिकता के अपने स्वयं के संस्करण हैं। बहुत से लोग दूसरों के मानदंडों के सही और गलत से अपना स्वयं का संस्करण बनाते हैं।
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